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Friday, March 29, 2024
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खंडवा लोकसभा चुनाव : अरूण की जगह नंदु आया

खंडवा लोकसभा चुनाव
खंडवा लोकसभा चुनाव

खंडवा [ TNN ]  पुराने लोग कह गए हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है। इस लोकसभा चुनाव में भी खंडवा का इतिहास दोहराया है। वही तारीख, वही समय, वही स्थान, वही दोनों प्रत्याशी और वही घटनाक्रम 16 मई 2009 और 2014 में घटा। बस फर्क इतना था कि दोनों प्रत्याशियों के रोल बदल गए। 16 मई 2009 को सुभाष स्कूल के उसी मैदान में नंदु भैया ने अरूण यादव को माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर सांसद बनने की बधाई दी थी।

ठीक यही घटनाक्रम 16 मई 2014 को घटित हुआ। उसी स्थान पर उसी तरीके से अरूण यादव ने माला और मिठाई से नंदु भैया को सांसद बनने की बधाई दी। 16 वीं लोकसभा के चुनाव में देश में शायद यह पहला घटनाक्रम था जिसमें इतिहास ने अपने आप को दोहराया है। पांच साल का राजनैतिक वनवास और चेहरे पर मायूसी लेकर घूम रहे नंदु भैया की रौनक इसी समय पहली बार लौटते हुए लोगों ने देखी।

वर्ष 2009 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कश्मकश मुकाबले में भाजपा के पूर्व सांसद नंदकुमारसिंह चौहान को कांग्रेस प्रत्याशी अरूण यादव ने लगभग 49 हजार मतों से पराजित किया था। वहीं 2014 के संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के महासंग्राम में प्रदेश के महामंत्री नंदकुमारसिंह चौहान ने कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री व प्रत्याशी अरूण यादव को पांच गुना वृद्धि कर 2 लाख 59 हजार मतों से पराजित कर अपनी हार का बदला लिया।

उल्लेखनीय है कि 16 मई 2008 को सुभाष स्कूल में हुई मतगणना के पश्चात नंदकुमारसिंह चौहान ने अपनी हार स्वीकार करते हुए अरूण यादव जीत की बधाई देते हुए विजयी माला पहनाई थी। 16 मई 2014 को ही उसी सुभाष स्कूल के मैदान में कांग्रेस प्रत्याशी अरूण यादव ने अपनी हार स्वीकार करते हुए नंदकुमारसिंह चौहान को विजयश्री की बधाई देते हुए पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया।

PHOTO 01- 2009 के चुनाव में जहां उस समय ठा. राजनारायण सिंह, पुरूषोत्तम शर्मा, हरीश कोटवाले, सुरेन्द्र अग्रवाल, सुनील जैन उपस्थित थे

PHOTO 02 –  16 मई 2014 की मतगणना के पश्चात नंदकुमारसिंह चौहान के स्वागत के समय कांग्रेस के अजय ओझा, विरेन्द्र मिश्रा, श्याम यादव, प्रवक्ता सुनील जैन, मोहन गंगराड़े, रियाज हुसैन, प्रशांत बार्चे उपस्थित थे।

सुपर स्टार पत्रकार , राजनीति में फ्लॉप !

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मोदी ने ऐतिहासिक जीत प्राप्त की है, लेकिन इसी लहर में तमाम पत्रकारों को मुंह की खानी पड़ी, जिनमें से ज्यादातर पत्रकार आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं। आम आदमी पार्टी ने वैसे भी ना केवल दिल्ली विधानसभा से बल्कि लोकसभा इलेक्शंस में कई पत्रकारों को टिकट दिया था। विधानसभा चुनावों में तो मनीष सिसौदिया और राखी बिरला जैसे लोगों को कामयाबी मिली, लेकिन लोकसभा चुनावों में किसी के भी सर जीत का सेहरा नहीं बंधा। वैसे विधानसभा चुनावों में भी शाजिया इल्मी जीत नहीं पाई थी।

पंद्रहवीं लोकसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी ने आशुतोष, आशीष खेतान, जरनैल सिंह और राखी बिरला को दिल्ली से टिकट दिया तो शाजिया इल्मी को गाजियाबाद सीट से लड़ाया गया। यानी दिल्ली से चार पूर्व पत्रकारों को दिल्ली की लोकसभा सीटों से मौका दिया गया, जिसमें से सारे कैंडिडेट्स दूसरे स्थान पर रहे। चैनल आईबीएन7 के पूर्व मैनेजिंग एडीटर आशुतोष ने ठीक चुनावों से पहले अपने चैनल से इस्तीफा दिया था, उनको आप पार्टी का प्रवक्ता बना दिया गया और बाद में चांदनी चौक से सिब्बल के सामने पार्टी की टिकट दे दी गई, लेकिन सारा खेल बीजेपी ने हर्षवर्धन के नाम का ऐलान करके कर दिया। आशुतोष को यूं तो आप के सारे उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा वोट मिले तकरीबन तीन लाख, लेकिन फिर भी उन्हें एक लाख पैंतीस हजार वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा।

तहलका और आज तक जैसे संस्थानों में काम कर चुके और अपने स्नूपगेट जैसे केसेज में खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर आशीष खेतान भी अजय माकन और मीनाक्षी लेखी के सामने खड़े थे और तकरीबन दो लाख नब्बे हजार वोट भी लेकर आए लेकिन लेखी ने फिर भी उन्हें डेढ़ लाख वोट से हरा दिया। जबकि वो उस नई दिल्ली सीट से खड़े थे, जिससे विधानसभा चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया था।

यूं तो केजरीवाल ने विधानसभा चुनावों के दौरान कहा था कि किसी एमएलए को एमपी के लिए टिकट नहीं दी जाएगी। फिर भी राखी बिरला को नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से पहले से घोषित उम्मीदवार महेन्द्र सिंह का टिकट काटकर टिकट दिया। जैन टीवी में पत्रकार रह चुकीं राखी बिरला को केजरावाल ने अपनी 49 दिन की सरकार में वूमेन एंड चाइल्ड सोशल वेलफेयर मिनिस्टर बनाया गया था। विधानसभा चुनावों में राजकुमार चौहान जैसे कद्दावर को हराने वाली राखी बिरला को हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए दलित नेता उदित राज ने एक लाख छह हजार वोटों से हरा दिया। तो दिल्ली से ही चौथे आप उम्मीदवार दिल्ली के दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो में काम कर चुके जरनैल सिंह थे, जो कभी पी चिदंबरम पर जूता फेंकने की वजह से प्रसिद्ध हैं। उनको वेस्ट दिल्ली से खड़ा किया गया, उनको साहब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा ने दो लाख अड़सठ हजार वोटों से हरा दिया।

एनसीआर में भी टीवी की दुनियां से जुड़े दो चेहरों को टिकट आप पार्टी ने दिया था। गाजियाबाद से एबीपी न्यूज की पूर्व एंकर शाजिया इल्मी को और न्यूज चैनल्स पर चुनाव एक्सपर्ट के तौर पर बैठने वाले योगेन्द्र यादव को गुड़गांव से। दोनों की ही जमानत जब्त हो गई। शाजिया पांचवी पोजीशन पर रहीं, बमुश्किल उन्हें एक लाख वोट मिले, जबकि पहली पोजीशन पर रहने वाले वीके सिंह को सात लाख से भी ज्यादा वोट मिले। तो वहीं गुड़गांव से योगेन्द्र यादव जो टीवी पर दूसरों के जीतते और हारने की वजह का विश्लेषण सालों से करते आए हैं, को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। पहली पोजीशन पर बीजेपी के राव इंद्रजीत सिंह आए।

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प्रिंट से दैनिक जागरण के जरनैल सिंह के अलावा चंदन मित्रा और प्रगति मेहता को भी टिकट मिला था। पायोनीयर के संपादक चंदन मित्रा बीजेपी की टिकट पर पश्चिम बंगाल के हुगली से चुनाव मैदान में थे, मोदी ने उनके लिए चुनावी रैली भी की लेकिन टीएमसी की रत्ना डे उन्हें मात खानी पड़ी। तो वहीं लालू यादव ने हिन्दुस्तान अखबार के मुजफ्फरपुर संस्करण में जॉइंट न्यूज एडिटर की पोस्ट पर काम कर रहे प्रगति मेहता को मुंगेर की सीट से टिकट दिया। लेकिन उनको भी एलजेपी की वीना देवी के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। -समाचार4मीडिया

नरेंद्र मोदी : चाय बेचने वाले से लेकर प्रधानमंत्री तक

 narendra modi

गुजरात के एक रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी आज देश के प्रधानमंत्री पद पर काबिज हैं। गरीबी में पले बढ़े और उतार-चढ़ाव से भरी जिंदगी जीने वाले मोदी अतंत: राजनीति के शिखर तक पहुंचे। नरेंद्र दामोदरदास मोदी (63) अब 14वें प्रधानमंत्री के रूप में देश की सत्ता पर काबिज होने के लिए तैयार हैं।

मोदी की कहानी मुंबइया फार्मूला फिल्म की तरह लगती है। आज मोदी के पास गुजरात में 13 वर्ष तक शासन करने का प्रशासनिक अनुभव है। सहयोगियों का कहना है कि मोदी में विपरीत अवसरों को बदलने की क्षमता है जिसके कारण वह नए मील के पत्थरों को गाड़ते जाने में कामयाब हुए हैं। गुजरात के एक छोटे से कस्बे वडनगर के एक गरीब परिवार में 17 सितंबर 1950 को जन्मे मोदी अपने माता-पिता की छह संतानों में तीसरे हैं। उनका परिवार एक तंग घर में रहता था जहां सूरज की रोशनी भी बमुश्किल से पहुंचती थी और जमीन कच्ची थी। घर में मिट्टी तेल की चिमनी से अंधेरा मिटता था।

उनके पिता वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान चलाते थे जहां बचपन में कुमार नाम से पुकारे जाने वाले मोदी ट्रेनों में एक आने की चाय और दो आने की स्पेशल चाय बेचा करते थे। तब मोदी छह वर्ष के थे। उन्हें रोज 5 बजे उठना होता था। जब स्कूल में पढ़ते थे उन दिनों भी रेलगाड़ी की सीटी सुनकर वे भागते थे और चाय बेचकर फिर कक्षा में लौटते थे। उनकी मां हीराबेन उन दिनों दूसरों के घरों में काम करती थी। बर्तन साफ करती थी। वे एक निजी कार्यालय के लिए एक कुएं से पानी भी पहुंचाती थी।

जब युवा मोदी भारतीय सेना में जाने के लिए एक परीक्षा में शामिल होना चाहते थे तब उनके पिता के पास उन्हें जामनगर कस्बे तक भेजने के लिए पैसे नहीं थे। अवसाद में वह साधु बन गए। समय के साथ मोदी संन्यासी बन गए। 17 वर्ष की अवस्था में उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वे सत्य की तलाश में गृह त्याग करना चाहते हैं। 1970 में उन्होंने घर छोड़ दिया। वे संत होना चाहते थे।

लोकसभा चुनाव परिणाम 2014 : महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना की शानदार जीत

bjp shiv sena alliance

मुंबई [ TNN ]‘मोदी लहर ’ पर सवार और सत्ताविरोधी कारण को भुनाते हुए भाजपा-शिवसेना नीत गठबंधन ने महाराष्ट्र में शानदार जीत कर कांग्रेस.राकांपा गंठबंधन को शिकस्त दी और राज्य की 48 में से 42 सीटें अपने नाम कर लीं।

सत्तारूढ गठबंधन का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा और उसकी झोली में महज छह सीटें आईं। भाजपा ने 23, शिवसेना ने 18 और उसके सहयोगी स्वाभिमानी पक्ष ने एक सीटें जीती जबकि कांग्रेस के खाते में दो और राकांपा की झोली में चार सीटें गईं। निवर्तमान लोकसभा में कांग्रेस के 17 और राकांपा के आठ सदस्य हैं जिस लिहाज से उसे करारी शिकस्त मिली है।

विपक्ष के निशाने बनाने और इस्तीफे की मांग के बाद मुख्यमंत्री पृथ्वी चव्हाण ने कहा कि वह हार के लिए ‘पूरी नैतिक जिम्मेदारी` लेते हैं। इस चुनाव में केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे प्रफुल पटेल और प्रतीक पटेल वरिष्ठ राकांपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल और नौ बार सांसद रहे माणिकराव गावित जैसे दिग्गज खेत रहे।

उद्योग मंत्री नारायण राणे ने इस्तीफा दे दिया। उनके बेटे निलेश की सिंधुदुर्ग-रत्नागिरी सीट से हार गए हैं। राणे ने हार के लिये जिम्मेदारी लेते हुए कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। नागपुर से पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के जीतने के बाद एक और कांग्रेस मंत्री नितिन राउत ने भी इस्तीफा दे दिया। हारने वालों में सामाजिक कार्यकर्ता और आप की उम्मीदवार मेधा पाटेकर और कांग्रेस की प्रिय दत्त भी शामिल हैं।

भाजपा विधायक ने नर्स को थप्पड़ मारा

खंडवा [TNN] पंधाना से भाजपा की विधायक योगिता नवल सिंह पर सरकारी महिला अस्पताल में पहुंचकर एक नर्स को थप्पड़ मारने और दूसरी नर्सो के साथ झूमा झटकी का आरोप लगा। विधायक अपनी रिश्तेदार को डिलेवरी करवाने अस्पताल पहुंची थी। थप्पड़ के खिलाफ अस्पताल की सारी नर्से लामबंद हो गई और विधायक के खिलाफ शासकीय काम में बाधा पहुंचाने पर गिरफ्तार करने की मांग की। नर्सो ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले में एक ज्ञापन भी सौंपा है।

आरोप अनुसार बुधवार सुबह लगभग 5 बजे पंधाना की विधायक योगिता नवलसिंह बोरकर अपनी भांजी रिंकु को डिलेवरी करवाने सरकारी महिला अस्पताल पहुंची। यहां ड्युटी पर तैनात नर्सो के बरताव से वह गुस्सा हो गई और उन पर ठीक तरह से मरीज की देखभाल नहीं करने का आरोप लगाया। इस दौरान एक नर्स प्रिंसी वर्गीस को उन्होंने थप्पड़ भी मारा और सस्पेंड कराने की धमकी दी।

इस घटना के बाद अस्पताल की सारी नर्से लामबंद हो गई और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को विधायक के खिलाफ कार्यवाही करने का ज्ञापन दिया। नर्सो के स्टाफ संगठन का कहना था कि अचार संहिता के दौरान विधायक ने अनावश्यक दबाव डाला और शासकीय काम में बाधा भी पहुंचाई। नर्सो ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की है।

इस बारे में जब विधायक से पूछा तो योगिता नवलसिंह ने कहा कि किसी भी नर्स को थप्पड़ नहीं मारा और न ही कोई धमकी दी। उन्होंने कहा कि डिलेवरी के दौरान ड्यूटी नर्से इन्फेक्शन फैलने संबंधित सावधानी बरते बगैर ही गंदे टेबल पर डिलेवरी करवा रही थी इसका उन्होंने विरोध किया था। विधायक ने कहा कि नर्से अपने बचाव के लिए उन पर थप्पड़ मारने का आरोप लगा रही हैं।

सभी नर्सो ने सिविल सर्जन को अपनी सुरक्षा और विधायक के प्रति कार्यवाही करने संबंधी ज्ञापन सौंपा। अस्पताल प्रशासन ने भी वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में एक जांच समिति बनाकर निष्पक्ष जांच कराने का भरोसा दिलाया।

खंडवा महिला अस्पताल में नर्सो पर मरीजों के प्रति लापरवाही बरतने के कई आरोप पहले भी लग चुके हैं लेकिन विधायक ने अपने पद की गरिमा का ध्यान रखे बगैर जो काम किया है वह भी कम गंभीर नहीं है।

@तुषार सेन 

जरीन खान की लाइफ का सीक्रेट जाने !

 आज 14 मई को बॉलीवुड की लकी गर्ल ज़रीन खान का जन्मदिन है May 14, 1987 (age 27 years) और 27 साल की हो रही है । ज़रीन खान सलमान खान की ड्रीम फिल्म में ड्रीम रोल लेकर जरीन रातों रात स्टार बन गई हैं । जरीन खान आज एक ऐसे मुकाम पर हैं जहां बॉलिवुड की हिरोइनों को पहुंचने में कई साल लग जाते हैं ।      आप को  पता है  की ज़रीन को सलमान खान से  बहुत डर लगता है।  

zarine khan

मैनेजर के साथ स्टोर में छुपना पड़ा

वर्ष 2010 में ज़रीन ने दबंग सलमान खान के साथ फिल्म वीर के जरिये बॉलीवुड में अपने फ़िल्मी करियर की थी|जिसके बाद वो सलमान की फिल्म रेडी में आइटम नंबर ‘कैरेक्टर ढीला है’ पर ठुमके लगातीं दिखीं। कटरीना की हमशक्ल मानी जाने वाली जरीन उस वक़्त मुसीबत में पड़ गयीं जब वो भोपाल में एक स्टोर के ओपनिंग पर गयीं हुईं थी। मिली जानकारी के मुताबिक, जरीन को दोपहर 2.00 बजे स्टोर पहुंचना था और मुंबई लौटने की उनकी 3.15 की फ्लाइट भी थी।

दरअसल स्टोर के उद्घाटन के बाद जब जरीन जैसे ही निकलने को हुईं तभी उनके प्रशंसकों ने उन्हें घेर लिया और डिमांड करने लगे कि जरीन आइटम ‘कैरेक्टर ढीला’ है पर ठुमके लगा कर दिखायें। तब जरीन को भीड़ से बचने के लिये अपने मैनेजर के साथ स्टोर में छुपना पड़ा।

ज़रीन का ऑपरेशन हुआ

ज़रीन रितेश देशमुख के साथ हाउसफुल-2 की शूटिंग कर रही थीं जहाँ उन्हें अचानक पेट में तेज़ दर्द हुआ था |जब प्राथमिक उपचार के बाद भी दर्द कम न हुआ तो ज़रीन को अस्पताल में भर्ती कराया गया था | डॉक्टरों ने उन्हें सर्जरी कराने की सलाह दी थी | यहाँ ज़रीन का अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ |

100 किलो था जरीन का वजन

जरीन ने जब बॉलीवुड में अपने करियर का आगाज किया तो उनका वजन काफी ज्यादा था, लेकिन सलमान की सलाह से वो हमेशा अपना वजन कम करती रहती हैं। जरीन अब काफी स्लिम दिखाई देती हैं, लेकिन एक समय उनका वजन 100 किलो था। हालांकि, अब उनका वजन 60 किलो है। यानी उन्होंने अपना 40 किलो वजन घटा लिया है। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि वो नारियल पानी पर ज्यादा निर्भर रहती हैं। इससे उनका वजन भी कम होता है और दिन भर तरोताजा रहती हैं।

जरीन खान की फिल्में

साल फिल्म
2009 वीर
2011 रेडी
2012 हाउसफुल 2
2013 नान राजावागा पोगिरेन (तमिल)
2014 जट जेम्स बॉन्ड (पंजाबी)

         

 

अमेरिका में 200 से अधिक समलैंगिक को शादी का लाइसेंस

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समलैंगिक को मिला शादी का लाइसेंस DEMO PIC

अमेरिका के रूढ़ीवादी अरकंसास राज्य में एक न्यायाधीश द्वारा समलैंगिक विवाह पर 10 साल से जारी प्रतिबंध खत्म करने के बाद 200 से अधिक समलैंगिक युगलों ने विवाह के लाइसेंस प्राप्त किए | लेकिन ये शादियां कुछ ही अदालतों में हुईं क्योंकि अधिकतर पादरी पहले राज्य की सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई फैसला सुनाने की बात कहकर इनसे दूर रहे |

अटॉर्नी जनरल डस्टिन मैकडेनियल ने हाल में समलैंगिक विवाह अधिकारों का व्यक्तिगत रूप से समर्थन करने की घोषणा की थी लेकिन उन्होंने कहा कि वह मसौदा कानून का समर्थन करेंगे ताकि कम से कम अस्थाई रूप से प्रतिबंध बना रहे. दूसरे राज्य जहां समलैंगिक विवाह पर प्रतिबंध हटाया गया है, वहां या तो न्यायाधीशों ने अपने आदेश के संबंध में स्थगन आदेश जारी किए या सरकारी वकीलों ने तत्काल ऐसा करने की मांग की |

मैकडेनियल के कार्यालय ने शुक्रवार रात को स्थानीय न्यायाधीश से स्थगन का अनुरोध किया था. न्यायाधीशों ने दोनों पक्षों को दलील पेश करने को कहा है. राज्य के करीब 75 पादरियों ने शादी के लाइसेंस नहीं दिए. शादी कराने वाले पादरी समेत गिने चुने पादरियों ने स्थगन का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की और कहा कि न्यायाधीश का फैसला उस कानून पर ध्यान नहीं देता जिसके तहत गलत तरीके से शादी के लाइसेंस जारी करने के लिए पादरियों पर जुर्माना हो सकता है |

शनिवार और रविवार को हुई शादियों के साथ अरकंसास अमेरिका में समलैंगिक शादी को मंजूरी देने वाला 18वां राज्य बन गया |-इंटरनेट डेस्क 

US state of Arkansas allows gay-marriage

अपनी पहचान खोता ऐतिहासिक शहर मेरठ

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ऐतिहासिक शहर मेरठ। इस शहर को इस बात पर बहुत नाज है कि भारत की जंग-ए-आजादी की पहली चिंगारी इसी शहर से भड़की थी। जंग-ए-आजादी की लड़ाई में शहीद होने वालों की फेहरिसस्त गवाह है इस बात की कि हिंदुस्तान को आजादी दिलाने में 10 मई 1857 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक हिंदुओं और मुसलमानों ने बराबर की कुरबानियां दी थीं। मेरठ के लोगों को इस पर नाज है कि हमने ही सबसे पहले देश को आजाद कराने के लिए लड़ाई शुरू की थी। नाज तो इस पर भी है कि हम दुनियाभर में खेलों का सामना भेजते हैं। बेहतरीन कपड़ा बुनते हैं। पूरी दुनिया हमारी रेवड़ी और गजक की दीवानी है। कैंचियां भी मेरठ शहर की पसंद की जाती हैं। इतराते तो इस बात पर भी हैं कि हफीज मेरठी इसी सरजमीं पर पैदा हुए थे, तो कवि हरिओम पवार का नाम भी मेरठ शहर से ही जुड़ा है। न जाने कितनी हस्तियां इस शहर से वाबस्ता रहीं, जिनके नाम से मेरठ को पहचाना जाता है।

अगर इन बातों पर गर्व है, तो मेरठ को इस बात पर भी शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए कि दुनियाभर में इसी शहर के लोगों ने इस शहर को ‘दंगों का शहर’ के लिए भी कुख्यात किया है। किसी दूसरे शहर में जब कोई यह बताता है कि मेरठ से ताल्लुक रखता हूं, सामने से जवाब आता है कि वहां सांप्रदायिक दंगे बहुत होते हैं। इससे ज्यादा शर्मसार करने वाली बात क्या होगी कि जिस सुबह मेरठ 10 मई 1857 के शहीदों को याद कर रहा था, दोपहर तक सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस गया। मेरठ अपने माथे पर एक और दंगे का दाग लगवा बैठा। इस शहर ने छोटे-मोटे दंगों से लेकर 1982 और 1987 के खूंखार दंगे भी देखे हैं। ‘दंगों का शहर’ का कलंक मेरठ कभी नहीं धो पाया। कभी-कभी लगता है कि इस शहर के लोग इतने परिपक्व हो गए हैं कि यह कलंक धुल जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। 1987 के खूंखार दंगों के निशां अभी पूरी तरह से मिटे नहीं हैं। वे लोग उन दिनों को याद करते हुए कांप उठते हैं, जिन्होंने उन दंगों को झेला और जिसकी आग में कितनों के अपने जल मरे। हां, इतना शऊर तो आया है कि अब दंगा शहर के दूसरे इलाकों तक नहीं पहुंचता।

कहते हैं कि मेरठ नए मिजाज का शहर है। वाकई ऐसा ही है। यहां किस बात पर कब दंगा भड़क जाएगा, कहना मुश्किल है। इसी शहर के बारे में कहा जाता है कि यहां अंडा फूटने पर भी दंगा हो जाता है। यह बात यूं ही नहीं कही जाती। 1993 में मात्र अंडा फूटने पर दंगा भड़क उठा था। दरअसल, सियासत ने मेरठ में कुछ इस तरह की साजिशें रची हैं कि उनसे पार पाना मुश्किल लग रहा है। इंसानों को हिंदू-मुसलमान में बांट दिया गया। आबादियां बांट दी गर्इं। यहां तक कि दिलों का बंटवारा करने की नापाक कोशिशें भी की जाती हैं। जब-जब यह लगता है कि अब मेरठ के लोग छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ रहे हैं, तब-तब सियासत ऐसी चाल चलती है कि हिंदुओं और मुसलमानों को आमने-सामने कर दिया जाता है। 10 मई को जिस तीरगरान इलाके में प्याऊ को लेकर भारी बवाल हुआ, उस पर पहले से ही विवाद है। विवाद भी नया नहीं, बहुत पुराना है। 1952 से मामला कोर्ट में है और कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दे रखे हैं। यह सवाल मौजूं है कि विवादित जगह पर किसी भी तरह का निर्माण किया ही क्यों जा रहा था? बेहतर तो यह होता कि दूसरे पक्ष की सहमति से कोई निर्णय लिया जाता। यह ठीक है कि पानी की प्याऊ की का निर्माण किया जा रहा था। इसके बावजूद भी दूसरे पक्ष की सहमति लेनी जरूरी तो थी ही। यदि निर्माण हो भी रहा था, तो दूसरे पक्ष को कानून का सहारा लेकर उसे रुकवाना चाहिए था। आखिर देश में कानून नाम की भी कोई चीज है या नहीं? खुद ही फैसला करने की जिद का नतीजा बड़े बवाल के रूप में सामने आया है। गलती दोनों तरफ से हुई। नतीजा भयंकर बवाल हुआ और एक ऐसा युवक जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वह नौ बहनों का इकलौता भाई है। विवादित स्थल अपनी जगह कायम रहेगा। लेकिन यदि उस नौजवान को कुछ हो गया तो उसकी भरपाई जिंदगीभर नहीं पाएगी।

एक दो दिन में शहर अपनी गति पकड़ लेगा। लेकिन इम्तहान के दिन खत्म नहीं हुए हैं। खुफिया एजेंसियां आशंका जता चुकी हैं कि लोकसभा चुनाव के परिणामों के दिन यानी 16 मई को खुराफाती तत्व ऐसा कुछ कर सकते हैं, जिससे शहर में बदअमनी फैल जाए। शांति बनाए रखने की कसौटी पर न केवल मेरठ है, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई शहर शामिल हैं। मुजफ्फरनगर में भी शरारती तत्व दोबारा सिर उठा रहे हैं। अविश्वास के घटाटोप अंधकार में ऐसा नहीं है कि उजाले की उम्मीद की कोई किरण है ही नहीं। जब अखबारों में हिंसा की खबरों के बीच ऐसी खबर नजर पर आती है, जो यह बताती है कि कैसे दंगाइयों के बीच फंसे बच्चों या बड़ों को निकाला गया, तो लगता है कि हमारी आंखों का पानी अभी पूरी तरह खुश्क नहीं हुआ है। आंखों के कहीं किसी कोने में नमी बाकी है, जो उम्मीद की लौ जलाए रखने में मदद करती है। आपसी सौहार्द की खबरें हौसला देती हैं कि मेरठ में ऐसे इंसान भी रहते हैं, जो नहीं चाहते कि ‘मेरठ दंगों’ के शहर के रूप में कुख्यात रहे।

लेखक सलीम अख्तर सिद्दीकी

मेरठ से प्रकाशित हिंदी दैनिक जनवाणी में सब एडिटर पद पर कार्यरत हैं।

संपर्कः sarimindia@gmail.com

रैंप पर पूनम ढिल्लन की साड़ी पैरों में आ गई और ….

Snapshot Poonam Dhillon trips over her sari while walking the ramp
डिजाइनर शाइना एनसी द्वारा आयोजित एक फैशन शो में पूनम ढिल्लन रैंप पर

रैंप पर हमेशा एक्ट्रैस और मॉडल अपने हुस्न के जलवे बिखरती नजर आती है पर कई बार रैंप पर वॉक करते उप्स मूमेंट का सामना करना पड़ता है। हाल ही में कुछ ऐसा एक्ट्रेस पूनम ढिल्लन के साथ हुआ।

डिजाइनर शाइना एनसी द्वारा आयोजित एक फैशन शो में पूनम ढिल्लन रैंप पर वॉक करती नजर आईं। पर उनके सायहां पूनम जैसे ही रैम्प पर डिजाइनर विक्रम फडनीस के लिए कैटवॉक करने उतरी तो इस दौरान उनकी साड़ी पैरों में आ गई और वह स्टेज पर ही गिर गईं।

पर इस दौरान पूनम झट से उठ खड़ी हुई और उन्होंने बिना घबराए या शर्मिंदा हुए रैम्प वॉक जारी रखा। पूनम ऑरेंज साड़ी में बेहद ही दिलकश नजर आ रही थीं। पूनम के अलाव भी कई सेलेब्स इस इवेंट में नजर आए।

बॉलीवुड की वेटरन एक्ट्रेस साधना ने रणबीर कपूर के साथ वाक की। इनके अलावा विवेक ओबेरॉय, मनीष पॉल, अदिति राव हैदरी, जैकी श्रॉफ, साक्षी तंवर, कॉमेडियन भारती, चंकी पांडे, नील नितिन मुकेश, गौहर खान समेत अन्य स्टार्स इस दौरान अपने खास अंदाज में नजर आए। PHOTO Courtesy

Snapshot : Poonam Dhillon trips over her sari while walking the ramp 

सलमान ख़ान का एहसानमंद हूं. : हिमेश रेशमिया

Himesh Reshammiya

हिमेश रेशमिया क्रिएटिविटी और बिजनेस के संगम की बेहतरीन मिसाल हैं. वे अपने पिता को दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करते हैं तो जय माता दी उनका फेवरिट नारा है. श्रीनाथजी के भक्त हिमेश अपनी अगली फिल्म द एक्सपोज के साथ तैयार हैं  | पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश |

क्या आप भाग्य में यकीन करते है?

मेरे पिता अपने समय के टॉप म्यूजिशियन थे. मेरे एक बड़े भाई जयेश थे, जिनकी 21 साल की उम्र में ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई थी. मेरे पिता ने फिल्में प्रोड्यूस करनी शुरू की थीं और उन्होंने उसी के लिए प्रोडक्शन कंपनी खोली थी. मैंने अपने पिता से कहा कि मैं हूं और मैंने फैसला किया कि मैं हमेशा अपने पिताजी के साथ रहूंगा. 16 की उम्र तक मेरे पास 300 ट्यून्स थीं, इन्हें मैंने कंपोज किया था. मैंने गुजराती टीवी में म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर काम शुरू कर दिया और फिर जीटीवी का अंदाज नाम का सीरियल मिला |

मुझे 25 साल की उम्र में प्यार किया तो डरना क्या में बतौर म्यूजिक डायरेक्टर पहला चांस मिला |मैं अपने पहले मौके के लिए पूरी तरह से खान फैमिली (सलमान भाई, सलीम भाई और सोहेल भाई) का एहसानमंद हूं. फिर मेरे पहले गाने आशिक बनाया आपने की वजह से मुझे फिल्मफेयर मिला. मेरे लिए टैलेंट से ज्यादा भाग्य ने काम किया है. मेरे भाई और पिता का आशीर्वाद मेरे लिए काम आया. सचाई यह है कि कुछ भाग्य और कुछ आशीर्वाद ने मेरे हक में काम किया |

आपने इतना वजन कैसे कम किया?

मैंने छह महीने में 20 किलोग्राम वजन घटाया. मैंने जबरदस्ट वर्कआउट किया और रात नौ बजे से सुबह 10 बजे के बीच कुछ नहीं खाता था. मैं वेजिटेरियन था लेकिन मैंने प्रोटीन इनटेक के लिए ग्रिल्ड चिकन खाना शुरू किया |

द एक्सपोज में यो यो हनी सिंह के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

वे फिल्म में खास हैं और फिल्म रिलीज होने के बाद हर कोई उनके नेगेटिव किरदार को पसंद करेगा. वे दिलदार आदमी हैं और मैं उन्हें यो यो हनी सिंह बनने से पहले से जानता हूं. हम अकसर बात करते थे और मिलकर कुछ करना चाहते थे |

आपको उस समय कैसा लगता है जब लोग आपके नाक से गाने पर चुटकी लेते हैं?

मेरा मानना है कि हर किसी की अपनी राय होती है. मेरे लिए कॉमर्शियल सक्सेस मायने रखता है. मुझे कंपोज करने में मजा आता है और यही मेरी असल ताकत है. मैं कोशिश कर रहा हूं  | 

कई गायकों को इस बात का रंज है कि अधिकतर म्यूजिक कंपोजर अपने गाने खुद गा रहे हैं. आपका क्या कहना है?

जब कंपोजर गाना गाता है तो उसकी आत्मा वैसी ही बनी रहती है जैसी वो चाहता है, कई बार सिंगर के साथ ऐसा नहीं हो पाता है. प्रोड्यूसर और सुपरस्टार को अगर आवाज सेट नहीं बैठती है तो कभी भी म्यूजिक डायरेक्टर की आवाज का इस्तेमाल नहीं करेंगे  | अगर सिंगर्स को लगता है कि वे अपने गाने खुद क्यों गा रहे हैं तो इसकी वजह यही है कि वे गाने अच्छा प्रदर्शन करें |

आप दुनिया में सबसे ज्यादा किसे प्यार करते हैं?

सौ फीसदी अपने पिता, जो मेरे गुरु भी हैं. मेरा म्यूजिक उन्हीं की छाया है. मेरे लिए उनका प्यार सब चीजों से ऊपर है. मैं आज भी हर गाने के लिए पहले उनकी मंजूरी लेता हूं. |मेरा मानना है कि जिस गाने को वे अपना आशीर्वाद देते हैं, वह हिट हो जाता है | उन्होंने अपना पूरा जीवन मेरे लिए झोंक दिया है और उन्हें मेरे पर पूरा भरोसा है |

विराट भारत –समाज अपना

Virat India - societyसंस्कृत के शब्द विराट का अर्थ है “एक ऐसा विशाल जिसमें सब चमकते हैं”. इसी शब्द से जुड़े अन्य शब्द सम्राट, एकराट (मनुष्य), राष्ट्र आदि हैं. अर्थात विराट भारत की कल्पना एक ऐसे राष्ट्र की है जिसका तंत्र सभी को सुख देने में समर्थ है. “सर्वे भवन्तु सुखिनः” श्रंखला के पिछले 9 लेखों में दो मुख्य तंत्रों – शासन तंत्र एवं प्रजा तंत्र के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी है.

वेदों में हर समय परिवर्तित होने वाले विश्व को “अग्निसोमात्मक जगत” कहा है, अर्थात एक “पूर्ण” कल्पना के लिए इसमें दो तत्वों अग्नि एवं सोम का होना जरूरी है. नीचे लिखे श्लोक से पूर्ण के बारे में:

पूर्णमदः पूर्णमिदम पूर्णात पूर्णमुदच्यते !
पूर्णस्य पूर्णमादाय
पूर्णमेवावशिश्य्ते !! ( ईशोपनिषद )

पूर्ण से पैदा हुआ है इसलिए जगत पूर्ण है. पूर्ण से यदि पूर्ण लें तो जो शेष बचेगा वह भी पूर्ण होगा. पूर्ण घटता है न बढ़ता, एक रस रहता है. अग्नि-सोम के प्रतीक पति-पत्नि के उदाहरण से पूर्ण को समझा सकता है. एक पूर्ण राष्ट्र की कल्पना में अग्नि एवं सोम के प्रतीक क्रमशः शासनतंत्र एवं प्रजातंत्र हैं.

वर्णाश्रम में ब्रह्मचर्य एवं गृहस्थ आग्नेय हैं, जबकि वानप्रस्थ एवं संन्यास अनुभव से परिपक्व होने के कारण सोम के प्रतीक हैं. इस प्रकार वर्णाश्रम अग्निसोमात्मक होने से पूर्ण है. विकास शासन एवं प्रजा के लिए पुत्रवत है. यदि विकास दोनों ही तंत्रों के सम्मिलित प्रयास से होगा तभी पूर्ण होगा. पूर्ण विकास की कल्पना को साकार करने के लिए इस श्रंखला में जो सिद्धांत प्रतिपादित किये हैं वे इस प्रकार हैं:

1. विकास का आधार शासन एवं प्रजा के बीच का विश्वास है. चुनाव द्वारा सरकार बना लेने से जनता का शासन के प्रति विश्वास सिद्ध नहीं होता. और ना ही शासन हर निर्णय के लिए जनता के समक्ष उपस्थित हो सकता है. चुनाव के तुरंत बाद पक्ष एवं विपक्ष दोनों को ही जनता के विश्वास के लिए, अगले पांच वर्ष के अपने मुद्दों की स्पष्ट चर्चा करनी चाहिए.

2. प्रत्येक चुनाव में लोग अपने जातीय, व्यक्तिगत आदि अनेक समीकरणों के आधार पर वोट देते हैं. परंतू चुनाव के बाद उन सभी समीकरणों को भूल प्रजा को अनेक भ्रमों से बचते हुए शासन में विश्वास बनाए रखना होगा. साथ ही वर्णाश्रम को समझ एवं गृहण कर चारों पुरुषार्थों को विकसित कर प्रजातंत्र को सुदृढ़ करना होगा.

3. शासन राष्ट्र की सम्पन्न्ता के लिए अर्थोपार्जन के केवल साधन सुलभ कराये, न कि स्वयं भूमि, उद्योगों आदि का मालिक बन वाणिकी में संलग्न हो. साथ ही पैनी नजर के ईमानदार एवं बफादार अफसरों द्वारा उनकी प्रजा के प्रति “हिंसक गति” पर नियंत्रण भी रखे.

4. भारत की एक विशेष सभ्यता रही है. “एकं सत्य विप्रा बहुधा वदन्ति” सिद्धांत को मानते हुए हिन्दू, बौद्ध, जैन आदि अनेक मतों के होते शासन निष्पक्ष रहे हैं. प्रजा में भी सभी अपने मतों को मानने के लिए स्वतंत्र रहे हैं. परंतू साम्प्रदायिक दंगे ना हों, इसके लिए प्रजातंत्र को स्थायी समाधान निकालना होगा.

5. शिक्षा एवं शिक्षक में सामर्थ्य हो कि वे शासन की परख कर उसे सुधार के सुझाव दे सकें तथा शासन के पूरी तरह भ्रष्ट हो जाने पर नए शासन का निर्माण कर सकें. शासन शिक्षा के लिए उचित आधारभूत ढांचा सुलभ कराये, तथा प्रजातंत्र शोध के महत्व को ध्यान में रखते हुए अनुभवी सन्यासियों द्वारा शिक्षा तंत्र से “सोम” की रचना कराये.

6. प्रजा का वानप्रस्थी एवं सन्यासी वर्ग यज्ञों द्वारा सुख का विस्तार करे. आज समाज में अज्ञानता के कारण महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. शासन की उचित दंड-व्यवस्था से इस जघन्य अपराध की रोक-थाम तो अवश्य हो सकती है, परंतू स्थायी समाधान के लिए सन्यासी समाज को शिक्षित करें.

7. देश के 2020 लाख से अधिक गैर-सरकारी संस्थान यज्ञ विधि से सामाजिक कार्यों को कर प्रजातंत्र का हिस्सा बने, न कि उन कार्यों के लिए शासन से धन की अपेक्षा करें.

मई 2014 के चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े गए हैं. शासन “पूर्ण विकास” की कल्पना को प्रजा के सहयोग के बिना कार्यान्वित नहीं कर सकता. भारत देश में प्रजा द्वारा सेवा कार्यों को करने की परम्परा रही है, परंतू आज के तकनीकी प्रधान युग में प्रजा को भी वर्णाश्रम के अलावा किसी तंत्र का निर्माण अवश्य करना होगा. इसके अलावा, शासन स्वयं में पूर्ण कैसे बने, ये दोनों विषय विचारणीय हैं.

इस श्रंखला का समापन करते हुए लेखक एक नयी श्रंखला “नयी विकास नीति” नाम से प्रारम्भ कर रहे हैं. नई श्रंखला में विकास के विभिन्न आयाम जैसे ऊर्जा, उद्योग, शिक्षा, ग्रामीण एवं शहरी विकास, आदि के लिए उपयुक्त नीति की चर्चा की जायेगी. यह चर्चा पूर्व-प्रसारित “सर्वे भवन्तु सुखिनः” श्रंखला में प्रतिपादित सिद्धांतों के आधार पर होगी.

 

 

Kanhaiya JhaKanhaiya Jha

(Research Scholar)

Makhanlal Chaturvedi National Journalism and Communication University,

Bhopal, Madhya Pradesh

+919958806745, (Delhi) +918962166336 (Bhopal)

Email : kanhaiya@journalist.com

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सलमान खान की पहली गर्लफ्रेंड को लेकर खुलासा !

Salman Khan's first girlfriend

बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान का नाम कई ऐक्ट्रैस के साथ जोड़ा जा सकता है। कैट्ररीना कैफ, ऐश्वर्या राय, संगीता बिजलानी कई अभिनेत्रियों से अफेयर की बातें सामने आई हैं। पर उनकी पहली गर्लफ्रेंड को लेकर खुलासा हुआ है। यह खुलासा किया है फुगली फिल्म के जरिए बॉलीवुड में एंट्री कर रही अशोक कुमार की नातिन किआरा आडवाणी ने। किआरा ने सलमान के बारे में बताया कि सलमान खान बहुत पहले मॉडल शाहीन जाफरी को डेट करते थे। यह उनका सबसे पहला रिलेशनशिप था। 

किआरा ने बताया, मेरी मां सलमान को बहुत पहले से जानती हैं क्योंकि वो बांद्रा में बड़े हुए हैं। वो मेरी मां जेनिव आडवाणी को कहते थे कि एक दिन मैं स्टार बनूंगा। वो दोनों लंबे समय तक दोस्त रहे। दोनों साइक्लिंग भी एक साथ करते थे।

मेरी मां ने ही सलमान का शाहीन मौसी से परिचय कराया और दोनों रसे पहले डेट करते थे। किआरा ने बताया कि वे सलमान के घर कई बार लंच पर भी जा चुकी हैं। उनके मुताबिक सलमान बहुत ही दोस्ताना व्यवहार करते हैं। किआरा ने बताया कि सलमान जब फुगली के सेट पर फिल्म का प्रमोशनल गाना शूट कर रहे थे, तब उनकी मां की मुलाकात सलमान से हुई थी।

भाजपा के पास संघ के नेताओं का आपत्तिजनक वीडियो

modi mohan bhagwatगांधीनगर [TNN ] वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला ने यह दावा कर विवाद खड़ा कर दिया है कि गुजरात भाजपा के पास संघ के नेताओं की तथाकथित वीडियो रिकॉर्डिग है। ये वीडियो रिकॉर्डिग उसी अश्लील सीडी जैसी है जिसके कारण सालों पहले संजय जोशी को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था।

यह स्पष्ट रूप से भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी पर हमला है जो गुजरात के मुख्यमंत्री भी है। वाघेला ने आरोप लगाया कि मोदी लगातार निचले स्तर के राजनीतिक हमले कर रहे हैं। वाघेला ने कहा,संजय जोशी की सीडी कहां से आई? सीडी किसने और क्यों लाई? मैंने सुना है कि भाजपा के पास संघ के कई और नेताओं की भी सीडी है। राजनीति में निचले और गंदे स्तर के आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए। कम से कम संघ में तो नहीं।

एक समाचार चैनल से बातचीत में वाघेला ने कहा,जिन लोगों ने संघ शुरू किया था उनके साधारण विचारे थे कि आरएसएस 2014 में टूट जाएगा। भाजपा और संघ ने वाघेला के आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है। गौरतलब है कि वाघेला गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे संघ में मोदी के वरिष्ठ साथी रहे हैं। गौरतलब है कि वाघेला और जोशी संघ में नरेन्द्र मोदी के धुर विरोधी रहे हैं।

वाघेला जब भाजपा में थे तब वह लगातार मोदी पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाते रहे हैं। वाघेला ने 1996 में भाजपा छोड़ दी थी। वाघेला ने कहा,मैं बच गया। भाजपा नेता केशुभाई पटेल और सुरेश मेहता जिंदा हैं। उनसे पूछिए। अपने दोस्तों का विश्वास तोड़ना सबसे बड़ा पाप है। मोदी को संघ का अंध समर्थन है।

भूत के साथ सेक्स किया

Natasha Blasick Actress, Claims Ghost Sex' Is Really Pleasurable

भूत के साथ सेक्स! एक नहीं बल्कि दो बार सेक्स किया इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ये अनुभव उनके लिए बहुत मजेदार रहा | हो गए न आप भी हैरान, लेकिन यूक्रेन एक्स्ट्रेस नताशा ब्लासिक ने यूके टीवी शो पर इस बात का खुलासा किया है कि उन्होंने भूत के साथ सेक्स किया |

नताशा ब्लासिक ने यूके टीवी शो पर इस बात का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि सुबह उनके पति जब घर पर नहीं थे, तब उन्होंने ऐसा महसूस किया कि कोई उनके शरीर को छू रहा है. हालांकि उस समय उनके साथ घर में कोई नहीं था. ब्लासिक ने कहा, ‘मैं महसूस कर पा रही थी कि कोई मेरे शरीर को छू रहा है. मैं उसका वेट अपने शरीर पर महसूस कर रही थी. मैं किसी को आस पास नहीं देख पा रही थी लेकिन बहुत कुछ महसूस कर रही थी. पहले तो मैं बहुत कनफ्यूज हो गई लेकिन फिर मैंने फैसला किया कि मैं रिलैक्स हो जाऊं. मैंने इसका आनंद उठाया.’ ब्लासिक ने कहा, ‘मैंने वाकई इसका लुत्फ उठाया.’

न्यू यॉर्क डेली न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक ब्लासिक ने कहा, ‘इसके बाद वो भूत चला गया लेकिन एक महीने के बाद वो फिर आया. मेरे साथ फिर वही सब हुआ और इस बार ये अनुभव पहले से बेहतर था.’

उन्होंने कहा, ‘ये मजेदार था. मैं जब बच्ची थी तबसे यही सोचती थी कि इस दुनिया में और ‘कुछ’ हो जिसके बारे में मैं जानना चाहती थी. मैं हमेशा सवाल पूछा करती थी लेकिन इस घटना ने साबित कर दिया कि दुनिया में कुछ ऐसा है जो हमें खुली आंखों से नहीं दिखाई देता है.’ ब्लासिक के मुताबिक, ‘इससे मुझे कंफर्ट, सपोर्ट और प्यार मिला इसके अलावा इस घटना से मुझे जवाब मिल गया कि दुनिया में और ‘कुछ’ भी है.|

 

जेनिफर लॉरेंस फ़िल्म के लिए हो गई न्यूड

Jennifer Lawrence1

ऑस्कर अवॉर्ड विजेता जेनिफर लॉरेंस फ़िल्म ‘एक्स मैन- डेंज ऑफ फ्यूचर पास्ट’ में शेप बदलने वाली म्युटेंट मिस्टीक का किरदार निभा रही हैं|

खास बात यह है कि इसके लिए उनका गेटअप कुछ इस तरह है कि उनके बदन पर बॉडीपेंट के अलावा कुछ और नहीं है. यानी वे फिल्म में एकदम न्यूड रहती हैं. जेनिफर के इस लुक को एंटरटेनमेंट वीकली के कवर पेज पर जगह दी गई है |

बताया जा रहा है कि 23 साल की ऐक्ट्रेस को इस लुक को हासिल करने के लिए पेंट एयरब्रशिंग करते हुए घंटों गुजारने पड़ते थे |

‘एक्स मैन’ की अगली कड़ी में पहले वाली तीन सीरीज के कई हीरो नजर आएंगे. फिल्म 23 मई को रिलीज हो रही है |

फिल्‍म और मैगजीन कवर पर जेनिफर की जो तस्‍वीर है उसमें उनकी बॉडी पर कैरेक्टर का नेचुरल ब्लू स्किन है |

जेनिफर इस कवर फोटो में सिर्फ ब्लू बॉडी पेंट में नजर आ रही हैं. उनके साथ ह्यु जैकमैन और माइकेल फासबेंडर भी नजर आ रहे हैं |

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जहां स्त्री का अपमान वहां लक्ष्मी का वास नहीं होता-गुरूजी

couple tied knot in mass wedding जो व्यक्ति धर्म के प्रति लालायित रहता है उसमें भगवान स्वयं समाहित हो जाते हैं इसलिये इन्सान को धर्म के साथ ही मानवता के लिये जीना चाहिये यह बात भामासाह के उपनाम से विख्यात एवं प्रखर वक्ता जयप्रकाश वैष्णव गुरूजी ने कही। प्रदेश के indore नगर में आयोजित श्रीवैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज के एक दिवसीय कार्यक्रम एवं सामूहिक विवाह समारोह में पधारे हजारों नर नारियों एवं बच्चों को संबोधित करते हुये इन्होने अनेक तार्किक एवं प्रमाणिक बातों को रखते हुये अनेक बार चिंतन करने को मजबूर कर दिया। इन्होने कहा कि महिलाओं के साथ जो वर्तमान में घट रहा है वह चिंतनीय है प्रतिदिन के आंकडे दिल को झकझोर देने वाले होते हैं। उसका अपमान पतन की ओर ले जाता है कहा गया है कि तीनों लोकों में अमृत घट के साथ धान पर लात मारने का अधिकार जहां महालक्ष्मी को है तो वहीं घर की लक्ष्मी को भी है,उसका अपमान करने वालों के यहां से लक्ष्मी रूष्ट होकर चली जाती हैं।

इन्होने कहा कि घृणा नहीं करनी चाहिये क्योंकि भविष्य में कल आपके साथ क्या घटेगा कोई कह नहीं सकता। भगवान श्रीराम के जीवन वृत्त से जुडी बात को सामने रखते हुये कहा कि शबरी के बेरों का सेवन जहां श्रीराम ने किया था तो वहीं दूसरी ओर लक्ष्मण जी ने बेरों के दोने का पीछे फैंक दिया था जो कलातांर में द्रोणागिरी पर्वत बन गया था। युद्ध के समय लक्ष्मण को शक्ति लगने पर सुशेन वैद्य द्वारा संजीवनी बूटी को लाने भेजा था वह उसी द्रोणागिरी पर्वत पर उन्ही बेरों की उत्पत्ति थी जिसका सेवन कराकर लक्ष्मण के जीवन को बचाया गया था। अपने प्रेरणा एवं ज्ञानदायी उद्बोधन में श्री गुरूजी ने अनेक बार उपस्थितों को चिंतन करने पर मजबूर किया जाता रहा। धर्म,समाज एवं राष्ट्र से संबधित अनेक विषय को अपने उद्बोधन में इन्होने रखा। इस अवसर पर इन्होने कहा कि समाज के जितने भी एैसे बच्चे हैं जो होनहार हैं परन्तु गरीबी या अन्य किसी कारण से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं वह एक से लेकर भले ही हजारों में हों मैं उनके पूरे खर्च को उठाने के लिये तैयार हुं। गत अनेक बर्षों से में इसी प्रकार के कार्य में जुटा हुआ हूं। 


ज्ञात हो कि श्रीवैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज संघ द्वारा स्थानीय श्रीमहंत यजत्रदास जी हंसमठ,रणछोर मंदिर पीलियाखाल में सामूहिक विवाह एवं परिचय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान लक्ष्मीनारायण के पूजनार्चन के साथ किया गया। समारोह के मुख्यातिथि जयप्रकाश वैष्णव गुरूजी,कवि सुरेशबैरागी,महंत यजत्रदास,प्रो.एच.डी.वैष्णव,पुष्पा नरहरि वैष्णव ,योगेंन्द्र महंत,महेश बैरागी सहित मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन के साथ ही भगवान विष्णु का पूजनार्चन किया तो वहीं आचार्य मंडल द्वारा वेदमंत्रों के उच्चारण के साथ सम्पूर्ण प्रांगण को धर्ममय बना दिया। 


मंचासीन अतिथियों का परिचय पत्रकार वेदप्रकाश विद्रोही ने तो स्वागत भाषण श्रीवैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज संघ के अध्यक्ष कृष्णकांत बैरागी ने प्रस्तुत किया। इसी क्रम में अतिथियों की मानवंदना पुष्पहारों से उपाध्यक्ष पूरणदास बैरागी,गोरधनदास वैष्णव,गोपालदास पुजारी,कोषाध्यक्ष जगदीश वैष्णव,महेश वैष्णव,सहसचिव अशोक वैष्णव,संगठन मंत्री दिनेश पहलवान,द्वारका प्रसाद शर्मा,विक्रम शर्मा,प्रचार मंत्री संतोष बैरागी,सतीश शर्मा,सुभाष बैरागी,धमेन्द्र बैरागी,गोपालदास बैरागी,मधुसूदन शर्मा,प्रकाश बैरागी,लोकेन्द्र शर्मा,संजय वैष्णव,मृदुल वैष्णव,मांगीलाल बैरागी,योगेश शर्मा,रामेश्वर बैरागी, सरोज बैरागी,पत्रकार डा.हंसा वैष्णव सहित समीति के समस्त सदस्यों ने किया। इस अवसर पर अतिथियों का स्मृति चिंन्ह देकर भी सम्मान भी किया गया।


आयोजन के प्रयोजन के बारे में विस्तार से अपनी बात रखते हुये सचिव बालकृष्ण बैरागी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। प्रथम वक्ता के रूप में कवि सुरेश बैरागी ने कहा कि समाज में उत्थान एवं बदलाव की आवश्यकता है। कैंकडों की प्रजाति के नहीं अपितु मानवता को धारण करने पर ही यह संभव है। इन्होने कहा कि संसार जानता है कि वैष्णव अपने लिये नहीं अपितु संसार के लिये जीता है वह संपूर्ण समाजों की पीढा को समझता है और उसके निराकरण के प्रयास को करता रहता है। अनेकों उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुये कहा कि वैष्णव जन तो ….भजन इसका बडा प्रमाण है। श्री बैरागी ने कहा कि आप अपने को तारासें तो परमात्मा आपको तरासेगा। प्रो.एच.डी.वैष्णव ने कहा कि हमेशा अच्छे कार्य करने वालों को ही याद किया जाता है उन्ही का सम्मान होता है। ठीक उसी तरह जो चंदन पत्थर पर घिसा जाता है वह मस्तिष्क की शोभा बढाता है और सुुंगध भी देता है जबकि बिना घिसा चंदन तो मुर्दे के साथ शमसान जाता है। 


समारोह में साहुहिक विवाह के अवसर पर छै: जोडों को आर्चाय मंडल में पं.गोपालदास पुजारी,पं.राजेश वैष्णव,पं.मृदुलबिहारी बैष्णव,पं.रामूजी शर्मा,पं.विष्णु पुजारी एवं उनके सहयोगी आचार्यों ने परिणय सूत्र में बंधा। जिन्हे जयप्रकाश जी ने सोने का मंगलसूत्र प्रदान किया तो वहीं आयोजक मंडल द्वारा उपहार में जीवनोपयोगी वस्तुये प्रदान की। इसी क्रम में समाज के होनहार छात्र-छात्राओं को भी मंचासीन अतिथियों ने सम्मान भी किया। वहीं गुरू जी द्वारा सैकडों बच्चों को कापियों के सेटों को वितरित किया। समाज के बरिष्ठों का  सम्मान भी किया गया जिसमें वेदप्रकाश विद्रोही,बाबूलाल वैष्णव,ओपीरागी, महावीर वैष्णव,महंत रामचरण दास ,नाथूदास बैरागी,ओमप्रकाश शुक्ल एवं नरोत्तमदास वैष्णव को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। विवाह योग्य युवक युवती परिचय समारोह को श्रीमती शैलवाला बैरागी एवं सरोज बैरागी ने सम्पन्न कराया जिसमें देश के विभिन्न स्थानों से आये पांच दर्जन के लगभग युवक युवतियों ने अपना परिचय दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार पत्रकार डा.एल.एन.वैष्णव ने किया। 

दिल्ली महिला पुलिस अधिकारी रिश्वत लेते कैमरे मे कैद

नई दिल्ली [ TNN ] दिल्ली के आम नागरिक ने किया रिश्वत लेते हुए स्टिंग ऑपरेशन । वहीं इस मामले पर डीसीपी को शिकायत करने के 20 दिन बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।और तो और इस मामले में शिकायतकर्ता को भी विजिलेंस जाँच के नाम पर परेशान किया जा रहा है ।

दिल्ली पुलिस की महिला अधिकारी साऊथ वेस्ट डिस्ट्रिक के नारायणा थाने मे तैनात है जिसे पश्चिमि दिल्ली के मोहम्मद उस्मान नाम के युवक ने रिश्वत लेते हुए केमरे में कैद कर लिया और उसकी डीसीपी को शिकायत कर दी।

दरअसल उस्मान नारायणा स्तिथ पी वी आर पर फिल्म देखने गया था लेकिन जहाँ उसका पर्स गुम हो गया । जिसकी शिकायत उसने नारायणा थाने में की और उसके बाद एनसीआर कटवाने के नाम पर उससे ए एस आइ मंजू ने एक हज़ार रुपयों की मांग की जिसके बाद सात सो रुपयों का भुगतान कर दिया गया लेकिन इस पूरी बातचीत और लेनदेन की रिकॉर्डिंग उस्मान ने कर ली और 7 अप्रेल को रेकोर्डिंग की सीडी समेत डीसीपी साऊथ वेस्ट को शिकायत दे दी ।

उस्मान का आरोप है की अब तक महिला पुलिसकर्मी के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी जबकि विजेलेंस जाँच के नाम पर उसे प्रताड़ित किया जा रहा है

रिपोर्ट -अजय कुमार

इमारत बुर्ज खलीफा ,जानिये दिलचस्प बात

visit the burj khalifa the tallest building in the world

विश्व के धनी शहरों में से एक दुबई के नाम जो विश्व का सबसे बड़ा खिताब है, वह है दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा। बुर्ज खलीफा दुबई में स्थित 829.8 मीटर ऊंचाई वाली दुनिया की सबसे ऊंची गगनचुंबी इमारत है। इसके साथ-साथ सबसे ऊंची फ्रीस्टैंडिंग इमारत, सबसे तेज और लंबी लिफ्ट, सबसे ऊंची मस्जिद, सबसे ऊंचे स्वीमिंग पूल, दूसरे सबसे ऊंचे अवलोकन डेक और सबसे ऊंचे रेस्तरां का खिताब भी बुर्ज खलीफा के नाम है। 163 तलों वाली यह इमारत दुनिया के सबसे ज्यादा तलों वाली इमारत भी है।

बुर्ज खलीफा के निर्माण में छह साल का समय लगा और आठ अरब डॉलर की राशि खर्च हुई। इसका निर्माण 21 सितंबर, 2004 में शुरू हुआ था और इसका आधिकारिक उद्घाटन चार जनवरी, 2010 को हुआ था। इमारत निर्माण में 1,10,000 टन से ज्याद कंक्रीट, 55,000 टन से ज्यादा स्टील रेबर लगा है। बुर्ज खलीफा को देखते ही आभास होता है कि यह इमारत शीशे और स्टील से बनी हो। इमारत का बाह्य आवरण 26,000 ग्लास पैनलों से बनी है। शीशे के आवरण के लिए चीन से खासतौर पर 300 आवरण विशेषज्ञों को बुलाया गया था। इमारत के निर्माण में लगभग 12,000 मजदूरों ने प्रतिदिन काम किया। ऊंचाई के कारण इमारत के शीर्ष तलों पर तापमान भूतलों की अपेक्षा 15 डिग्री सेल्सियस कम रहता है।

यह बात भी दिलचस्प है कि निर्माण के समय इस इमारत का नाम बुर्ज दुबई था लेकिन इमारत के निर्माण में वित्तीय सहायता देने वाले संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद अल नाहयान के सम्मान में उद्घाटन के समय इसका नाम बुर्ज खलीफा कर दिया गया। इस इमारत की लिफ्ट 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है और इमारत के 124वें तल पर स्थित अवलोकन डेक ‘एट द टॉप’ तक मात्र दो मिनट में पहुंच जाती है। इस अवलोकन डेक पर टेलीस्कोप से पर्यटक दुबई का नजारा देख सकते हैं।

इमारत के 76वें तल पर दुनिया का सबसे ऊंचा तरणताल यानी स्वीमिंग पूल और 158वें तल पर दुनिया की सबसे ऊंची मस्जिद और 144वें तल पर दुनिया का सबसे ऊंचा नाइटक्लब है। वेबसाइट ‘बुर्जखलीफा डॉट एई’ के मुताबिक, टॉवर के लिए जल आपूर्ति विभाग दिन भर में औतसन 9,46,000 लीटर पानी की आपूर्ति करता है।

यह इमारत विवादों के घेरे में भी रही है। मानवाधिकार संगठनों ने आरोप लगाया था कि इमारत के निर्माण में अधिकतर मजदूर दक्षिण एशिया के थे और उन्हें मात्र पांच डॉलर दिहाड़ी मजदूरी दी गई थी। इसके अलावा इसे ठंडा रखने के लिए एसी में खर्च होने वाली बिजली पर भी सवाल उठाए गए थे।

मनपसन्द लड़की से शादी करने का यह है अचूक रास्ता

जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही युवाओं का मन किसी के प्रति आकर्षित होने लगता है। मन चंचल होता है, इसलिए इसे काबू में रख पाना युवा उम्र में थोड़ा मुश्किल होता है। आंखे हर अच्छी चीज के प्रति आकर्षित होती है। लेकिन आंखों के रास्ते से जो चीज दिल में उतर जाती है उससे प्रेम हो जाता है।

प्रेम की शुरूआत आकर्षण से होती है, किन्तु आकर्षण जब समर्पण का रूप धारण कर लें तब परिण्य सूत्र में बॅधना लाजिमी हो जाता है। जब तक जाति, धर्म व परम्परायें रूढि़वादिता की जंजीरों में जकड़ी है तब-तक कोई प्रेम क्यों करेगा और करेगा भी तो समाज की वक्र दृष्टि से अछूता नहीं रह पायेगा।

यदि आप किसी से प्रेम करते है और उसी के साथ सात फेरों में बॅधकर अपना जीवन बिताना चाहते है, परन्तु पारिवारिक, धार्मिक, सामाजिक व आर्थिक आदि प्रकार के गतिरोध बाधक बन रहें है ? ऐसी स्थिति में निम्न प्रकार के उपाय बताये जा रहें है, जिन्हे अपनाकर आप-अपनी मनपसन्द लड़की से विवाह करने में सफल होगें।

1- सर्वबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याालिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशन्म।।

श्री नवदुर्गे यन्त्र को अभिमंत्रित करके पूजा स्थल में रखकर उपरोक्त मन्त्र की कम से कम एक माला का निरन्तर 40 दिन तक जाप करें। यह उपाय करने से आप-अपनी मनपसन्द लड़की से विवाह करने में कामयाब होगें।

2- तब जनक पाइ बसिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारि कै।
     मांडवी श्रुतकीरति उरमिला कुंअरि लई हंकारि कै।।

रामचरित मानस की उपरोक्त चैपाई का विधिवत पाठ करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

3- निम्न मंत्र की ‘‘ऊॅ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” कम से कम 1 माला का विधिवत जाप करने से आप-अपनी वैवाहिक मनोकामना को पूर्ण करने में सफल होंगे।

4- मनचाही शादी करने वाले नवयुवक केले का सेंवन करे एंव पीले रंग की बेडसीट पर शयन करें। ‘‘ऊॅ ग्रां ग्राीं ग्रौं सः गुरूवे नमः मन्त्र की नियमति एक माला का जाप करें।

कश्मीर से लेकर दिल्ली तक लड़कियों की सप्लाई

Woman caught in sex scandal, ministers connectionजम्मू [ TNN ] सेक्स स्कैंडल में पकड़ी गई किंगपिन की एक साथी महिला को पुलिस ने पकड़ा है। पुलिस के अनुसार साथी महिला पलौड़ा क्षेत्र की निवासी है और उसे भी शिकायतकर्ता महिला के सामने पेश किया गया।

शिकायतकर्ता ने महिला की शिनाख्त करते हुए कहा कि पलौड़ा निवासी यही महिला उसे किंगपिन के घर रोजगार के लिए ले गई थी और किंगपिन ने घर में उससे जबरन देहव्यापार कराया।

उसने बताया कि दो अज्ञात व्यक्तियों ने उससे बलात्कार किया। पुलिस ने शिकायतकर्ता के बताए हुलिए पर इस साथी महिला का स्कैच बनवाया था। इसी बीच, किंगपिन ने ही अपनी साथी का नाम लिया और पुलिस ने उसके घर में छापा मारा, लेकिन वह अंडर ग्राउंड हो चुकी थी।

इधर, सूत्रों से जानकारी के बाद साथी महिला को भी दबोच लिया गया। पुलिस ने कहा कि दो व्यक्तियों को भी जल्द पकड़ लिया जाएगा। इस मामले में दो महिलाओं सहित चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिसमें दो आरोपी पकड़ लिए गए हैं।

रूपनगर सेक्स स्कैंडल में पकड़ी गई किंगपिन कश्मीर से लेकर दिल्ली तक लड़कियों की सप्लाई करती थी। दो हजार से लेकर बीस हजार रुपये तक में कई लड़कियों को उसने राज्य से बाहर भेजा है। कुछ होटलों से भी उसके संबंध थे, जहां आन डिमांड लड़कियों को भेजा जाता रहा।

पुलिस की पूछताछ में ऐसे कई लोगों के नाम उजागर हुए हैं जो हाई प्रोफाइल हैं। मोबाइल रिकार्ड से कई लड़कियों के भी नंबर हासिल किए गए हैं। किंगपिन के संपर्क में इस धंधे में शामिल लड़कियां और महिलाएं अंडर ग्राउंड हो गई हैं।

हालांकि, पुलिस केवल शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर ही केस की जांच आगे बढ़ा रही है। पुलिस के अनुसार इतने बड़े रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए कई सबूतों की जरूरत होती है। पूछताछ के बाद सबूतों को भी जुटाया जाएगा।

पुलिस के अनुसार सेक्स रैकेट की किंगपिन के मोबाइल रिकार्ड से कुछ मंत्री से लेकर संतरी तक के मोबाइल नंबर मिले हैं। महिला ने भी कई पुलिस अधिकारियों, नौकरशाह व राजनेताओं के नाम लिए हैं, जिनसे उसने अपनी जान-पहचान बताई है।

उसने यह भी बताया कि कई बार वह इन उच्च पदस्थ लोगों के लिए लड़कियां भी पेश करती रही है। उसने पूर्व मंत्रियों के नाम भी लिए हैं। ऐसे लोगों के भी नंबर मिले, जो सामान्य हैं और शौक के लिए किंगपिन के घर जाते थे।

पुलिस ने किंगपिन के मोबाइल रिकार्ड से कई महिलाओं और युवतियों के नंबर भी हासिल किए हैं। इन युवतियों और अन्य महिलाओं के खिलाफ भी पुलिस कार्रवाई कर सकती है। पुलिस ने किंगपिन के घर से पकड़े गए दोनों युवकों को छोड़ दिया है।

पुलिस को शक है कि महिला अन्य आरोपियों के नाम छिपा रही है। पहले वह पंजतीर्थी क्षेत्र में क्वार्टरों में रहती थी। कई लाल बत्ती गाड़ियां भी उसके घर के बाहर खड़ी रहती थीं। अब रूपनगर में उसने अपना घर बनाकर देह व्यापार का धंधा चलाती थी। एसएसपी अतुल कुमार गोयल के अनुसार दर्ज किए गए केस के आधार पर जांच जारी है।

1984 सिक्ख दंगों में कार्रवाई की इजाजत नहीं थी

Delhi Police officials were complicit in 1984 anti-Sikh riots Cobrapost stingनयी दिल्ली [ TNN ]  अपनी एक बड़ी तहकीकात में कोबरापोस्ट ने दिल्ली पुलिस के उन अफसरों को खुफिया कैमरे में क़ैद किया है जो 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली के अलग अलग इलाकों में थाना अधिकारी थे। इनमे से कई ने कैमरे के सामने स्वीकारा कि है कैसे दिल्ली पुलिस एक फोर्स के रूप में नाकामयाब रही और कुछ ने यह भी बोला कि इनके आला अधिकारी तत्कालीन सरकार के साथ मिल कर सिक्खों को सबक सिखाना चाहते थे।

अपनी इस पड़ताल के दौरान कोबरापोस्ट ने शूरवीर सिंह त्यागी (एस॰एच॰ओ॰) कल्याणपुरी, रोहतास सिंह (एस॰एच॰ओ॰) दिल्ली केंट, एस.एन.भास्कर (एस॰एच॰ओ॰) कृष्णानगर, ओ.पी.यादव (एस॰एच॰ओ॰) श्रीनिवासपुरी, जयपाल सिंह (एस॰एच॰ओ॰) से महरौली में मुलाकात हुई। तत्कालीन ऐडिशनल पुलिस कमिश्नर गौतम कौल ने हमारे प्रश्नों के जवाब में कहा कि उन्हे दंगों की कोई जानकारी नहीं थी। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर एस सी टंडन ने भी हमारे प्रश्नो का का जवाब देने से पल्ला झाड़ लिया। कोबरापोस्ट रिपोर्टर की मुलाक़ात अमरीक सिंह भुल्लर से भी हुई जो कि 84 के दंगो के वक़्त पटेल नगर थाने के एसएचओ थे। भुल्लर ने जांच आयोग को दिये अपने हलफनामे में कुछ स्थानीय नेताओ के नाम लिए थे जो भीड़ को उकसा रहे थे और उसकी अगुवाई कर रहे थे।

कोबरापोस्ट के विषेश संवाददाता असित दीक्षित ने इन सभी अधिकारियों से मुलाक़ात की जो इस वक़्त सेवा से मुक्त हो चुके हैं और एक सरकारी नौकर को मिलने वाली सभी सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं। असित दीक्षित से हुई बातचीत इन सभी अधिकारियों ने ये खुलासे किए वो हैं:

• सिक्ख विरोधी उन्माद के सामने पुलिस फोर्स ने घुटने टेक दिए थे और उसने दंगों और लूटपाट आगजनी को बढ़ाने मे हाथ बटाया।

• सिक्खों के खिलाफ सांप्रदायिक तनाव बढ़ता जा रहा था। इस चेतावनी को पुलिस के आला अधिकारियों ने अनसुना कर दिया गयी।

• पुलिस कंट्रोल रूम में दंगे और लूटपाट के संदेशों की बाढ़ सी आ गयी थी। लेकिन उनमें से सिर्फ 2% संदेश ही रिकार्ड किए गए।

• वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपनी नाकामी को छुपाने के लिए लॉग बुक में बदलाव कर दिया गया।

• ट्रांसफर के डर से कुछ अधिकारियों ने अपनी ड्यूटि ढंग से नहीं निभाई।

• कुछ पुलिस अधिकारियों ने अपने इलाके में कम से कम नुकसान दिखाने के लिए शवों को दूसरे इलाकों मे फिकवा दिया।

• पुलिस ने पीड़ितों की एफआईआर दर्ज़ नहीं करी और जहां करी वहाँ लूटपाट, आगजनी और हत्या के कई मामलों को एक साथ एक एफआईआर मे मिला दिया ।

• पुलिस को ये संदेश दिया गया कि जो दंगाई “इन्दिरा गांधी ज़िंदाबाद” के नारे लगा रहे हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ना की जाए।

• तत्कालीन सरकार ने पुलिस को अपना काम नहीं करने दिया और ऐसा माहौल बनाया की लगे पुलिस खुद ही कुछ नहीं कर रही है।

• वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने अपने अधीनस्थों को दंगाइयों पर गोली चलाने की आज्ञा नहीं दी।

• फायर ब्रिगेड ने भी उन इलाको में आने से मना कर दिया जहां पुलिस द्वारा दंगों की सूचना दी जा रही थी।
दिल्ली पुलिस मे नीचे से लेकर ऊपर तक कुछ ऐसी निष्क्रियता छा गयी थी कि जो जरूरी कदम उठाए जाने थे वो नहीं उठाए गए. कुसुम लता मित्तल कमेटी ने इस निष्क्रियता के लिए दिल्ली पुलिस के 72 अधिकारियों को दोषी ठहराया था इनमे से 30 अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने की सिफ़ारिश भी की गयी थी। कुसुम मित्तल कमेटी का गठन रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफ़ारिश पर किया गया था।

इनमें से कोबरापोस्ट ने जिन अधिकारियों से मुलाक़ात की उनमे से कुछ ने पूर्व पुलिस आयुक्त एस॰सी॰टंडन की बड़ी कठोर शब्दों मे निंदा की है। शूरवीर त्यागी टंडन पर खुल्लमखुल्ला आरोप लगाते हुए कहते हैं की पुलिस आयुक्त तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रभाव में काम कर रहे थे। उनके शब्दों में, “तो जाने अंजाने में वो गवर्नमेंट के इंफ्लुएंस में रहे हैं की उन्होने मिसमैनेज किया शुरू में और दो दिन बाद असल मे बात जब हाथ से निकाल गयी”। इसी तरह ओ॰पी॰ यादव आरोप लगाते हुए कहते हैं की टंडन ने उस नाजुक घड़ी में दिल्ली पुलिस को कोई नेतृत्व प्रदान नहीं किया। उधर भास्कर कहते हैं कि कुछ थानाधिकारियों को चिन्हित कर उन्हे सज़ा देने के बजाय टंडन को ही उनके पद से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था।

रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने भी टंडन को कानून व्यवस्था के बिगड़ने के लिए दोषी ठहराया था। वहीं कपूर-कुसुम मित्तल कमेटी ने तो अपनी रिपोर्ट के एक पूरे अध्याय में टंडन की इस भूमिका पर प्रकाश डाला था। कोबरापोस्ट रिपोर्टर ने टंडन से मुलाक़ात तो की, लेकिन टंडन ने इस मामले मे कोई जानकारी नहीं दी।

कानून व्यवस्था की हालत ऐसी बना दी गयी थी की दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन तमाम वायरलेस संदेशों पर गौर करना उचित नहीं समझा जिनमें उनसे अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की गयी थी। भास्कर के अनुसार, “मैं तो अपने लेवेल से ये कह सकता हूँ की जब मैंने चार बजे मैसेज भेजा आपसे फोर्स मांग रहा हूं तो आपने मुझे क्यों नहीं दी”।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नक्कारेपन का एक और उदाहरण हुकुम चंद जाटव है जिन्होने प्रैस रिपोर्टरों के कहने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की। तत्कालीन एसएचओ भुल्लर के अनुसार “हुकुम चंद जाटव यहाँ के ही थे करोल बाग के ही आई पी एस थे तो उस टाइम थे डी आई जी अब वो कंट्रोल रूम मे बैठे हुए थे और रिपोर्टर वहाँ उनको पूछ रहे हैं और वो कह रहे हैं एव्रिथिंग ने आल राइट उन्होने कहा वहाँ तो बंदे मर गए हैं आपकी इतनी दुनिया लुट गयी है जा के देखो तो सही नहीं नहीं मैं यहाँ कंट्रोल रूम में हूँ एंड ही न्यू एव्री थिंग लेकिन वहाँ से मूव ही नहीं किया”।

हालात इसलिए भी बिगड़े कि वरिष्ठ अधिकारियों ने गोली चलाने की इजाजत नहीं दी। ऐसे एक अधिकारी चन्द्र प्रकाश के बारे में तत्कालीन एसएचओ रोहतास सिंह कहते हैं “न उन्होने मुझे ये कह दिया कि मतलब लिख के भी दिया है ये भी कह दिया यार वो तो गोली चलने से तो इन्दिरा गांधी वाला कांड इतना बड़ा बन पड़ा है तुम क्यों नया कांड खड़ा करते हो”।

अगर रोहतास सिंह की बात मे सचाई है तो पुलिस कंट्रोल रूम को भेजे गए संदेशों में महज़ 2 फीसदी संदेश ही दर्ज़ किए गए थे, “अगर वो रिकार्ड हो गयी होती तो मैं काफी कुछ साबित कर सकता था नॉट ईवन 2 पेरसेंट वेयर रेकोर्डेड कंट्रोल रूम में जो लॉग बुक थी”। रोहतास सिंह आगे कहते हैं की चन्द्र प्रकाश ने ऐसे संदेशों का मज़मू ही बदल डाला जो उसको ले बैठते “तो वायरलेस लॉग बुक के की बता रहा हूँ …. उसमे कुछ ऐसे मैसेज थे जो उसको ले बैठते…. जहां जहां उसको सूट नहीं कर रही थी वो सब चेंज कर दिया”।

एक बहुत बड़ा कारण यह भी था कि समूची दिल्ली पुलिस सांप्रदायिक सोच से पूर्वाग्रहीत हो गयी थी रोहतास सिंह इस सचाई को स्वीकार करते हुए कहते हैं “इसमे मुझे कोई संकोच नहीं है कहने मे हमारे पुलिस मैन भी यहीं लोकल मैन थे वो भी कम्युनल माईंडेड हो गए थे”।

मारकाट, आगजनी और लूटपाट के कई दौर चलने के बाद जब तीसरे दिन सेना बुला ली गयी तब जाकर दंगों की आग बुझना शुरू हुई। लेकिन इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने दंगों में हुई तमाम आपराधिक करतूतों पर पर्दा डालने का प्रयास आरंभ कर दिया। सबसे पहले दंगा पीड़ितों की शिकायत दर्ज़ नहीं की गयी और जब शिकायत दर्ज़ भी हुई तो कई मामलों को एक ही एफआईआर मे मिला दिया गया।

बक़ौल भुल्लर, “लोगों ने केस रजिस्टर नहीं किए दबाने की कोशिश की तेरे इलाके में हुआ की इतने लंबे चौड़े रायट हुए उनको कोशिश की कम से कम करने की अपनी नौकरी बचाने के लिए और उठा के बॉडी वहाँ फेक दी सुल्तानपुरी”।

कोबरापोस्ट के इस खुलासे से यह बात स्पष्ट हो जाती है की 1984 के दंगों के दौरान पुलिस का नक्कारापन अकस्मात नहीं था बल्कि यह एक सोची समझी साजिश का नतीजा था। दूसरे शब्दों मे इसे हम दंगों मे पुलिस की मिलीभगत कह सकते हैं जिसके फलस्वरूप यह राज्य प्रायोजित नरसंहार हुआ था।




ऑटोमोबाइल उद्योग में करियर

Career in the automobile industry

ऑटोमोबाइल उद्योग भारत में बहुत तेजी से ‍प्रगति कर रहा है। इससे इस क्षेत्र में युवाओं के लिए करियर अवसर की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।

ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स की मांग में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसमें वाहन बनाने वाली कंपनी से लेकर सर्विस स्टेशन, इंश्योरेंस कंपनियों, ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन, इंश्योरेंस कंपनियों जैसे क्षेत्रों में करियर की संभावनाएं हैं।

जैव प्रौद्योगिकी, रसायन शास्त्र, गणित, भौतिकी में रुचि रखने वाले युवा ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में करियर बना सकते हैं। 10वीं कक्षा के बाद डिप्लोमा किया जा सकता है।

ऑटो मोबाइल इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक करने के लिए गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, जैव प्रोद्योगिकी और कम्प्यूटर साइंस जैसे विषय के साथ 12वीं होना आवश्यक है।

ऑटो मोबाइल इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद एमई या एमटेक भी किया जा सकता है। विशेषज्ञता हासिल करनी हो तो पीएचडी भी की जा सकती है। बीई या बीटेक में प्रवेश के लिए आईआईटी, जेईई, एआईईईई बिटसेट आदि अखिल भारतीय या राज्य स्तर की परीक्षाएं देनी होती हैं।

ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में निम्न कोर्स होते हैं-
– डिप्लोमा इन ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग।
– पीजी डिप्लोमा इन ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग।
– सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग।
– बीई ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग।
– बीटेक ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग।

देश के प्रमुख ऑटोमोबाइल कोर्स के संस्थान-
कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रूरल टेक्नोलॉजी, मेरठ (उत्तरप्रदेश)
हिन्दुस्तान कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मथुरा (उत्तरप्रदेश)।
महावीर इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, गाजियाबाद (उत्तरप्रदेश)
गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, मोडासा, साबरकांठा (गुजरात)।
हिन्दुस्तान यूनिवर्सिटी, केलम्बक्कम, (तमिलनाडु)।
दिल्ली कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, पलवल (हरियाणा)।
मणिपाल इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मणिपाल (कर्नाटक)।

कोमल त्वचा के लिए खास ट्रीटमेंट मड थेरेपी

Mud Therapy

आप अपनी ड्राई स्किन और मांसपेशियों में दर्द रहने के कारण हमेशा परेशान रहती हैं तो एक ऎसा ट्रीटमेंट लिया जिससे स्किन ही नहीं दमकने लगती है बल्कि आप खुद को अंदर से भी फ्रेश महसूस करने लगेंगी। यह ट्रीटमेंट खास मड थेरेपी है।

वैसे तो आजकल बहुत से ऎसे ट्रीटमेंट शुरू हो चुके हैं जिससे स्किन केवल बाहरी तौर पर निखरने लगती है, पर अंदर से नहीं। मड थेरेपी एक ऎसा उपचार है, जो केवल सौन्दर्य में ही नहीं इजाफा करती बल्कि कई प्रकार के रोगों पर दवा का भी काम करती है।

मड बाथ कम से कम एक घण्टा मड बाथ भी उपचार का एक तरीका है। यह पूरी बॉडी पर लगाया जाता है, जिसके लिए भारी मात्रा में मिट्टी का प्रयोग किया जाता है और पैक को पूरी बॉडी में लगाने के बाद कंबल से ढका जाता है और फिर एक घण्टे बाद शावर बाथ लिया जाता है।

मड थेरेपी के फायदे स्किन की मृत कोशिशकों को हटाती है। यह रक्तसंचार को बढाती है। मड थेरेपी स्किन को प्राकृतिक रूप से लाभ पहुंचाती है। आंखों के नीचे पडे काले घेरों को भी कम करने में सहायक है। टेंशन कम करने में मदद करती है। कमर दर्द और पीठ दर्द को दूर करती है। चेचक और मुहांसों के दाग मिटाने में काफी फायदेमंद है।

बुरहानपुर : मयूर हत्याकांड कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप

Burhanpur mayur Massacres erious charges leveled by Congress
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पीछे गोल घेरे में खड़ा हर्ष चौहान

खंडवा [ TNN ] मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा ने आरोप लगाया की लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार नंदकुमारसिंह चौहान के बेटे हर्ष चौहान पर एक युवक की हत्या का आरोप है । और वह 17 अप्रैल को मुख्यंमंत्री शिवराजसिंह चौहान की बुरहानपुर में हुई सभा में मंच पर उनके साथ खड़ा था। मिश्रा ने इस मामले पर मीडिया को फोटो और सीडी भी बाँटी । इधर भाजपा के प्रवक्ता ने कहा कि मयूर हत्याकांड वाला मामला हाई कोर्ट से ख़ारिज हो चूका है सिर्फ राजनीति करने के लिए कांग्रेस पार्टी उनके उम्मीदवार के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है।

उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट से यह मामला ख़ारिज होने के बाद पीड़ित पक्ष सुप्रीम कोर्ट के कहने पर पुनः नागपूर हाईकोर्ट गया था और फरवरी महीने में हाईकोर्ट ने इस मामले को री-ओपन करने के आदेश दे दिए जिसके समन जारी करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस बुरहानपुर आई थी । फिलहाल नया मामला दर्ज नहीं हुआ है ।

mayur arora burhanpur
मयूर अरोरा [ मृतक युवक ]
सात वर्ष पहले भाजपा प्रत्याशी नंदकुमार सिंह चौहान का बेटा हर्ष अपने दोस्तों के साथ महाराष्ट्र के चिखलधरा पिकनिक स्पॉट पर गया था जहाँ उसके दोस्त मयूर अरोरा की डूबने से मौत हो गई थी । अरोरा परिवार ने हर्ष चौहान पर मयूर को डुबों के मारने का आरोप लगाया और अमरावती जिले के अचलपुर थाने में मामला दर्ज करवाया।

पहले परतवाडा जिला न्यायालय उसके बाद नागपुर हाईकोर्ट से हर्ष चौहान को हत्या के आरोप से मुक्त करते हुए मामले को ख़ारिज कर दिया। इसके बाद मयुर के परिवार के निवेदन पर नागपुर हाईकोर्ट ने इस मामले को पुनः रीओपन करने के आदेश दिए । आज कांग्रेस ने इसी बात को मुद्दा बनाते हुए मुख्यमंत्री की सभा में मंच पर शिवराज सिंह के साथ खड़े हर्ष चौहान की फोटो जारी करते हुए मुख्यमंत्री पर हत्या के आरोपी को संरक्षण देने का आरोप लगाया ।

इधर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुनील जैन ने कांग्रेस के इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए इसे नंदकुमारसिंह चौहान के खिलाफ राजनीति षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया । भाजपा का कहना है कि हाईकोर्ट से मामला ख़ारिज होने के बाद हर्ष चौहान पूरी तरह स्वतंत्र है और कही भी आ – जा सकता है । जब केस रीओपन होगा तब वह क़ानूनी प्रक्रिया का सम्मान करेंगे ।

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की बहन के पास नहीं है इलाज के पैसे

 Meena Qureshi बुरहानपुर [TNN ] कहते हैं जब तक आप के पास धन दौलत है तब तक पराए भी अपने होते हैं, दुनिया आपको सलाम करती है। लेकिन जब आपके पास पैसा नहीं हो तो ऐसे समय में अपने भी साथ छोड जाते हैं। ऐसा ही कुछ देश के मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन की बहन मीना कुरैशी के साथ हुआ है। मीना कुरैशी आज गंभीर बीमारी में जिंदगी और मौत के साथ संघर्ष कर रही है। मीना का इलाज बुरहानपुर जिले के नेपानगर के चंद अंजान लोग आपस में चंदा कर करवा रहे हैं।

मीना को टीबी की बीमारी है और वह थर्ड स्टेज पर है। माता पिता के मौत के बाद घरबार तक गंवा बैठी मीना को मुंबई में सहारा न मिलने पर नेपानगर में उसके मुंहबोले भाई ने सहारा दिया है।

 मुंबई माया नगरी और फिल्मी दुनिया की चकाचोंध में जन्मी और पली बढी मीना ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसे एक अनजान नगर और गुमनामी में अपनों से दूर पल पल जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करना पडेगा। ये वह मीना कुरैशी हैं जो दुनिया के जाने माने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन की बहन हैं। इन दिनों मीना मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के नेपानगर में एक छोटे से कमरे में टीबी की बीमारी के थर्ड स्टेज में जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं।

जिसका इलाज उसका मुंहबोला भाई अपने चंद दोस्तों के साथ आपस में चंदा कर करवा रहा है। बीमारी और मुफलिसी के दौर में जब उसके अपने रिश्ते दारों ने मुंह मोड लिया तो नेपानगर के अरविंद बोरकर उसे नेपानगर ले आए। हमारे संवाददाता ने मीना से बात की और उसकी इस स्थिती के बारे में जानने की कोशिश की।

बीमारी के चलते मीना ठीक से बैठ पाती है उसका हर काम अरविंद और उसके दोस्त ही करते हैं। दवाईयों से लेकर पानी तक उन्हें पिलाना पडता है।

मीना कुरैशी का संक्षिप्त परिचय- मीना देश के म शहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन चचेरी बहन और उस्ताद अल्ला रख्खा खान के छोटे भाई सादिक अली कुरैशी की इकलौटी बेटी हैं। मीना के पिता सादिक अली कुरैशी भी फिल्म म्यूजिशियन थे। उनकी मां उस जमाने की मशहूर रेडियो सिंगर स्थेर पाथरे, शकुंतला कुरैशी थी। पिता मुस्लिम और मां क्रिश्चियन न समाज की थी। दोनों ही अपने अपने धर्म को मानते। मीना अपने मां बाप की इकलौती संतान होने के कारण बडे ही लाड प्यार से पली। सादिक अली और अल्लारख्खा खान दोनों भाईयों और परिवार में काफी मेल जोल था। उस्ताद जाकिर हुसैन भी मीना को काफी चाहते थे।

अल्लारख्खा खान का देहान्त सन् 2000 में हुआ। उसके एक साल बाद ही मीना के पिता सादिक अली भी 2001 में दुनिया से रूखसत हो गए। पति के जाने का गम और बीमारी के चलते शकुंतला कुरैशी भी 2006 में मीना को अकेला छोड गई। मां की बीमारी के लिए कर्ज ने मीना से उसका घर बार भी छीन लिया। मां बाप की सेवा के चलते मीना ने शादी तक नहीं की।

आर्थिक स्थिती खराब होते ही रिश्तेदारों और अपनों ने भी साथ छोड दिया। उसके बाद से ही मीना दर दर भटक रही है। उस पर बीमारी ने उसे मौत के करीब ला खडा कर दिया है। बीमारी की हालत में जब मीना को नेपानगर लाया गया तब उसकी हालत और भी नाजुक थी।

मीना की देखभाल कर रहे अरविंद ने जाकिर हुसैन से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। उस्ताद जाकिर हुसैन फिलहाल अमेरिका के कैलिफोर्निया में हैं। अरविंद ने फिल्मी दुनिया के कई लोगों को भी मेल किया लेकिन कोई रिप्लाए नहीं आया।

मीना को अब भी उम्मीद है कि खबर लगते ही उसका भाई जाकिर उससे मिलने जरूर आएगा। मीना के साथ ही हम भी उम्मीद कर सकते हैं की उसकी मदद के लिए कई हाथ आगे जरूर आएगें।

[रिपोर्ट :शेख शहाबुद्दीन बुरहानपुर]

 

Ustad Zakir hussain’ sister struggles for life

                      

 Meena Qureshi

Reports – Sheikh Shahabuddin – Burhanpur

It is said that as long as you are wealthy, others are thine owns and the world salutes you. But in your miserable condition all left you.

This fact proved once again in Nepanagar district Burhanpur . m.p. , where renowned tabla player Ustad Zakir Hussain’ sister Meena qureshi is struggling for life. Meena Qureshi is critically ill. Some people of Nepanagar contributed money for her treatment. Meena is suffering from tuberculosis (T.B.) and on third stage. After her parents’ death, she lost her house in Mumbai and  came Nepanagar to Arvind Borker who treated her as a brother. Arvind supported her a lot and get her treated here.

Musician Ustad Zakir hussain’ sister struggles for lifeMeena will not have ever thought that in the evening of life she will have to live unknownness life as she was grown in Bollywood city and lived a glamorous life. Meena Qureshi is renowned tabla player Ustad  Zakir  Husain’s sister. She is suffering from tuberculosis and living in miserable condition in Nepanagar district Burhanpur MP. Her relatives snap relations with her due to poverty and disease. Arvind Borkar resident of Nepanagar supported her and took her to Nepanagar. Treated her as a brother Arvind and his some friends contribute money for her treatment and take care.

Dinesh sisodiya a resident of Nepanagar said, Arvind and his friends take care of Meena. She is unable to do her work. even medicines and water is given her by them.

WATCH VIDEO-

Meena  Qureshi’s life: 

 Meena Qureshi 3Meena  Qureshi is cousin of renowned tabla player ustad Zakir Husain. She is daughter of ustad allahrakkha khan‘s younger brother Sadiq ali Qureshi. Meena’s father Sadiq ali Qureshi was also a film musician. Her mother was famous radio singer sthare pathre, Shakuntla Qureshi. Her father was muslim and mother was Christian lady.  Meena was only daughter of her parents.

Allahrakkha khan passed away in 2000 And Sadik ali khan in 2001. Her mother shkuntala qureshi also left world in 2006. Meena was burdened with debt due to mother’s disease and lost her house for  repaying loan. Being entangled in her family’s problem, Meena did not get married. Her relatives snaped relations with her and left her to wander here and there. Now she is critically ill and struggling for life.

Presently, ustad  Zakir Husain is in California America. Arvind Borkar said, I tried to contact jakir Husain but failed. I sent e-mail to many bollywood star but nobody replied. Arvind added.

Meena expects that getting informed her brother  Zakir  Husain will come to take her. We also expect that some helping hands will also come forward to help her.

 

खंडवा लोकसभा चुनाव: भाजपा का चुनावी प्रबंधन निष्क्रिय

खंडवा [ TNN ] पिछली बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अरुण यादव के हाथों शिकस्त खा चुके भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी नन्द कुमार सिंह चौहान इस बार सावधानी पूर्वक जोश खरोश के साथ मैदान में हैं क्योंकि पिछली बार की तरह ही इस बार भी अरुण यादव ही उनके प्रतिद्वंदी है ! खैर इस बार मोदी की लहर के चलते श्री चौहान को थोड़ी राहत दिख रही है लेकिन जनता का मत किस तरफ गिरता है ये तो मतदान के दिन ही तय करेंगे ! भाजपा पार्टी ने इस बार फिर भरोसा जताते हुए नन्द कुमार सिंह चौहान को अपनी किस्मत आजमाने का मौका दिया ! इस बार उनके ही सहायक चुनावी प्रबंधन उनके लिए घातक साबित हो सकता है ! क्योंकि इस बार नन्द कुमार सिंह चौहान ने चुनावी प्रबंधन देख रेख की कमान जिनके हाथों सौंपी है वे कमजोर दिखाई दे रहे हैं उनकी निष्क्रियता नन्द कुमार सिंह की नैया कहीं डूबा न दे ? इसलिए उनको इस और थोड़ा ध्यान देने की जरुरत है ! इसका मुख्य कारण मिडिया प्रबंधन के व्यक्ति बड़े समाचार पत्रों और इलेक्ट्रानिक मिडिया की और ज्यादा ध्यान देना है !

हालही में नर्मदा नगर के पास पुनासा तहसील में प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की आम सभा थी ! इस आम सभा में पत्रकारों को खबरों के कवरेज के लिए खंडवा से लक्झरी वाहनों में बैठा कर ले जाया गया वहीँ स्थानीय पत्रकारों में अच्छी खासी नाराजग़ी दिखाई दी साथ ही खंडवा में भी मिडिया कर्मियों में भी नाराजग़ी कम न दिखी क्योंकि प्रबंधन द्वारा बड़े समाचार पत्रों के संस्थानों के पत्रकारों को ले जाना और दूसरे अख़बारों के पत्रकारों सुचना न देना नाराजग़ी का कारण है !

बताया जाता है कि इस बार मोदी की लहर के चलते भाजपा पिछली बार की तरह मुगालते पाले बैठी है ! मिडिया कार्यालयों में भाजपा का चुनावी हलचल, जनसम्पर्क अभियान, पार्टी प्रक्रिया, आदि जैसी खबरों में लेट लतीफी होने से अधिकांश मिडिया कर्मी भी नाराज़ हैं ! वहीँ अखिल भारतीय कांग्रेस प्रत्याशी अरुण यादव के चुनावी माहौल की खबरों में प्रमुखता से प्रकाशित की जा रही हैं ये भी भाजपा पार्टी के लिए प्रश्न चिन्ह है ! कांग्रेस की खबरें इसलिए प्रकाशित हो रही हैं कि इनका चुनावी प्रबंधन सक्रीय है कांग्रेस का मिडिया प्रवक्ता समय का ज्ञाता है जो इसका सदुपयोग जानता है ! यहाँ तक कि कांग्रेस की बात करें तो उनका जनसम्पर्क गाँव गाँव शहर शहर आम जनता तक जारी है ! लेकिन भाजपा के प्रत्याशी नन्द कुमार सिंह केवल मोदी की लहर के भरोसे ही चुनाव मैदान में हैं भलेही विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में शिवराज की लहर में सरकार तो बना ली है लेकिन इस बार नन्द कुमार सिंह चौहान के लिए दिल्ली दूर दिखाई दे रही है जिसका कारण कमजोर चुनावी प्रबंधन है ! जिसके चलते प्रचार प्रसार में कमी दिखाई दे रही है अभी भी भाजपा प्रत्याशी गाँव और शहर की जनसम्पर्क पकड़ से दूर दिख रहे हैं ! भाजपा कार्यकत्र्ता भी केवल राष्ट्रिय स्तर के भाजपा नेताओं के इर्द गिर्द ही दिखाई देते हैं वह भी छाया चित्र मात्र हेतु !

बात भाजपा के मिडिया के प्रबंधन की करें तो इसमें भी वे काफी नाराजग़ी का शिकार दिख रही है ! जिसकी वजह मिडिया कर्मियों को ग्रेड वन और ग्रेड टू समझना यहाँ तक कि इसमें भी ग्रेड सी भी लगाया जा रहा है ! यदि समाचार पत्रों की बात की जाए तो कोई समाचार पत्र छोटा बड़ा नहीं होता ! और नाही कोई मिडिया कर्मी का कोई ग्रेड होता है ! मगर भाजपा प्रबंधन की यह सोंच कहीं चुनावी समर में भारी न पड़ जाए !

रिपोर्ट :- रज़ाक मंसूरी

 

लोकसभा: भाजपा गढ बचाने,कांग्रेस भेदने की रणनीति

 दमोह [TNN]लोकसभा के आम चुनाव का माहौल इस समय गर्माया हुआ है राजनैतिक दल अपनी-अपनी रणनीति के तहत पूरी शक्ति को झोंकने में लगे हुये हैं तो वहीं गढ बचाने और भेदने के लिये विशेष प्रकार की रणनीतियों को रणनीतिकार बना एवं अपना रहे हैं। देश के लगभग तीन दर्जन से अधिक एैसे संसदीय क्षेत्र बतलाये जाते हैं जहां सबकी निगाहें हैं तो मध्यप्रदेश में भी कुछ एैसे क्षेत्र हैं जहां सबकी नजर लगी हुई है इनमें दमोह संसदीय क्षेत्र क्रमांक 07 का नाम भी सम्मिलित है। मध्यप्रदेश के दो कदवर मंत्रियों वाले इस क्षेत्र से राष्ट्रीय स्तर के नेता एवं पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटैल को उतार भाजपा ने विभिन्न प्रकार के कयासों एवं चर्चाओं पर विराम लगा दिया था। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने एक एैसे प्रत्यासी को मैदान में उतारा जिसका नाम जनता तो दूर की बात कांगे्रस के ही अनेक नेताओं के लिये नया बतलाया जाता रहा। इसी क्रम में समाजवादी विचारधारा से प्रवाहित होकर अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत करने फिर कांग्रेस तथा हाल ही में आम आदमी पार्टी का दामन थामने वाले संतोष भारती आप की ओर मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

क्या होगा परिणाम यह तो मतगणना के बाद सामने होगा परन्तू हवा के रूख से सब परिचित दिखलायी दे रहे हैं। देश के साथ ही क्षेत्र भी नमों के रंग में दिखलायी दे रहा है जबकि कांग्रेस का प्रभाव ठीक देश के सर्वे परिणामों के तरफ ईशारा कर रहा है। बात करें प्रचार की तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कौन आगे और कितना पीछे है। जब तक कांग्रेस प्रचार की शुरूआत करती तब तक प्रहलाद अपनी एवं भाजपा की रणनीतिकारों के तहत कार्य करते हुये थोडा नहीं अपितु काफी आगे निकल चुके थे। कांगे्रस के प्रचार का ेगति देने के लिये उसने अपने कदवर नेता मुकेश नायक को कमान दी जिसकी शुरूआत वह कर ही चुके हैं। इन्होने प्रहलाद के प्रचार को टक्कर देने के लिये उडनखटोले का सहारा लिया। सूत्रों की माने तो जो चर्चा उभर कर सामने आयी तो वह यह है कि कांग्रेस प्रत्यासी महेन्द्र प्रताप सिंह की नजदीकियां भारतीय जनता पार्टी से बढ रही हैं? इसी पर नजर रखने तथा कोई बडा घटनाक्रम जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही है न हो जाये इसी बात को लेकर श्री नायक को लगा गया है?  Congress began to crack Strategy 1
 क्या कहता है इतिहास –
अगर क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर 5 बार कांग्रेस,1 बार भारतीय लोकदल,7 बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया है। वैसे 1989 से लेकर वर्तमान तक भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में दमोह सीट बनी हुई है। यहां विजयश्री का वरण करने वालों के नामों पर नजर डालें तो 1962 में कांग्रेस की सहोद्रा बाई,1967 में कांग्रेस के एमजेबी पटैल,1971 में कांग्रेस की टिकिट पर पूर्व राष्ट्रपति के पुत्र वाराह गिरी शंकर गिरी,1977 में भारतीय लोकदल से नरेन्द्र सिंह यादवेन्द्र सिंह,1980 में कांग्रेस के प्रभुनारायण टण्डन,1984 में डालचंद्र जैन,1989 में भारतीय जनता पार्टी के लोकेन्द्र सिंह,1991 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1996 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1998 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1999 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,2004 में भारतीय जनता पार्टी के चन्द्रभान सिंह लोधी,2009 में भारतीय जनता पार्टी शिवराज सिंह लोधी ने जीत प्राप्त की थी।
 कहां कितने मतदान केन्द्र एवं मतदाता-
जिला निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार दमोह संसदीय क्षेत्र क्रमांक 07 के तहत आने वाली विधान सभा क्रमांक 38 देवरी में 222 मतदान केन्द्र, 101238 पुरूष एवं 88908 महिला यानि 190146 मतदाता ,क्रमांक 39 रहली में 248 मतदान केन्द्र,114220 पुरूष,99478 महिला अर्थात् 213698,क्रमांक 42 बण्डा में 245 मतदान केन्द्र में 115600 पुरूष,98615 महिला यानि 214215 मतदाता,क्रमांक 53 मलहरा में 231 मतदान केन्द्र में 105154 पुरूष,87507 महिला अर्थात् 192661 मतदाता,विधानसभा क्रमांक 54  पथरिया में 253 मतदान केन्द्र में 107915 पुरूष,93491 महिला यानि 201334 मतदाता,विधानसभा क्रमांक 55 में 255 मतदान केन्द्र में 115169 पुरूष,102284 महिला यानि 217453 मतदाता,विधानसभा क्रमांक 56 जबेरा में 255 मतदान केंन्द्र में 106099 पुरूष,95501 महिला अर्थात् 201600 मतदाता एवं विधानसभा क्रमांक 57 हटा में 251 मतदान केन्द्र में 109605 पुरूष,95340 महिला यानि 204945 मतदाता बतलाये जाते हैं। देखा जाये तो आठों विधानसभाओं के 1960 मतदान केन्द्रो में 875000 पुरूष एवं 761052 महिला अर्थात् 1636053 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
किससे के पास क्या निशान-
जिला निर्वाचन अधिकारी श्री ङ्क्षसह ने बताया कि दमोह लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिये अंतिम रूप से शेष 10 अभ्यर्थियों में से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों क्रमश:  देवेन्द्र चौरसिया (बहुजन समाज पार्टी) को हाथी,  प्रहलाद ङ्क्षसह पटैल (भारतीय जनता पार्टी) को कमल, चौधरी महेन्द्र प्रताप ङ्क्षसह (इंडियन नेशनल कांग्रेस) को हाथ, रजिस्ट्रीकृत राजनैतिक दलों (मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनैतिक दलों से भिन्न) के उम्मीदवारों क्रमश: दीवान उपेन्द्र प्रताप ङ्क्षसह (राजा साब) (भारतीय शक्ति चेतना पार्टी) को बांसुरी, संतोष भारती (आम आदमी पार्टी) को झाड़ू तथा अन्य प्रत्याशियों में क्रमश: अनंत लाल बसोर (निर्दलीय) को आटो-रिक्शा,  इरफान खान (निर्दलीय) को बैटरी टार्च, डॉ.गुलामखान मास्टर (निर्दलीय) को पतंग, प्रहलाद ङ्क्षसह पटैल (निर्दलीय) को फलों से युक्त टोकरी एवं  प्रहलाद ङ्क्षसह लोधी (निर्दलीय) को फूलगोभी चुनाव प्रतीक चिन्ह आवंटित किया है।
2009 में किसको मिले कितने मत –
गत लोकसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो यहां 1989 में अपने कब्जे में संसदीय क्षेत्र को लेने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस पर अपना कब्जा 2009 में भी बनाये रखा था। निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 21 प्रत्यासियों ने अपना भाग्य आजमाया था। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के शिवराज भैया ने 302673 मत प्राप्त कर विजय प्राप्त की थी। वहीं इनके निकटतम प्रत्यासी भाजपा से निष्काशित एवं कांग्रेस से चुनाव लडने वाले चन्द्रभान भैया 231796 मत प्राप्त किये थे। जबकि समाजवादी पार्टी की अहिर कमला यादव को 7826,जीएसएम के काशीराम कमलेश धुर्वे को 5994,आरडीएमपी के भागीरथ कुर्मी को 1327,बीजेबीपी के मनोज देवलिया को 1253,एसव्हीएसपी के शिवराज भैया को 1136,जीजीपी के हरिराम ठाकुर को 2992,निर्दलीय गप्फार अली को 1311,गोपाल भैया को 1794,चन्द्रभान भैया को 1600,चन्द्रभान भैया को 2995,जयंत भैया 7005,जानकी को 4815,नन्ने लाल को 3892,रामफूल दहायत 6760,राजपूत को 2123,शिवराज भैया बडे ठाकुर 3666,शिवराज को 3870 एवंं शिवराज सींग को 1770 मत प्राप्त हुये थे।

शपथ पत्र में किसके क्या –
  प्रहलाद पटैल
राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी
शिक्षा-बीएससी,एलएलबी
अपराधिक रिकार्ड- निरंक
संपत्ति-3.25 करोड रूपये
नगदी-75 हजार
बैंक में जमा राशि -4.77 लाख रूपये
जेवरात -41.30 लाख रूपये
कृषि भूमि -3.11 कडोर रूपये
आवासीय भवन-2.00 कडोर रूपये
परिवार -स्वयं एवं पत्नि,पुत्र,पुत्री के पास एवं नाम पर सम्पत्ति 3.25 करोड रूपये

 महेन्द्र प्रताप सिंह पटैल
शिक्षा-एमकॉम
अपराधिक रिकार्ड- निरंक
ंसंपत्ति-2.84 करोड
नगदी-दो लाख रूपये
जमा राशि-9.81 लाख रूपये
जेवरात-21 लाख रूपये
कृषि भूमि-2.13 करोड रूपये
आवासीय भवन-25 लाख रूपये
परिवार-स्वयं एवं पत्नि बच्चों के नाम 2 करोड 84 लाख 79 हजार 387 रूपये की सम्पत्ति।

 

रिपोर्ट :- डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव 

अनजाने-अनचाहे कलयुगी सीरियल संस्कार

      ” डाॅ. अंजु वाजपेयी “
anju vajpayi बच्चे छोटे होने की वजह से आठ-दस कार्टून सीरियलों को देखने का मौका मुझे मिला। कई सीरियल विदेशो में बनी सीरियलों का  हिन्दीकरण हैं। लगभग प्रत्येक सीरियल में एक गेजेट होता है जो कोई भी काम कर सकता है। पात्र उसमें पांच मिनिट में धरती से  आकाश पहुंच जाता है कई बार तो पिछले जन्म तक में पहुंच जाता है।

ये सीरियल है डोरेमोन। हमारी भारतीय सीरियल छोटा भीम में भीम एक लड्डू खाकर कोई भी काम कर लेता है। कितने भी बड़े  भयानक पात्र उसके सामने हों उन सबका सफाया कर देता है। मोटू-पतलू, क्रिश , माइटी राजू इत्यादि पात्र भी ऐसे हैं जो कोई भी  काम कर सकते हैं।

ये सब बातें वास्तविकता से कितनी दूर है इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। पहले जब शक्तिमान सीरियल आता थी न जाने कितने बच्चों ने उसकी नकल करने की कोशिश की थी और उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा था। आज के समय में इन सीरियलों के सामने बच्चों को बिठाकर माता-पिता सोचते हैं कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं एक जगह बैठे तो हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि चंचल बच्चे टीवी के सामने सीरियल को देखते-देखते उसको करने का प्रयास करते हैं जो उनके जीवन के लिये खतरनाक साबित हो सकता है, कहीं-कहीं हुआ भी है, अभी कुछ समय पहले इंदौर में, भोपाल में और देश के कई अन्य शहरों में बच्चों ने खेल-खेल में फांसी लगा ली थी और उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। अब सोचिये हम बच्चों को क्या दे रहे हैं। बच्चे कल्पना में जीना सीख रहे हैं।

बच्चे गैजेट माता-पिता को समझते हैं उनकी मांगे रोज-रोज होती हैं ऐसी मांगों में नाजायज मांगे भी होती हैं, उन्हें माता-पिता पूरी करने की कोशिश करते भी हैं, मुख्यतः वो माता-पिता जो दोनों नौकरी करते हैं। मांगे पूरी करने के लिये माता-पिता अपनी ईमानदारी से कई बार भटक भी जाते हैं और नहीं पूरी कर पाते तो बच्चे भटक जाते हैं। इस पूरे वाकये में बच्चे की गलती कहाँ हैं। बताइये?

पुराने समय में चूंकि टीवी नहीं हुआ करता था इसलिये बाल कल्याण, चंपक, अमरचित्र कथाएं इत्यादि पढ़ने मिलती थीं जिससे बच्चे चरित्रवान लोगों के बारे में जानते थे। आज यदि बच्चे बाल अपराधी बन रहे हैं, तो अभी भी क्या दोष आप बच्चों को देंगे। नहीं अब दोष या तो माता-पिता का है या समाज का।

अब दूसरी तरह के सीरियलों की बात करें। ओगी एवं काकरोच में काकरोचों के द्वारा संबंधों की बात, नोमिता एवं शिजुका के रिश्तों की बात। ये संबंध हम 4-5 साल के बच्चों को दिखा रहे हैं, सिखा रहे हैं। ये तो सीरियल की बात हो गई लेकिन उन घरों में जिनमें एक ही कमरे में कई-कई लोग रहते हैं, वहाँ बच्चे क्या देखते-सीखते हैं अंदाजा लगा सकते हैं?

ये कहानी सबने सुनी होगी कि एक बच्चा जो चोरी करता था जब पकड़ा गया तो उसने सबसे पहले अपनी माँ का कान काटा, उसने कहा कि जब मैंने पहली चोरी की तो सबसे पहले मेरी माँ ने सुनी थी लेकिन रोका नहीं, क्यों ? ऐसे हालात सभी बच्चों के साथ होते हैं, चाहे वो गरीब परिवार के हों या संपन्न परिवार के हों। इसलिये कहा जाता है माँ सबसे पहली शिक्षिका होती है।

निर्भया के प्रकरण को ही लीजिए, हाँलाकि वो दिल्ली में हुआ था इसलिये चर्चित हुआ, वरना ऐसे प्रकरण हमारे देश में आम हो गये हैं, लेकिन ये समाज का एक पहलू है। दूसरा पहलू यह भी है कि लड़कियों का घर छोड़कर आना, ससुराल पक्ष को फंसाना भी आम हो गया है। यदि हम पहले प्रकरण की बात करें तो हम जानेंगे कि निर्भया के प्रकरण में जो बाल अपराधी है उसे छोटी से उम्र में घर से दूर कर दिया गया जो उम्र उसके खेलने की है उसमें उसने ढाबे पर बर्तन मांजे। उसने वहाँ शराब परोसी, फ्री मिली तो पी भी ली।

गालियां खाई, मार खाई और लोगों कोे मौज मस्ती भी करते देखा। इतनी सी उम्र में इतना सब देखने के बाद आप उससे एक सच्चा अच्छा ईमानदार व्यक्ति बनने की अपेक्षा कहाँ से कर सकते हैं। क्या ऐसे प्रकरणों में माँ-बाप के लिये सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए। समाज के लिये कोई दण्ड नहीं होना चाहिये।

क्या आपने सुना कि ढाबे वाले को सजा हुई जबकि ऐसी उम्र में बच्चों से काम कराना अपराध है। पर हम तो पुराने कानूनों को ढो रहे हैं जो बाते चालान में नहीं कही गई, न्यायालय एक्षन नहीं ले सकता। न्यायाधीश के पास बहुत से अधिकार हैं। पर उसे इसके बारे में पता नहीं होता या काम अधिक होने के कारण वो ऐसा करना नहीं चाहते। हम नये कानून लाते जाते हैं पर पुराने कानूनों को बदलने की जहमत तक नहीं उठाते।

दूसरी प्रकरण की बात करें तो हम अपनी बच्चियों को यह ही नहीं बताते कि परिवार क्या होता है उसमें कैसे रहा जाता है? सषक्तिकरण का अर्थ यह नहीं होता है कि घर ही टूट जाये। जितने घर टूटते हैं उनमें से 50 प्रतिषत घर टूटने की वजह लोग लड़की की माँ को बताते हैं। इसमें कुछ तो सच्चाई होगी। हमारे देष में महिलाओं के लिये तरह-तरह के कानून बने लेकिन देखा गया है कि उसका उपयोग कम, दुरूपयोग ज्यादा हुआ है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि समाज के डर से हम अपनी बच्चियों को मरने के लिये छोड़ दें। यह भी देखा गया है कि माता-पिता बच्ची से कहते हैं घर वापिस मत आ जाना लोग क्या कहेंगे। जब मर जाती हैं तो ससुराल पक्ष पर केस करते हैं।

यह किसी की परिवरिश पर सवाल नहीं है, लेकिन आज कि परिस्थितियों, वातावरण एवं सामाजिक स्थितियों को देखते हुये बच्चों को संस्कार देने चाहिये। एकल परिवार में बच्चों पर टीवी का अधिक प्रभाव होता है। इन सबसे दूर रखकर प्राथमिक शिक्षक-माँ ही अपने बच्चों को उचित संस्कार दे सकती है।

यदि हमने बच्चों को संस्कार नहीं दिये तो आगामी समय में हमारे देश की स्थिति और अधिक भयानक हो सकती है। पहले माता-पिता एवं गुरू,शिक्षा एवं ज्ञान के तीन स्तंभ होते थे जिसके आधार पर एक मनुष्य का निर्माण होता था। कालांतर में टेलीविजन इन तीनों से महत्वपूर्ण चौथा  स्तंभ हो गया है। जिसके साथ किसी भी परिवार के बच्चे व वयस्क अपना अधिकांश समय बिताते हैं। जाने या अनजाने अब टेलीविजन सूचना प्रसारण, पत्रकारिता अथवा मनोरंजन आदि का साधन ही नहीं रह गया है अपितु परिवारों में यह ज्ञान, शिक्षा व संस्कार तथा सूचना का स्त्रोत हो गया है।

मानो या न मानो पर इसका स्थान गुरू के समकक्ष ही हो गया है। अतः हम टेलीविजन को एक सूचना प्रसारण अथवा मनोरंजन का ही माध्यम मानकर अब संस्कारित होने बरी नहीं कर सकते। जिस प्रकार एक गुरू का संस्कारवान होना, शिक्षित होना व सभ्य होना जरूरी है, जिससे समाज में अच्छे मनुष्य का निर्माण हो।

उसी प्रकार गुरू के स्थान पर बैठा टेलीविजन भी इन तीनों गुणों से सम्पन्न होना अति आवश्यक है। हम शिक्षा व ज्ञान के इस माध्यम को अनावश्य्क छूट देकर अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार रहे हैं। अब समय आ गया है कि टेलीविजन के बढ़ते एवं महत्वपूर्ण कद को देखते हुए इन तीन स्तंभों के आधार पर प्रसारित सूचना एवं कार्यक्रमों की रूपरेखा होना चाहिए जिसके आधार पर हम एक सभ्य, शिक्षित एवं सुसंस्कृत पीढ़ी या परिवार का निर्माण हो।

डाॅ. अंजु वाजपेयी 
पूर्व न्यायाधीष, म.प्र

भाजपा को सत्ता का सुख मिला राम मंदिर की बदौलत !

The pain of Ayodhyaमुदस्सिर खान

लोकसभा चुनाव की तैयारियां अपने शबाब पर है पहले चरण के मतदान में कुछ ही दिन शेष रहा गए है। सारी पार्टिया पूरे जोर से सोर के साथ चुनाव प्रचार कर रही हैं। देश की सबसे बड़ी पार्टियों में भाजपा नरेंद्र मोदी की आगुवाई में चुनाव लड़ने को तैयार है। वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों की दाग 11 साल बीत जाने के बाद भी नरेंदमोदी का पीछा नहीं छोड़ रही है। सोनिया गाँधी ने उन्हें 2009 की लोकसभा चुनाव में मौत का सौदागर कहां था। मोदी जहां भी जन सभा करते है। वहां विकास की बात करते है। पार्टी में एक अहम भूमिका रखते है और अपनी बात बाखुबी मनवा लेते है।

किशोर दा के हुनर के कायल थे नौशाद साहब

rehman son of musician naushad in kishore kumar birthplace khandwa खंडवा [ TNN ] ‘मुझे अफसोस है कि मेरे पिता नौशाद ने किशोरदा से एक भी गीत नहीं गवाया। दोनों के बीच मनमुटाव वाली कोई बात नहीं थी। नौशाद साहब किशोरदा के हुनर के कायल थे। उन्होंने एक बार किशोरदा को अपने संगीतबद्घ गीत फिल्म में गाने का ऑफर भी दिया था लेकिन गीत तैयार होने के बाद भी वह फिल्म में नहीं आ पाया।’

यह बात मशहूर संगीतकार नौशाद अली के पुत्र फिल्म निर्देशक रेहमान अली ने पत्रकार वार्ता में कही। रेहमान अली खंडवा पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने किशोरदा की समाधि पर पुष्प अर्पित कर श्रद्घांजलि दी। समाधि पर श्रद्घांजलि के दौरान वे भावविभोर हो गए। इस दौरान उन्होंने कहा कि फिल्म ‘सुनहरा संसार’ में नौशाद अली ने किशोरदा से एक गीत गवाया था। वे हर गायक से छह से आठ घंटे रिहर्सल कराते थे। किशोरदा ने उनके साथ गाना तैयार किया लेकिन बदकिस्मती यह रही कि फिल्म लंबी होने की बात कहकर डायरेक्टर ने किशोरदा का गाया हुआ गीत काट दिया।

पत्रकार वार्ता में उन्होंने अपने पिता नौशाद अली की जिंदगी से जुड़े किस्से सुनाते हुए कहा कि संगीत के लिए उन्होंने घर तक छोड़ दिया था। रेहमान ने कहा कि खंडवा से उनके परिवार का रिश्ता करीब 50 साल पुराना है। खंडवा निवासी करीम बक्श के यहां नौशाद अली, शम्मी कपूर, जॉनी वॉकर और गुरुदत्त के साथ आया करते थे। आज भी सफर के दौरान ट्रेन खंडवा से गुजरती है तो मैं यहां कुछ पल के लिए जरूर उतरता हूं। रेहमान अली ने गौरीकुंज सभागृह में संगीत प्रेमियों, साहित्यकारों सहित शहरवासियों की कार्यशाला भी ली।