32.1 C
Indore
Friday, April 26, 2024

अगस्त क्रान्ति दिवस पर विशेष:- समाजवादी नेतृत्व और आज़ादी का सफ़रनामा !

“मैं आपको एक ही मंत्र देता हूं ‘करो या मरो।’ आज़ादी डरपोकों के लिए नहीं है। जिनमें कुछ कर गुजरने की ताकत है, वही जिंदा रहते हैं।’ 8 अगस्त 1942 की रात्रि को कांग्रेस महासमिति के समक्ष ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के प्रस्ताव पर बोलते हुए महात्मा गांधी ने उपरोक्त शब्द कहे, जोकि इतिहास का अहम दस्तावेज बन गया।

“मैं आपको एक ही मंत्र देता हूं ‘करो या मरो।’ आज़ादी डरपोकों के लिए नहीं है। जिनमें कुछ कर गुजरने की ताकत है, वही जिंदा रहते हैं।’ 8 अगस्त 1942 की रात्रि को कांग्रेस महासमिति के समक्ष ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के प्रस्ताव पर बोलते हुए महात्मा गांधी ने उपरोक्त शब्द कहे, जोकि इतिहास का अहम दस्तावेज बन गया। महात्मा गांधी इस अवसर पर हिंदी और अंग्रेजी में तकरीबन तीन घटों तक बोले। महात्मा की तकरीर के पूरे समय तक अजब सन्नाटा छाया रहा। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनका एक एक शब्द में देश की चेतना को झिंझोड़ता रहा और उसे उद्वेलित करता रहा।

सन् 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इसके नेता महात्मा गांधी के संघर्ष का एक ऐसा क्रांतिकारी काल रहा, जिसमें अंग्रेजी राज के विरुद्ध भारत के जनमानस को निर्णायक संग्राम के लिए ललकारा गया। महात्मा गांधी की ललकार पर लाखों भारतवासी करो या मरो के मंत्र पर अपने जीवन को जंगे-ए-आजादी में आहुत करने के लिए अपने घरों से निकल पड़े। भारत छोड़ो आंदोलन के इन बलिदानियों में सबसे अधिक संख्या नौजवानों की थी। भारत छोड़ो आन्दोलन विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 9 अगस्त सन 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था। क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया।

इतिहास के पन्नों में नौ अगस्त 1942 का दिन महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में दर्ज हो गया। यही एक ऐसा दिन है जो देश की जनता को समर्पित है। डाॅ. राममनोहर लोहिया ने अगस्त क्रान्ति दिवस की पच्चीसवीं वर्षगांठ पर मुम्बई के स्वतंत्रता सेनानी जी.जी पारिख को लिखे पत्र में कहा था कि ‘15 अगस्त राज का दिवस है। 9 अगस्त जन दिवस है। कोई एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब नौ अगस्त के सामने पन्द्रह अगस्त फीका पड़ेगा और भारतीय अमेरिका व फ्रांस के 4 और 14 जुलाई, जो जन दिवस है, की तरह 9 अगस्त मानएंगे। यह भी हो सकता है कि हिन्दुस्तानी कभी अपना बंटवारा खत्म करें और उसी के साथ-साथ या उससे पहले 15 अगस्त को भूल जाने की कोशिश करें।’

डा. लोहिया उन स्वतंत्रता सेनानियों में रहे है जिन्होंने अरूणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण, अच्युत्य पट्वर्द्धन सरीखे युवा समाजवादियों के साथ मिलकर 1942 के आन्दोलन में भूमिगत रहकर अगस्त क्रान्ति आन्दोलन को तेज करने का काम किया। इस आन्दोलन को युवा समाजवादियों ने एक नई दिशा प्रदान की। जिन्होंने ‘हमें आजादी चाहिए, हम आजादी लेंगे’ कहने वाली जनता के सपनों को साकार कराया।

नौ अगस्त का दिन जनता की महान घटना थी और हमेशा बनी रहेगी। पंद्रह अगस्त राज्य की महान घटना थी। लेकिन अभी तक हम 15 अगस्त को धूमधाम से मनाते आ है क्योंकि उस दिन ब्रिटिश वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ हाथ मिलाया था और क्षतिग्रस्त आजादी देश को दी थी। हमारे लम्बे इंतजार के बाद करोड़ो लोगों ने आज़ादी की अपनी इच्छा जाहिर की। इसका सबसे बड़ा प्रमाण उप्र के मऊ जनपद में स्थित मुधबन थाने पर तिरंगा फहराने का संकल्प लेकर जुटे निहत्थे देशभक्तों पर कलेक्टर की मौजूदगी में सिपाहियों द्वारा गांलियां बरसाई गई। लेकिन नवजवानों का उत्साह देखकर सभी दंग रह गए। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की युवा नेत्री अरूणा आसफ अली ने मुम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में तिरंगा फहराकर अंग्रेजों को चुनौती दे दी। इन सभी घटनाक्रमों में युवाओं की भूमिका से अंग्रेज सहम गए।

बहरहाल युवाओं की यह इच्छा थोड़े समय तक ही रही लेकिन मजबूत रही। उसमें दीर्घकालिक तीव्रता नहीं थी। जिस दिन हमारा देश दृढ़ इच्छा प्राप्त कर लेगा उस दिन हम विश्व का सामना कर सकेंगे। इन सबके बावजूद इतिहास के पन्नों में दो तारीख एक ही श्रेणी की घटनाओं के लिए दर्ज हो गई। 26 जनवरी और 9 अगस्त। 26 जनवरी, यानि आजादी की इच्छा की अभिव्यक्ति और 9 अगस्त, आजादी से लड़ने का संकल्प।

सत्याग्रह से जन्मी कांग्रेस 9 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस न मनाकर 15 अगस्त को मनाने का आखिर क्या औचित्य था? देश में फैली साम्प्रादायिक हिंसा को शान्त कराने के लिए 9 अगस्त 1947 को महात्मा गांधी दिल्ली से कलकत्ता रवाना हो गए। कलकत्ते के कुछ मुस्लिम समुदाय के आग्रह पर महात्मा गांधी कलकत्ते में रूक गए। दंगो के चलते कलकत्ते की स्थिति नाजुक थी। गांधी जी ने कलकत्ते की सकरी गलियों में घूमकर शान्ति और सद्भाव कायम कराया। वहीं दूसरी ओर 15 अगस्त 1947 को दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल आजादी का जश्न मना रहे थे। जबकि हमसे ज्यादा विकसित राष्ट्र फ्रांस ने 14 जुलाई को कोई घोषणा नहीं की, कोई हाथ-मिलाई नहीं हुई और कोई समारोह नहीं हुआ। उस दिन फ्रांस की राजधानी पेरिस के लोग लाखों की संख्या में बाहर निकले और उन्होंने बस्टिले की जेल को तोड़कर उन सारे कैदियों को छुड़ाया जिन्हें फ्रांस के बादशाह ने बंद कर रखा था। वहीं 4 जुलाई को अमरीकी जनता ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ आजादी की लड़ाई को अपनी आजादी का दिन घोषित किया था।

इन सबके बावजूद सत्तासीन कांग्रेस का बूढा नेतृत्व महात्मा गांधी की उपेक्षा करने लगा था। क्योंकि महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘भारत को आजादी मिलने के बाद कांग्रेस पार्टी को विसर्जित कर देना चाहिए।’ लेकिन ऐसा नहीं हुआ। महात्मा गांधी भारत विभाजन के पक्ष में नहीं थे। लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस नेतृत्व ने उसे स्वीकार किया। 42 की क्रान्ति में युवा समाजवादियों के हाथ में आन्दोलन की कमान जाने से कांग्रेस का वृद्ध नेतृत्व नाराज था। शायद यही कारण रहा होगा कि 9 अगस्त के जन-दिवस को स्वतंत्रता दिवस न मानकर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस रखा गया होगा।

लेख: राजनाथ शर्मा
समाजवादी चिन्तक/लोकतंत्र सेनानी
(अध्यक्ष गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट)

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
135,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...