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Friday, March 29, 2024

जन आंदोलन का रूप ले चुकी है नर्मदा सेवा यात्रा

Narmada seva yatraमध्यप्रदेश की जीवन रेखा पुण्य सलिला नर्मदा के तट पर बसे छोटे से गांव जैत में जन्म लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक सफर तय करने वाले सेवाभावी राजनेता शिवराज सिंह चौहान ने गत 11 दिसंबर को जब अमरकंटक में नमामि देवी नर्मदा प्रार्थना के साथ नर्मदा सेवा यात्रा का श्ुाभारंभ किया था तब उन्होंने यह घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश सरकार के इस आयोजन को व्यापक जन अभियान का रूप देने के आकांक्षी हैं जिसमें समाज के हर तबके के लोग अपना योगदान प्रदान करें। लगभग पांच माह तक अनवरत चलने वाली इस जन जागरण यात्रा का उद्देश्य नर्मदा नदी के पावन जल को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जनता में जागरूकता पैदा करना है इस यात्रा के पहले माह में ही प्रदेश की जनता ने इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जो अटूट उत्साह प्रदर्शित किया है वह इस बात का प्रमाण है कि मुख्यमंत्री अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल हुए हैं। इस अभियान की सफलता के लिए समाज के हर तबके से मिल रहे सहयोग से मुख्यमंत्री भाव विभोर हो उठे हैं। साथ ही मुख्यमंत्री के मन में यह कसक भी है कि प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली पावन नर्मदा नदी के जल में गंदगी बहाकर उसे विगत वर्षों में इतना प्रदूषित कर दिया गया है कि आज उसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जन जागरण अभियान प्रारंभ करने की अपरिहार्यता महसूस होने लगी थी।
संकल्प सेवा समर्पण की त्रिवेणी मुख्यमंत्री चौहान अब यह प्रण कर चुके हैं कि जब तक नर्मदा जल को पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं बना दिया जाता तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे। विगत एक माह के दौरान उन्होंने अनेकों बार अपने उद्बोधन में यह स्वीकार करने में तनिक भी संकोच नहीं किया कि पुण्य सलिला नर्मदा के जल को प्रदूषण से बचाने के लिए यह अभियान वास्तव में बहुत पहले शुरू हो जाना चाहिए था परंतु अब अपनी इस जिम्मेदारी के निर्वहन में कहीं कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। जनजन तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री स्वयं भी मीलों पैदल चल रहे हैं और लोगों को यह संदेश दे रहे हैं कि नर्मदा के पावन जल में गंदगी बहाकर उसे प्रदूषित करने का अपराध अब हम न करें। नर्मदा मैईया के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वाले मुख्यमंत्री चौहान को बड़ी संख्या में साधु संतों से भी इस पुनीत अभियान की सफलता के लिए आशीर्वाद मिल रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अमरकंटक मेें नर्मदा सेवा यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी और इस पुनीत आयोजन से प्रभावित होकर उन्होंने यह घोषणा की थी कि वे अपने राज्य में भी इसी तरह का एक जन जागरण अभियान प्रारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान के इस पुनीत अभियान की चर्चा अब दूसरे प्रदेशों में भी हो रही है और जिन राज्यों में नदियों के प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है वहां की सरकारों के लिए भी नर्मदा सेवा यात्रा प्रेरणा का विषय बन सकती है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर राज्य में प्रारंभ हुई अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं को कई अन्य सरकारों ने भी अपनाया है। नर्मदा सेवा यात्रा की विशेष महत्वपूर्ण बात यह है कि 3344 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी और मुख्यमंत्री चौहान स्वयं अधिकांश समय पद यात्रा में अपनी उपस्थिति सपत्नीक दर्ज कराएंगे।
मुख्यमंत्री चौहान की पहल पर प्रारंभ हुई नर्मदा सेवा यात्रा को समाज के सभी वर्गों का सक्रिय सहयोग मिल रहा है। इस यात्रा के दौरान लोगों को यह संदेश दिया जाएगा कि नर्मदा नदी के पावन जल में गंदगी न बहाएं ताकि इसे प्रदूषित होने से बचाया जा सके। नर्मदा सेवा यात्रा के शुभारंभ पर विशेष रूप से उपस्थित महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंदजी का कहना है कि राज्य सरकार के इस पुनीत अभियान में साधु संत भी सहभागी बनेंगे। उनका कहना है कि चूंकि नर्मदा नदी वृक्ष के जड़ों से निकले पानी से प्रवाहित होती है इसलिए पौधारोपण एवं उनका संरक्षण अत्यंत जरूरी है। अवधेशानंदजी ने घोषणा की कि उनके साथ हाजारों साधु संत नर्मदा तटों पर पौधारोपण करेंगे। मुख्यमंत्री ने भी घोषणा की है कि 2700 किलोमीटर लम्बे नर्मदा तट पर अधिक से अधिक फलदार पौधे रोपित करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार उन्हें आर्थिक सहयोग भी प्रदान करेगी। मध्यप्रदेश सरकार पौधारोपण अभियान को सफल बनाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से भी सलाह ले रही है। मुख्यमंत्री का मानना है कि मध्यप्रदेश में नर्मदा तट पर वैज्ञानिक विधि से पौधारोपण का यह अभियान दूसरे राज्यों के लिए आदर्श बन जाएगा। गौरतलब है कि नर्मदा नदी के दोनों तटों पर एक एक किलोमीटर क्षेत्र में फलदार पौधों के रोपण के लिए सरकार ने 668 करोड़ की राशि आवंटित करने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री के मन में इस बात को लेकर गहरी पीड़ा है कि मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मानी जाने वाली पुण्य सलिला नर्मदा के जल को विगत वर्षों में इतना प्रदूषित कर दिया गया है कि अब इसे प्रदूषण मुक्त बनाने का काम समाज के सभी वर्गों के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकता इसलिए उन्होंने नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु लोगों में जागरूकता फैलाने के नर्मदा सेवा यात्रा की पहल की और उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि उनकी अपेक्षा के अनुसार समाज के हर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में इससे जुड़ रहे हैं और उन्हें पूरा विश्वास है कि आने वाले महीनों में यह सेवा यात्रा एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले लेगी।
चूंकि नर्मदा जल को पूर्णत: प्रदूषण मुक्त बनाना ही इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है इसलिए सरकार इस काम में धन की कमी को आड़े नहीं आने देगी। सरकार ने 1403 करोड़ की लागत से 18 शहरों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का फैसला किया है। सरकार ने नर्मदा नदी के किनारे स्थित क्षेत्रों के अधिकारियों एवं संबंधित निकायों को निर्देश दिए हैं कि इस कार्य में दु्रतगति लाने के लिए वे जल्दी से जल्दी प्रोजेक्ट तैयार कर सरकार को भेजे। ताकि नर्मदा जल को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजना को शीघ्राति शीघ्र मूर्तरूप दिया जा सके।
मुख्यमंत्री चौहान नर्मदा सेवा यात्रा को बहुआयामी स्वरूप बनाने के आकांक्षी हैं। उनका मानना है कि पुण्य सलिला नर्मदा का ही आशीर्वाद है कि मप्र को देश में कृषि के क्षेत्र में नंबर एक होने का गौरव हासिल हुआ है जिसके कारण लगातार चार बार इस प्रदेश को केन्द्र में कृषि कर्मण अवार्ड से नवाजा है। विभिन्न क्षेत्रों में इसके तट का सौंदर्य बरबस ही लोगों को आकर्षित कर लेता है। इसलिए सरकार ने नर्मदा के दोनों तटों के समानांतर 8-8 मीटर चौड़े पाथवे का निर्माण करने का निर्णय लिया है। चूंकि प्रस्तावित पाथवे ग्रीन बेल्ट के बीच से गुजरेगा इसलिए मां नर्मदा की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने नर्मदा नदी के तट पर बने पर्यटन स्थलों एवं धार्मिक स्थलों में सुविधाओं के विकास तथा नर्मदा के उदगम स्थल अमरकंटक को देश का सबसे सुन्दर तीर्थ बनाने का लक्ष्य रखा है और इस अभियान की सफलता के लिए उनके समर्पण भाव को देखकर कोई भी विश्वास पूर्वक कह सकता है कि मुख्यमंत्री की संकल्प पूर्ति में लेश मात्र भी संदेह की गुंजयश नहीं है।
लगभग 5 माह चलने वाली नर्मदा सेवा यात्रा के पहले माह में ही लोगों ने इसमें सक्रिय सहयोग देने के लिए जो उत्साह प्रदर्शित किया है वह केवल ढोल ढमाके और जुलूसों तक ही सीमित नहीं है। नर्मदा तट पर स्थित गावों कस्बों के निवासी भी यह संकल्प ले चुके हैं कि वे न तो तट पर गंदगी फैलाएंगे और न ही नर्मदा जल में कूड़ा कचरा व अन्य प्रकार की गंदगी फैंक कर उसे प्रदूषित करेंगे। निश्चित रूप से यह यात्रा अब अपने लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है। नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए प्रारंभ किया गया यह जन जागरण अभियान दरअसल एक अनवरत चलने वाला अभियान बन सके यही मुख्यमंत्री की अभिलाषा है।
कृष्णमोहन झा
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं) 






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