24.1 C
Indore
Friday, March 29, 2024

राष्ट्रवाद : विविधता ही भारत की मूल पहचान

Secularism nature of Indian societyकिसी भी राष्ट्र के विकास के लिए सम्प्रादायिक सद्भाव बहुत जरूरी है। विभिन्न सम्प्रदायों के आपस में लड़ने से राष्ट्र कमजोर होता है। साम्प्रदायिक विद्वेष से सामाजिक शांति भंग होती है, और राष्ट्र की आर्थिक प्रगति बाधक होती है। विभिन्न सम्प्रदाय और राष्ट्रवाद से हमारा यहां अभिप्रायः भारतीय दृष्टिकोण के संबंध में है।

भारतीय संस्कृति का मूल तत्त्व इसका समन्वयवादी दृष्टिकोण है। यहां विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायों के लोग आपस में हिल-मिलकर रहते हैं। पर, कभी-कभी इनमें आपसी झड़पे हो जाती हैं। इन झड़पों से हमें निराश नहीं होना चाहिए। लेकिन, हाल के वर्षों में साम्प्रदायिकता की जहर बड़ी तेजी से फैलने लगा है। असहिष्णुता के तर्क को लेकर इसके पक्ष-विपक्ष में काफी घमासान मचा है। यह भारत के विकास के लिए शुभ नहीं है।

हमें साम्प्रदायिक वैमनस्य को मिटाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। साम्प्रदायिक वैमनस्य वह आग है जिसमें सब कुछ जलकर स्वाहा हो सकता है। भारतीय संस्कृति में असहिष्णुता के लिए कोई स्थान नहीं है। लगता है, साम्प्रदायिकता कहीं से थोपी गई है। हमें किसी प्रकार की साजिश का शिकार नहीं होना चाहिए।

भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है, इसमें सबको अपने-अपने धर्म के अनुसार चलने की पूरी स्वतंत्रता है। विदेशी कूटनीति के चलते यहां कभी-कभी साम्प्रदायिक दंगे हो जाते हैं। भारत के मुसलमान, ईसाई, पारसी इत्यादि धर्मों को मानने वाले यहां के सच्चे नागरिक हैं। इन्होंने भारत के प्रति अपनी निष्ठा का प्रमाण बार-बार दिया है।

अभी वर्तमान राजनीति के कोलाहाल में हम देख रहे हैं कि किस प्रकार हमारी राजनीतिक व्यवस्था को राजनेतागण अपनी स्वार्थ सिद्धि हेतु अखिल भारतीय राष्ट्रवाद के सामने एक गंभीर चुनौती उत्पन्न कर दी है, कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। राजनीतिक चाहत की इच्छाशक्ति ने भी राजनीतिक सम्प्रदायवाद की भावनाओं को उभारकर आधुनिक राष्ट्रवाद के लिए एक विकराल समस्या खड़ी कर दी है जिसका दंड वर्तमान पीढ़ी के लोगों को भोगना पड़ रहा है। इस प्रकार हम देख रहे हैं कि किस प्रकार सम्प्रदायवाद रूप राजनीतिक हथियार हमारी राष्ट्रवाद की भावना को गहरी ठेस पहुंचा रही है।एक समय था जब हिन्दुस्तान को सोने की चिड़िया कहा जाता था।

दुनिया को विज्ञान से लेकर चिकित्सा तक का ज्ञान हमने कराया, लेकिन तस्वीर के दूसरे पहलू की कई बातें ऐसी हैं, जो भारत की सुनहरी तस्वीर को बदरंग करती है। आज भी हम एक तरह से निरक्षरता, साम्प्रदायिकता, लैंगिक भेदभाव, अंधविश्वास और टालू रवैया के गुलाम है। आज भी देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग परेशान हैं। हर काम को करने के लिए आंदोलन करने पर रहे हैं। भ्रष्टाचार चरम पर है। लोगों के कल्याण के लिए बनी योजनाएं समय से पूरी नहीं हो पा रही है।

सही मायनों में देश में व्यापत नक्सलवाद और आंतकवाद को भी इन्हीं समस्याओं के कारण बढ़ावा मिला है। ऐसे में लोगों में कुंठा की भावना उत्पन्न होती है। वर्तमान परिस्थितियों को देखकर हर वर्ग की जरूरत को ध्यान में रखकर उनके कल्याण के लिए नीति बनाने की जरूरत है। नई पीढ़ी को सही शिक्षा नहीं मिल पा रही है अर्थात् गुणवत्ता वाली शिक्षा नहीं मिल रही है, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी अस्पतालों में व्यापक सुधार की आवश्यकता है और युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। हालांकि इधर सरकार द्वारा कौशल विकास योजना का अलग से मंत्रालय का गठन किये जाने के बाद कुछ आशाएं बढ़ी हैं कि हमारे युवा हुनरमंद होंगे इसमें सरकार के साथ-साथ अन्य सहयोगी संस्थाएं भी आगे आये हैं।

मजहब (सम्प्रदाय) आपस में वैर करना नहीं सिखाता। कुछ स्वार्थी लोग होते हैं जो सम्प्रदाय विशेष के लोगों में किसी भिन्न सम्प्रदाय के लोगों के प्रति अविश्वास का भाव पैदा कर देते हैं। हमारी राष्ट्रीयता यह मांग करती है कि ऐसे लोगों की पहचान करें और उन्हें कड़ा से कड़ा दंड दे। इकबाल ने इसलिए कहा है-
‘‘मजहब नहीं सिखाता आपस में वैर करना,
हिन्दी है हम, वतन हैं हिन्दोस्तां हमारा।’
हिन्दू या मुसलमान, सिक्ख हो या ईसाई, यह भारत सबका है। सबके आपसी सद्भाव से ही भारत का अपेक्षित विकास संभव है। सम्प्रदायों को अपनी-अपनी साम्प्रदायिक संकीर्णता से ऊपर उठकर भारत के विकास में अपना आमूल्य योगदान करना चाहिए। सम्प्रदायवाद की भावना राष्ट्रवाद की एकता के विकास में बहुत बड़ी बाधा है। विभिन्न सम्प्रदाय और राष्ट्रवाद के प्रति लोगों के संकीर्ण विचार होने के कारण क्षेत्रवाद को प्रोत्साहन देना, अपने क्षेत्र को प्रेम करना गलत नहीं माना जा सकता, परन्तु जब इस प्रेम के साथ दूसरे क्षेत्र या राज्य के प्रति घृणा की भावना उमड़ पड़े तब यह राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती सिद्ध हो जाती है। सम्प्रदाय के नाम पर आपसी संघर्ष राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा है। साम्प्रदायिक दंगे राष्ट्र के माथे पर कलंक है।

सम्प्रदायवाद और राष्ट्रवाद की भावना को देखने के लिए हमें राजनैतिक क्षेत्रवाद की समस्या, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक तथा नैतिक अवधारणाओं के साथ-साथ पिछले अतीत के इतिहास को भी देखने की जरूरत है तभी विभिन्न सम्प्रदायवाद और राष्ट्रवाद की सार्थकता स्पष्ट होगी कि किस प्रकार सम्प्रदायवाद की भावना ने राष्ट्रवादरूपी चट्टान की एकता को तोड़ दिया जिसके कारण भारत का विभाजन अवश्यंभावी हो गया यहां यह कहने की जरूरत नहीं है कि अंग्रेज यहां फूट डालने में सफल रहे। फलतः भारत एवं पाकिस्तान दो स्वतंत्र गणराज्य बने, स्वतंत्र तो हम राष्ट्रवादी भावना के पनपने के कारण अवश्य हुए, परन्तु सम्प्रदायवाद की भावना के कारण ही भारत को दो खंडों में विभाजित करना पड़ा।

पिछले इतिहास को देखने से यह पता चलता है कि वर्तमान समय व पीढ़ी पर उसका क्या प्रभाव पड़ा है, वह उसका सकारात्मक पहलू है या नकारात्मक पहलू। वर्तमान में जो विभिन्न सम्प्रदाय और राष्ट्रवाद के प्रति हमारा आधार दृष्टिकोण क्या है, यूं तो हम सभी सम्प्रदायवाद रूपी समस्या को देख रहे हैं और इसका राष्ट्रवाद पर बहुत ही बुरा असर या एक तरह से कहें कि यह राष्ट्रवाद के लिए एक गंभीर चुनौती है और आनेवाला भविष्य भी उससे अछूता नहीं है। इतिहास के पीछे जो घटना घट चुकी है उसको कुरेदने से हमें कुछ मिल तो नहीं सकता है लेकिन उस समय जो गलतियां हम कर चुके हैं, उसमें सुधार तो अवश्य ला सकते हैं नहीं तो पिछले शताब्दियों में जो घटना घट चुकी है जिससे कि वर्तमान पीढ़ी अभी अछूता नहीं है। अगर अभी भी हम समय रहते अपने दृष्टिकोण में व्यापक बदलाव न ला सके तो आने वाली हमारी पीढ़ी को सम्प्रदायवाद का विषपाण करना पड़ेगा और राष्ट्रीयता खतड़े में पड़ जाएगी।
धर्म सम्प्रदायवाद की निष्पक्षता में बाधक होता है।

हिन्दू-मुसलमान, अरब-यहूदी, सिक्ख, ईसाई इत्यादि के लिए किसी एक मत पर मतैक्य होना कठिन है, क्योंकि धार्मिक दृष्टिकोण से वे एक दूसरे को शत्रु मानते हैं। हिन्दू-मुस्लिम किसी भी अप्रिय घटना के लिए एक-दूसरे को उसका जिम्मेदार ठहराकर उस पर दोषारोपण करते हैं। इसका प्रमुख कारण उनके बीच द्वेषभाव है। धार्मिक तथ्यों का स्वरूप चयनात्मक होता है। पूर्वग्राही विचारों के कारण एक ही घटना को इतिहासकार विभिन्न ढंग से पेश करता है। घटना एक ही है लेकिन आपसी मतैक्य न होने के कारण ही औरंगजेब द्वारा हिन्दू मंदिरों की धवस्त करने की निंदा सर यदुनाथ सरकार ने की है पर, फारूक्की ने इसका समर्थन किया है।

विविधिता ही इस देश की विशेषता है। किसी क्षेत्र का निर्माण भूगोल, धर्म, भाषा, रीति-रिवाज, राजनीतिक-आर्थिक विकास इत्यादि जैसे तत्त्वों के आधार पर होता है। इसी आधार पर अंग्रेजों के जमाने में प्रशासनिक क्षेत्रों अथवा राज्यों का गठन हुआ था। अपने क्षेत्र से अधिक लगाव रखना व्यक्ति के लिए स्वाभाविक है, परन्तु जब इस लगाव की भावना द्वारा दूसरे क्षेत्र की अलगाववाद की भावना जुट जाती है तब क्षेत्रवाद की समस्या उपस्थित हो जाती है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में भी भाषाओं के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन कर दिया गया। इस कदम से एक ओर भाषाई प्रेम और विकास को प्रोत्साहन मिला, परन्तु दूसरी ओर देशप्रेम और राष्ट्रभक्ति की भावना को गहरी ठेस लगी।

राष्ट्रीय एकता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा साम्प्रदायिक भावना है। भारत में इस भावना का उदय अंग्रेजों की नीति के फलस्वरूप हुआ। इतिहास के पन्नों को उलटने से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी समाज में किसी भी समय सामाजिक समता विद्यमान नहीं रही है सामाजिक समता को एक आदर्श ही माना जा सकता है जिसे व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता है। सामाजिक विषमताएं सदा से उपस्थित रही हैं और भारत भी इससे अछूता नहीं है। आज भी भारत को सामाजिक विषमताओं की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

जाति भेद, लिंग, सम्प्रदाय-भेद, अस्पृश्यता, अमीर-गरीब का विभेद इत्यादि जैसी सामाजिक विषमताएं भारत में विद्यमान है। हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में अनेक प्रावधान कर सामाजिक समता की स्थापना का प्रयास किया है। सामाजिक समता को व्यवहारिक रूप देने के लिए संवैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ अन्य कदम उठाने की भी आवश्कयता हैं।

आज भारत के सामने अनेक समस्याएं उपस्थित हैं। भारत में राष्ट्रवाद की सफलता तब तक संभव नहीं है, जब तक कि सामाजिक समता की स्थापना नहीं की जाती है। सामाजिक समता को एक आदर्श ही माना जा सकता है। सामाजिक समता के मार्ग में अनेक बाधाएं हैं। भारत विविधताओं का देश है यहां एक ओर स्वर्ण निवास करते है, तो दूसरी ओर हरिजन आदिवासी और पिछड़ी जाति के लोग, एक ओर धनी लोग हैं तो दूसरी ओर निर्धन, एक ओर साक्षर है तो दूसरी ओर निरक्षर। देश में अनेक भाषा-भाषी और विभिन्न जातियों के लोग निवास करते हैं।

समाज के संपन्न वर्गों का नैतिक कर्तव्य है कि हमारे ही समाज के निचले तबकों को आगे लाने में अपना कदम बढ़ाएं। हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां एवं कॉरपोरेट कंपनियां द्वारा सीएसआर के माध्यम से सहयोग दिया जा रहा है। लेकिन भारत इतना बड़ा देश है एवं जनसंख्या अधिक होने के कारण जो सहयोग दिया जाता है उससे भी बहुत सारे लोग वंचित रह जाते हैं। अतः इसके साथ समाज के उन सुविधा संपन्न लोगों को जुड़ने की जरूरत है जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाया जाए।

आज शादी-विवाह, बर्थ-डे पार्टी एवं विवाह की सालगिरह आदि अन्य उत्सवों के आयोजनों पर लाखों-करोड़ों रुपये चंद घंटों में फूंक दिये जा रहे हैं। लेकिन इन्हीं वर्गों से पूछिए कि ये जितना एक आयोजन में खर्च कर देते हैं अगर उसका 10-20 प्रतिशत उस आयोजन के खर्च से काटकर अपने ही समाज से जुड़े लोगों की सामाजिक उत्थान के नाम पर प्रतिवर्ष एक दिव्यांग, एक मजदूर या गरीब के बेटे-बेटी की पढ़ाई का खर्च, एक गरीब कन्या की शादी का खर्च एवं एक वंचित के इलाज का खर्च उठाएं तो न जाने कितने लोगों का भला होगा और ऐसे लोग इनक उपकार भी मानेंगे। सर्वेक्षण में तो हर हर साल करोड़पतियों एवं अरबपतियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। लेकिन समाज के प्रति उनकी भागीदारी कुछ अपवादों को छोड़कर काफी निराशाजनक है।

अतः ये लोग अपनी भागीदारी से भाग रहें हैं तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि सरकार इनसे सख्ती से पेश आए। 3-स्टार, 5-स्टार एवं फॉर्म हाउसों या अन्य आयोजन स्थलों में जो उत्सव आयोजित होते हैं एवं इन आयोजनों में खर्च की कोई सीमा नहीं है। उनसे सामाजिक कल्याण के नाम पर 20-30 प्रतिशत का टैक्स उत्सव आयोजन करने वालों से डंडे की चोट पर शक्ति लगाकर सरकार वसूल करें एवं इस हेतु सख्त से सख्त कार्रवाई करें। क्योंकि जो सिर्फ निमंत्रण पत्र देने के लिए ही 500-1000 प्रतिकार्ड खर्च कर देते हैं। ये उत्सव आयोजन के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर देते हैं। अगर 20 लाख से 1 करोड़ रुपये प्रति आयोजन पर खर्च होते हैं तो प्रत्येक आयोजन से 10-30 प्रतिशत टैक्स लिया जाए। अगर 10 प्रतिशत टैक्स लगाया जाए तो 2 लाख से 20 लाख रुपये तक का टैक्स की आमदनी सिर्फ एक आयोजन के उत्सव से सरकार को प्राप्त होगी।

इस तरह इन छोटी-छोटी राशि से एक बहुत बड़ी राशि सरकार के पास एकत्रित हो जायेगी जिसे सामाजिक उत्थान के लिए समाज के वंचित लोगों पर खर्च किया जा सकता है। इसलिए नीति-निर्माता को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिसमें सबको समान अवसर मिले। हम लोग मिलकर इस कार्य हेतु एक-एक कदम बढ़ाएं तो न जाने कितने लोगों का भला होगा।

दुःख के अभाव में सुख का और अंधेरे के अभाव में उजाले का कोई महत्त्व नहीं होता। इस दृष्टि से 20वीं सदी के लम्बे कालखण्ड की समीक्षा करते हैं तो समझ में आता है कि भारत ने दासता राजतंत्र से अर्ध शताब्दी से आगे तक की लम्बी यात्रा करके अनगिणत अनुभवों के आधार पर अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए सम्प्रभुता संपन्न राष्ट्र के रूप में सारी दुनिया को अचंभे में डाल दिया है। इस यात्रा से आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और वैज्ञानिक दूरियां तो घटी है-किन्तु धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक दूरियां बढ़ी भी है। यही कारण है कि मानव मूल्य तिरोहित हुए हैं। वास्तव में हर देश की मूल संस्कृति ही उस देश की पहचान हुआ करती है। भारतीय संस्कृति की पहचान बहुत कुछ यहां की आदिम मूल संस्कृति से है, वह वन-पहाड़, नदी-घाटी से जन्मती है और वट वृक्ष की तरह बढ़कर सुखद शीतल छाया प्रदान करती है।

इसका एक ही उत्तर है कि इसके लिए संपूर्ण रूप से राष्ट्रीय संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता है। राष्ट्र का एक धर्म, एक भाषा, एक राष्ट्रीयता एवं एक सर्वमान्य शिक्षा होना अनिवार्य है। इसके लिए भारतीय मन मस्तिष्क को विकसित करना होगा। हमारे पास क्या नही हैं? इतना अधिक है कि भारतीयता के प्रति विदेशी आकर्षित हो रहे हैं। यहां का आध्यात्म, यहां का पहनावा, यहां का दर्शन, यहां का जीवन, यहां की चिकित्सा पद्धति, यहां की कलाएं उन्हें प्रभावित कर रही है और हम है कि उनका दुष्चरित्र ग्रहण करते जा रहे हैं।

लेखक परिचय : @ बरुण कुमार सिंह
(बरुण कुमार सिंह)
ए-56/ए, प्रथम तल, लाजपत नगर-2
नई दिल्ली-110024
मो. 9968126797
ई-मेल : barun@live.in






Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
135,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...