23.1 C
Indore
Friday, March 29, 2024

समाज का नासूर: दलित उत्पीड़न

Dalitहमारे देश की सामाजिक न्याय व्यवस्था भी क्या अजीबो – गरीब है कि यहां गंदगी फैलाने वालों को तो उच्च जाति का समझा जाता है जबकि उनके द्वारा फैलाई जाने वाली गंदगी को साफ करने वाले को नीच अथवा दलित जाति का समझा जाता है। धर्मशास्त्रों में सदियों से दुष्प्रचारित की गई इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था का आज तक अंत नहीं हो सका है। और यदि हमारे समाज में तथाकथित उच्च जाति से संबंध रखने वाले कुछ उदारवादी लोग ऊंच-नीच की इस जाति आधारित परंपरा को समाप्त करना भी चाहते हैं तो भी कुछ रूढ़ीवादी शक्तियां ऐसी हैं जो जात-पात व ऊंच-नीच की गहरी हो चुकी इस खाई को पाटने नहीं देतीं। दलित उत्पीडऩ के तमाम प्राचीन किस्से व घटनाएं ऐसी हैं जिन्हें सुनकर किसी भी न्यायप्रिय व्यक्ति के होश उड़ जाएं। यहां उन्हें दोहराने की भी कोई आवश्यकता नहीं है।

इसमें भी कोई शक नहीं कि पिछली शताब्दी के दौरान हमारे देश में इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था के विरुद्ध का$फी जागरूकता भी आई है। काफी हद तक तथाकथित ऊंच-नीच के भेदभाव समाप्त भी हुए हैं। दलित समाज को उसका खोया हुआ मान-सम्मान वापस दिलाए जाने के प्रयास भी किए गए। आरक्षण जैसी व्यवसथा लागू कर इस समाज को आर्थिक व शैक्षिक रूप से ऊपर उठाने की सफल कोशिश भी की गई। परंतु इन सबके बावजूद अभी भी देश के किसी न किसी कोने से कोई न कोई ऐसे समाचार प्राय: आते रहते हैं जिन्हें सुनकर फिर यह एहसास जाग उठता है कि हो न हो आज भी हमारे समाज में दलित समुदाय उत्पीडऩ व उपेक्षा का शिकार है। खासतौर पर ऐसी बातें जब देश के किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के हवाले से आती हों तो यह सुनकर और अधिक दु:ख होता है।

हमारे देश में दलित समाज का मंदिरों में प्रवेश करना वर्जित था। आज भी देश में ऐसे समाचार सुनाई देते हैं कि अमुक मंदिर में बा$कायदा बोर्ड लगाया गया है कि यहां दलितों का प्रवेश वर्जित है। कई जगहों से दलितों को शारीरिक रूप से मंदिर में प्रवेश करने से रोकने व उन्हें अपमानित कर मंदिर से भगा दिए जाने के समाचार प्राप्त होते रहते हैं। इस उपेक्षापूर्ण सौतेली सामाजिक व्यवस्था ने ही दलित समाज को जात-पात के आधार पर संगठित होने का अवसर दिया जिसका पूरा लाभ काशीराम व मायावती जैसे नेताओं ने उठाया। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में आंकड़ों की बाजीगरी के चलते मायावती कई बार सत्ता में तो ज़रूर आ गईं। उनका अपना आर्थिक व राजनैतिक उत्थान भी बखूबी हुआ। परंतु इसके बावजूद दलित उत्पीडऩ या दलितों के प्रति अन्याय के विरुद्ध जिस बिगुल को फूंकती हुई वह दलितों की मसीहा के रूप में उभरी थीं उस दलित समाज को फिर भी पूरी तरह न्याय न मिल सका। हां मायावती अपने जनाधार को बढ़ाने की फिराक में दलितों के रास्तों से होते हुए कथित उच्च जाति की ओर पुन: आकर्षित होती हुई ज़रूर दिखाई दीं। यानी उन्होंने ने भी दलितों के उत्थान के प्रति गंभीरता दिखाने के बजाए उन्हें मात्र वोट बैंक समझकर तथा उनकी भावनाओं का इस्तेमाल कर अपना राजनैतिक हित अवश्य साधा।

दुर्भाग्यपूर्ण यह भी है कि कथित उच्च जाति के आम लोगों द्वारा तो दलित समुदाय का उतना मुखरित विरोध नहीं किया जाता जितना कि धर्म के चंद जि़म्मेदार लोगों द्वारा समय-समय पर अपने विवादित बयानों से इन्हें बार-बार जीवित करने की कोशिश की जाती है। उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने यह कहकर एक बार फिर विवाद उत्पन्न कर दिया कि मंदिरों में दलितों का प्रवेश निषेध होना उचित है। पहले भी ऐसे कई धर्माधिकारियों द्वारा इस प्रकार के बयान दिए जा चुके हें। ज़ाहिर है शंकराचार्य द्वारा ऐसे बयान जारी करने से उनके अपने अनुयाईयों व समर्थकों पर इसका प्रभाव पड़ता है। साथ-साथ जिस दलित समाज के लिए वह मंदिरों में प्रवेश निषेध की बात करते हैं वह समाज स्वयं को उपेक्षित तथा हीन समझने लग जाता है।

बड़े आश्चर्य की बात है कि जिस हिंदू समाज में भगवान श्री राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम को आदर्श महापुरुष व भगवान माना जाता हो उस धर्म में दलितों के प्रति इस प्रकार की अपमानजनक सोच रखने का आखिर औचित्य ही क्या है? बेशक हिंदू समाज शताब्दियों पूर्व कभी वर्र्णव्यवस्था पर आधारित समाज रहा होगा परंतु आज के प्रगतिशील व आधुनिक युग में क्या ऐसा संभव है कि हम धर्म व जाति के आधार पर ऊंच-नीच का निर्धारण कर सकें? जब जगजीवन राम,के आर नारायण जैसे अनेक लोग सत्ता के शिखर पर बैठ चुके हों और देश ने उन्हें उनकी योग्यता के कारण पूरा मान-सम्मान दिया हो,यहां तक कि भारतीय संविधान आज भी बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जैसी महान शख्सियत का कजऱ्दार हो ऐसे देश में उसी समाज से संबंध रखने वालों के लिए यह सोचना कि इस जाति का व्यक्ति मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता तथा कथित उच्च जाति के लोगों के साथ बराबर से चारपाई अथवा कुर्सी पर नहीं बैठ सकता या इस जाति का दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर अपनी बारात नहीं ले जा सकता यह आखिर कहां का धर्म है और कहां का न्याय?

हिंदू धर्म के ठेकेदार प्राय:मुगलों या दूसरे मुसलमान शासकों पर विभिन्न प्रकार के इल्ज़ाम लगाते हैं और इनके द्वारा किए गए अत्याचार की कथाएं सुनाकर हिंदू धर्म को एकजुट करने का प्रयास करते रहते हैं। मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या का भय दिखाते रहते हैं। और तो और धर्म परिवर्तन व घर वापसी जैसी नौटंकी कर मुस्लिम व ईसाई समुदाय के लोगों की हिंदू धर्म में वापसी का दिखावा कर हिंदू धर्म के प्रति अपनी चिंताएं जताते रहते हैं। परंतु यही पूर्वाग्रही रूढ़ीवादी शक्तियां इस बात का हिसाब कभी नहीं देती कि हिंदू धर्म से ही संबंध रखने वाले दलित समाज के लोग तथाकथित उच्च जाति के लोगों के इसी सौतेले व भेदभावपूर्ण व्यवहार से दु:खी होकर अब तक कितनी बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन कर चुके हैं और अब भी करते रहते हैं? क्या भगवान या उसके मंदिरों पर किसी धर्म व जाति विशेष के लोगों का स्वामित्व भी हो सकता है? मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाकर क्या यही संदेश दिया था कि उनके नाम पर राजनीति तो ज़रूर करना परंतु दलितों को हमेशा अपमानित व उत्पीडि़त करते रहना? क्या बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जैसे शिक्षित महापुरुष द्वारा हिंदू धर्म त्यागकर लाखों लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपनाए जाने का कारण हिंदू धर्म में फैली अन्यायपूर्ण व्यवस्था नहीं थीं?

दूल्हे के रूप में घोड़ी पर बैठकर बारात ले जाना क्या केवल तथाकथित उच्च जाति के लोगों का ही अधिकार है? अक्सर राजस्थान व मध्य प्रदेश जैसे और भी कई राज्यों से ऐसे घृणित समाचार सुनाई देते हैं कि किसी दलित दूल्हे को कथित उच्च जाति के लोगों द्वारा घोड़ी से नीचे खींचकर उतार दिया गया। दलितों की बारात पर पथराव तक के घृणित समाचार सुनने में आ चुके हैं। अभी पिछले दिनों मध्य प्रदेश के रतलाम जि़ले में एक दलित परिवार को तो प्रशासन द्वारा यह हिदायत दी गई कि दूल्हा अपने सिर पर हैल्मेट पहन कर ही घोड़ी पर सवार हो अन्यथा दूसरी जाति के लोग उसपर पथराव कर सकते हैं। लिहाज़ा वह अपनी सुरक्षा का प्रबंध स्वयं करे। कैसी घिनौनी व्यवस्था और उससे भी घृणित सरकारी आदेश? और इन सबके बावजूद धर्म के ठेकेदार और हिंदूवाद का दंभ भरने वाले लोग धर्म परिवर्तन को लेकर हाय-तौबा करते दिखाई देते हैं। यही शक्तियां धर्म परिवर्तन रोकने संबंधी $कानून बनाए जाने की भी पक्षधर हैं। इसका सीधा सा अर्थ है कि आपको चाहे जितना ज़लील या अपमानित किया जाए, समाज में जिस श्रेणी में भी रखा जाए आपको उसी हाल में रहना ही होगा? आप अपनी स्वतंत्रता से अपना धर्म भी नहीं चुन सकते? दूसरी ओर इसी कथित उच्च जाति का दोहरापन भी उस समय देखा जा सकता है जबकि मायावती जैसे दलित नेता इसी दलित उपेक्षा व उत्पीडऩ की सीढ़ी पर चढक़र सत्ता के शीर्ष तक पहुंच जाते हैं। उस समय कथित उच्च जाति के लोग मायावती जैसे नेताओं के समक्ष ‘दंडवत’ करते भी दिखाई देते हैं।

इससे एक बात और साफ ज़ाहिर होती है कि दलित या नीच जाति का व्यक्ति वह है जो आर्थिक या शारीरिक रूप से अथवा पारिवारिक पृष्ठभूमि के लिहाज़ से कमज़ोर है। और यदि वही दलित सत्ता में अथवा किसी अन्य उच्च पद पर है या सांसद,विधायक अथवा मंत्री जैसे पदों पर विराजमान है तो वहां उस दलित व्यक्ति की उपेक्षा करने या उसे अहमियत न दिए जाने का साहस कोई नहीं कर पाता। यदि हमें केवल हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि भारतीय समाज तथा संपूर्ण राष्ट्र को एकजुट रखना है तथा वास्तव में देश की एकता व अखंडता की बात करनी है तो मात्र दलितों के आरक्षण की राजनीति करने अथवा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को अपना आदर्श बताने या संत रविदास जयंती अथवा बाल्मीकि जयंती पर मुख्य अतिथि बनकर उन्हें अपनी प्रेरणा का पात्र अथवा आदर्श बताने जैसे लोकलुभावने बयानों से काम नहीं चलने वाला। बजाए इसके हमें दलित उत्पीडऩ तथा दलितों की उपेक्षा व आए दिन होने वाले उनके अपमान को समाज से जड़ से समाप्त करने की कोशिश करनी होगी क्योंकि ऊंच-नीच व जात-पात की यह व्यवस्था हमारे समाज के लिए एक बड़ा नासूर बन चुकी है।

 

:-निर्मल रानी

nirmalaनिर्मल रानी 
1618/11, महावीर नगर,
अम्बाला शहर,हरियाणा।
फोन-09729-229728

 

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
135,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...