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Friday, March 29, 2024

Budget 2018: जानिए बजट कैसे बनता है कौन बनाता है !

बजट कैसे बनता है? कौन बनाता है? किस प्रिंटिंग प्रेस में इसकी छपाई होती है? इस प्रक्रिया में कौन शामिल होता है। अहम सूचनाएं लीक न हों, इसके लिए क्या इंतजाम किए जाते हैं? ये वो सवाल हैं जिनका जवाब सभी जानना चाहते हैं। बजट में क्या होगा और क्या होना चाहिए। इस पर तो तमाम चर्चाएं होती हैं, लेकिन करीब 2 घंटे तक, बिना रुके संसद में पढ़ा जाने वाला बजट तैयार कैसे होता है, आइए हम आपको बताते हैं।

हलवा समारोह से  दस्तावेजों की छपाई की प्रक्रिया शुरू होती है।  दरअसल ये बजट से जुड़ी वित्त मंत्रालय की सालों पुरानी परंपरा है, जिसमें हलवा समारोह से बजट के दस्तावेजों की छपाई की प्रक्रिया शुरू होती है। वित्त मंत्री के बजट पर पूरे देश की नजर होती है, और जिस बजट को वित्त मंत्री संसद में पढ़ते हैं, वह कड़ी मशक्कत और रात-दिन की मेहनत के बाद तैयार होता है। बजट बनाने की पूरी कहानी दिलचस्प है।

क्‍या है आम बजट : केन्द्रीय वित्त मंत्री की ओर से पेश की जाने वाली वार्षिक वित्त रिपोर्ट को ही ‘आम बजट’ कहा जाता है। इसमें अकाउंट्स स्टेटमेंट, अनुमानित प्राप्तियां,1 अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी वित्त वर्ष के लिए अनुमानित खर्च का विस्तृत ब्योरा होता है। इसमें शामिल सरकारी योजनाओं पर खर्च की स्वीकृति संसद पर निर्भर करती है। बजट के माध्यम से वित्त मंत्री संसद से टैक्स, ड्यूटीज और ऋण के माध्यम से धन जुटाने की मंजूरी चाहता है।

ऐसे तैयार होता है आम बजट :

सर्कुलर से होता है श्रीगणेश : सामान्य स्थिति में निर्माण की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो जाती है। सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर भेजा जाता है, जिसके जवाब में विवरण के साथ उन्हें आगामी वित्तीय वर्ष के अपने-अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्यौरा और फंड की आवश्यता की जानकारी देनी होती है। यह बजट की रूपरेखा के लिए एक आवश्यक कदम हैं।

 टैक्स पर माथापच्ची : वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवंबर में रायसीना हिल्स पर नॉर्थ ब्लॉक में हितधारकों जैसे उद्योग संघों, वाणित्य मंडलों, किसान समूहों और ट्रेड यूनियनों के साथ परामर्श शुरू करते हैं। सभी मिलकर टैक्स छूट और राजकोषीय प्रोत्साहनों पर बहस करते हैं।

राजनीति और सहयोगी दलों का ख्याल : इस चरण में आगामी वर्ष की बड़ी संभावनाओं पर फोकस किया जाता है। हितधारकों के साथ आखिरी बैठक होती है, जिसमें खुद वित्त मंत्री अध्यक्षता करते हैं। योजनाओं में सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक झुकाव और उसके सहयोगी दलों की इच्छाओं के हिसाब से सुधार किया जाता है।

अधिकारियों की निगरानी : वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग टेक्निशियन और स्टेनोग्राफर्स नॉर्थ ब्लॉक में एक तरह से कैद में रहते हैं और आखिरी के सात दिनों में तो बाहरी दुनिया से एकदम कट जाते हैं। वे परिवार से भी बात नहीं कर सकते हैं। किसी आपातकालीन स्थिति में, इन अधिकारियों के परिवार उन्हें दिए गए नंबर पर संदेश छोड़ सकते हैं, लेकिन उनसे सीधे बात नहीं कर सकते।

 गोपनीयता सर्वोपरि:  संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट बनाने वाली टीम की गतिविधियों और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं। स्टेनोग्राफरों पर सबसे अधिक नजर रखी जाती है। साइबर चोरी की आशंका से बचने के लिए इन स्टेनो के कम्प्यूटर नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) सर्वर से अलग रहते हैं। एक पावरफुल मोबाइल जैमर नार्थ ब्लॉक में कॉल्स को ब्लॉक करने और जानकारियों के लीक होने से बचने के लिए इंस्टॉल किया जाता है।

प्रिंटिंग प्रेस का भी अचानक दौरा : जहां स्टेनोग्राफर और अन्य अधिकारी काम करते हैं और रहते हैं, वहां वित्त मंत्री के साथ ही इंटेलिजेस ब्यूरो चीफ अचानक दौरा कर सकते हैं। यही क्रम नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट के प्रिंटिंग प्रेस क्षेत्र में भी जारी रहता है।

प्रिंटिंग की प्रक्रिया : वित्त मंत्री का भाषण एक सबसे सुरक्षित दस्तावेज है। यह बजट की घोषणा होने के दो दिन पहले मध्यरात्रि में प्रिंटर्स को सौंपा जाता है।

 ताकि लीक न हो : शुरुआत में बजट पेपर्स राष्ट्रपति भवन पर प्रिंट होते थे, लेकिन 1950 में बजट लीक हो गया था और प्रिंटिंग वेन्यू मिंटो रोड पर एक प्रेस में स्थानांतरित किया गया। 1980 से बजट नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में प्रिंट हो रहा है।

 ऐसे होती है बजट की प्रस्‍तुति : आम बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस के दिन पेश किया जाता है। सरकार को इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है। संसद के दोनों सदनों में बजट रखने से पहले इसे यूनियन कैबिनेट के सामने रखना होता है। वित्त मंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करते हैं। बजट दो भागों में बंटा होता है। पहले भाग में सामान्य आर्थिक सर्वे और नीतियों का ब्यौरा होता है और दूसरे भाग में आगामी वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष करों के प्रस्ताव रखे जाते हैं।

संसद में बजट पर बहस : बजट पेश किए जाने के बाद बजट प्रपोजलों पर संसद में सामान्य और विस्तृत बहस होती है। सामान्यत: लोकसभा में यह बहस 2-4 दिन तक चलती है। इस दौरान सरकार संसद में वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों के लिए खर्च पर ‘वोट ऑन अकाउंट’ करना चाहती है।

प्रक्रिया राष्‍ट्रपति की मंजूरी पर पूरी: इसके साथ ही संबंधित स्थायी समितियां संसद से अनुदान की मांग पेश करती हैं। सदन में बहस के अंतिम दिन स्पीकर की ओर से सभी बकाया अनुदान मांगों को वोट पर रखा जाता है। लोकसभा में बहस के बाद विनियोग विधेयक पर वोटिंग के साथ वित्त और धन विधेयक पर वोटिंग होती है। संसद की मंजूरी के बाद विधेयक को 75 दिन के भीतर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति के विधेयक को मंजूरी के साथ ही बजट प्रक्रिया पूरी हो जाती है।

बजट पेपर और नॉर्थ ब्‍लॉक : बजट पेपर वित्त मंत्रालय में स्थित प्रेस में तैयार होते हैं। बजट तैयार करने में जुटे अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक में बिल्कुल अलग-थलग रखा जाता है। उन्हें तब तक छुट्टी नहीं दी जाती जब तक वित्त मंत्री सदन में बजट पेश नहीं कर देते।

संजीव सिन्‍हा

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