36.1 C
Indore
Saturday, April 20, 2024

राजनैतिक हिंसा : कड़वाहट भरी शुरुआत के मायने ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ एक बार फिर देश की सत्ता संभाल चुके हैं। उन्होंने अपना विशाल मंत्रिमंडल भी गठित कर लिया है। इस बार 30 मई को प्रधानमंत्री का शपथग्रहण समारोह कई बातों को लेकर ऐतिहासिक माना जा रहा है। बताया जाता है कि इसके पूर्व हुए प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोहों में अधिक से अधिक पांच हज़ार विशिष्ट व्यक्ति ही शरीक हुए थे। परंतु इस बार यह आंकड़ा आठ हज़ार विशिष्ट मेहमानों तक पहुंच गया है। प्रधानमंत्री ने अपने 2014 के शपथ ग्रहण समारोह में जहां दक्षेस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था वहीं इस बार ‘बंगाल की खाड़ी बहु क्षेत्रीय तकनीकी व आर्थिक सहयोग उपक्रम (बिमस्टेक) देशों के प्रमुख शपथ ग्रहण समारोह में शोभायमान रहे। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री कार्यालय को ही शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले आमंत्रित अतिथियों की सूची को अंतिम रूप देना होता है। निश्चित रूप से यह उनका अधिकार भी है।


परंतु यह भी सच है कि देश के प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह निर्विवाद भी होना चाहिए और पूरे देश को यहां तक कि सभी राजनैतिक दलों तथा विभिन्न विचारधारा रखने वाले लोगों को भी ऐसा आभास होना चाहिए कि देश का कोई प्रधानमंत्री शपथ लेने जा रहा है और यह शपथग्रहण समारोह देश के प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह है किसी दल विशेष का नहीं। परंतु इस बार के शपथग्रहण समारोह में कई तल्खियां सामने आईं।

प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में इस बार आमंत्रित किए गए देशी व विदेशी मेहमानों के साथ-साथ उन भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवारों के लोग भी शामिल थे जिन्हें कथित रूप से पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान हुई हिंसा में अपनी जानें गंवानी पड़ी थीं। यह संभवत: पहला अवसर था जबकि राजनैतिक हिंसा के शिकार लोगों के परिजनों को इतने बड़े समारोह में आमंत्रित किया गया हो।

इन लोगों को कलकता से विमान द्वारा दिल्ली लाने व वापस जाने का बा$कायदा प्रबंध भारतीय जनता पार्टी द्वारा किया गया था। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मु यमंत्री ममता बैनर्जी को भी इस समारोह में शरीक होना था। परंतु अंतिम समय में उन्होंने ‘मोदी जी आईएम सॉरी’ का संदेश छोड़ कर शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया।

इनके अतिरिक्त भी और कई प्रमुख नेता व मु यमंत्री इस शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए। जबकि विपक्ष की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री डा० मनमोहन सिंह,सोनिया गांधी तथा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने समारेाह में शिरकत कर राजनैतिक तल्खियो को चुनाव प्रचार के साथ ही दफन किए जाने का संदेश दिया। हालंाकि प्रधानमंत्री ने भी पार्टी कार्यालय में जीत के बाद अपने पहले संबोधन में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यही बात कही थी।

इन सब के बावजूद आखिर क्या वजह थी कि प्रधानमंत्री द्वारा पश्चिम बंगाल की हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों को आमंत्रित किया गया? गौरतलब है कि चुनाव से पूर्व हुए पुलवामा के आतंकवादी हमले तथा उसके बाद भारतीय सेना द्वारा की गई बालाकोट एयरस्ट्राईक का प्रधानमंत्री सहित पूरी भाजपा ने चुनाव में ज़ोर-शोर से प्रचार किया था। इस घटना को ‘घर में घुस कर मारने की क्षमता रखने वाले मोदी के मज़बूत नेतृत्व के रूप में चुनाव के दौरान ब$खूबी प्रचारित किया गया।


इस घटना में केंद्रीय सुरक्षा बल के 40 जवान शहीद हुए थे। क्या देश के लोगों को यह जानने का अधिकार नहीं है कि किन परिस्थितियों में और क्योंकर पश्चिम बंगाल में हिंसा में मारे गए भाजपा के लगभाग 50 कार्यकर्ताओं के परिजनों को तो शपथ ग्रहण समारोह में आने-जाने के लिए सरकार द्वारा लाल क़ालीन बिछा दी गई परंतु पुलवामा के 40 शहीदों के परिजनों को इस योग्य नहीं समझा गया? जिन शहीदों के नाम पर चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा को मुद्दा बनाया गया क्या उन शहीदों के परिवार के लोगों को अपने ‘मज़बूत प्रधानमंत्री का शपथग्रहण समारोह देखने का कोई अधिकार नहीं था? निश्चित रूप से पश्चिम बंगाल के कार्यकर्ताओं के परिवार के लोगों को आमंत्रित कर शपथ ग्रहण समारोह पर राजनीति खासतौर पर पार्टी का रंग चढ़ाने का प्रयास किया गया। एक सवाल यह भी है कि क्या भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता केवल पश्चिम बंगाल में ही मारे गए? पूर्वोत्तर के राज्यों,तमिलनाडु,केरल,बिहार तथा उत्तर प्रदेश में भी ऐसी हत्याएं होती रही हैं।


आखिर वहां के भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों क्यों नहीं आमंत्रित किया गया? पश्चिम बंगाल में मारे गए पार्टी कार्यकर्ताओं के परिजनों को ही क्यों?आखिर इसे पश्चिम बंगाल में निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर क्यों न देखा जाए?

जहां तक पश्चिम बंगाल में हिंसा व वहां के हिंसक वातावरण का प्रश्र है तो यह प्रदेश दशकों से हिंसक वातावरण में ही जीता आ रहा है। चाहे राज्य में किसी भी दल की सरकारें रही हों। क्या कांग्रेस तो क्या वामपंथी,क्या तृणमूल कांग्रेस तो क्या भाजपा सभी पार्टियों के सैकड़ों कार्यकर्ता राजनैतिक हिंसा का शिकार हो चुके हैं। गरीबी व बेरोज़गारी ने दशकों से पश्चिम बंगाल में ऐसा ही वातावरण बना रखा है। बहरहाल ममता बैनर्जी ने इसी ‘अप्रत्याशित निमंत्रण के ही विरोध में संभवत: समारोह में शरीक न होने का फैसला किया। शपथ ग्रहण समारोह में दूसरी तल्खी जनता दल युनाईटेड के नेता व बिहार के मु यमंत्री नितीश कुमार की ओर से देखी गई जो शपथ ग्रहण समारोह में शरीक तो हुए परंतु उन्होंने मोदी मंत्रिमंडल में अपनी सहभागिता नहीं निभाई।

बताया जा रहा है कि एक घटक दल के एक मंत्री का फार्मूला उन्हें स्वीकार नहीं था। और वह बिहार में जेडीयू द्वारा जीती गई 16 लोकसभा सीटों के अनुपात के अनुसार मंत्रिमंडल में कम से कम तीन मंत्रियों को शामिल कराना चाह रहे थे। हालांकि नितीश कुमार ने उस दिन यही कहा कि वे मंत्रिमंडल में शामिल न होने के बावजूद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे। परंतु दिल्ली से पटना पहुंचते ही उन्होंने अपने बिहार मंत्रिमंडल का विस्तार किया जिसमें उन्होंने भाजपा के एक भी मंत्री को शपथ नहीं दिलाई। इस घटना से भी संदेश स्पष्ट हो गया कि भले ही भाजपा व जदयू राजग घटक दल का हिस्सा क्यों न हों परंतु दरअसल यह रिश्ता तल्खयों भरा ही है। कुछ इसी प्रकार की खींचतान सहयोगी दल होने के बावजूद भाजपा व शिवसेना में भी चलती रहती है।

उधर राजनाथ सिंह के स्थान पर अमितशाह को नया गृहमंत्री बनाकर प्रधानमंत्री ने देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को आश्चर्य में डाल दिया है। अमितशाह के पिछले ‘चरित्र चित्रण’ संबंधी आलेख व रिर्पोटस अनेक पत्र-पत्रिकाओं की सुर्खयां बनी हुई हैं। हालांकि किसे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना है और किसे कौन सा मंत्रालय देना है यह भी प्रधानमंत्री का ही एकाधिकार है।

परंतु यदि राजनीति में ज़रा सी भी नैतिकता बची है तो वह देश के लोगों को नज़र भी आनी चाहिए। तल्खयों भरे चुनाव प्रचार से लेकर शपथ ग्रहण समारोह के अतिथियों की विवादित सूची तक तथा मंत्रिमंडल में सहयोगी दलों की प्रतिनिधित्व सं या से लेकर मंत्रालय के आबंटन तक जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वह स्वस्थ तथा नैतिकतापूर्ण राजनीति का परिचायक नहीं है। वास्तव में देश के प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह का संदेश कुछ इस तरह जाना चाहिए कि देशवासियों को यह महसूस हो कि यह देश व देश की जनता का शपथ ग्रहण समारोह है न कि किसी राजनैतिक दल विशेष का। इतने महत्वपूर्ण समारोह का कई प्रमुख नेताओं द्वारा बहिष्कार करना राजनैतिक कड़वाहट का संकेत देता है जोकि एक स्वस्थ राजनैतिक परंपरा के बिल्कुल विरुद्ध है।

:-तनवीर जाफरी

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
135,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...