29.8 C
Indore
Friday, April 26, 2024

क्या हैं ‘देश की छवि धूमिल’ करने के मापदंड ?


लोकहित से जुड़े वास्तविक मुद्दों को दरकिनार कर ‘देश कि छवि’ की कथित चिंता करने वाले तथाकथित राष्ट्रवादियों की इन दिनों बाढ़ सी आई हुई है। जिन्होंने और जिनके परिवार के किसी भी सदस्य ने भी आज तक देश हित के लिए शायद कोई भी योगदान न दिया हो वही राष्ट्रवाद का झण्डा उठाए हुए है और उसे उसके अपने विचारों के विरुद्ध नज़र आती कोई भी बात ‘राष्ट्र विरोधी’ नज़र आ रही है। ज़ाहिर है ऐसी बातें करने वाले लोग,संगठन या पार्टी सभी राष्ट्र विरोध और यहाँ तक की राष्ट्र द्रोही की सूची में डाल दिए गए हैं। यदि आप ‘सत्ता भक्तों ‘ से पूछिए कि नौकरियों के नए अवसर पैदा होने के बजाए लाखों लोगों की नौकरियां क्यों जा रही हैं तो आप राष्ट्र विरोधी कहे जाएंगे ।

आप मंहगाई,किसानों की बदहाली,बाज़ार में छाई मंदी,क़ानून व्यवस्था,भारतीय मुद्रा के अवमूल्यन,अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती,अल्पसंख्यकों अथवा दलितों पर आए दिन हो रहे अत्याचार,देश में बढ़ती साम्प्रदायिकता,जातिवाद अथवा मानवाधिकारों संबंधी कोई भी बात करें तो यह अंधभक्त बिना समय गंवाए हुए आपके माथे पर राष्ट्रविरोधी अथवा राष्ट्रद्रोही का लेबल चिपका देंगे।और इंतेहा तो यह है कि इन तथाकथित राष्टभक्तों के सरग़नाओं ने तो स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने तथा स्वतंत्रता के बाद देश को तरक़्क़ी की राह पर लगाने वाली कांग्रेस पार्टी को भी राष्ट्रविरोधी बताना शुरू कर दिया है। ऐसे में इस बात पर चिंतन किया जाना बेहद ज़रूरी है कि आख़िर ‘देश की छवि’ को कौन धूमिलकर रहा है और यह भी कि ‘देश की छवि धूमिल’ करने की परिभाषा व इसकी व्याख्या है क्या?

देश में विभिन्न स्थानों से धर्म के नाम पर भीड़ द्वारा की जानी वाली हिंसा के प्रति चिंता जताते हुए देश की लगभग 49 सम्मानित हस्तियों ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा। जिन लोगों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा उनमें इतिहासकार रामचंद्र गुहा,फ़िल्मकार अनुराग कश्यप, मणि रत्नम,और अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा,फ़िल्म निर्देशक श्याम बेनेगल, अभिनेता सौमित्र चटर्जी, अभिनेत्री अपर्णा सेन तथा गायिका सुधा मुद्गल आदि के नाम प्रमुख हैं। इन बुद्धिजीवियों ने अपने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री से मांग की कि ‘ मुस्लिमों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों पर भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट्स के मुताबिक़ 2016 में दलितों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न की 840 घटनाएं हुईं। लेकिन, इन मामलों के दोषियों को मिलने वाली सज़ा का प्रतिशत कम हुआ है’।

पत्र में एक आंकड़ा पेश किया गया जिसके अनुसार ‘जनवरी 2009 से 29 अक्टूबर 2018 तक धार्मिक पहचान के आधार पर 254 घटनाएं दर्ज हुईं। इनमें 91 लोगों की मौत हुई तथा 579 लोग घायल हुए। मुस्लिमों के विरुद्ध होने वाली हिंसा के 62% मामले, ईसाइयों के विरुद्ध हिंसा के 14% मामले दर्ज किए गए’। प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए इस पत्र में यह भी कहा गया था कि ‘मई 2014 के बाद से जबसे आपकी (नरेंद्र मोदी ) सरकार सत्ता में आई है तब से भीड़ द्वारा हमले के 90% मामले दर्ज हुए। आप संसद में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा कर देते हैं, जो पर्याप्त नहीं है। सवाल यह है कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई’? पत्र में यह भी लिखा गया कि ‘इन घटनाओं को ग़ैर ज़मानती अपराध घोषित करते हुए तत्काल सज़ा सुनाई जानी चाहिए। यह सवाल भी किया गया कि यदि हत्या के मामले में बिना पैरोल के मौत की सज़ा सुनाई जाती है तो फिर लिंचिंग के लिए क्यों नहीं? यह ज़्यादा जघन्य अपराध है। नागरिकों को डर के साए में नहीं जीना चाहिए।’

अपने पत्र में इन लेखकों,फ़िल्मकारों व इतिहासकारों ने यह भी लिखा कि ‘इन दिनों “जय श्री राम” एक हथियार बन गया है। इसके नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं। यह चौंकाने वाली बात है। अधिकांश हिंसक घटनाएं धर्म के नाम पर हो रही है। यह मध्य युग नहीं है। भारत में राम का नाम कई लोगों के लिए पवित्र है। इसको अपवित्र करने के प्रयास रोके जाने चाहिए’। उन्होंने यह भी लिखा कि ‘सरकार के विरोध के नाम पर लोगों को ‘राष्ट्र-विरोधी’ या ‘शहरी नक्सल’ नहीं कहा जाना चाहिए और न ही उनका विरोध करना चाहिए। अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। असहमति जताना इसका ही एक भाग है’।

सोचने का विषय यह है कि उपरोक्त पत्र में क्या ग़लत लिखा गया है? देश की चिंतित जनता यदि अपने प्रधानमंत्री को पत्र न लिखे तो किसे लिखे ?और यदि यह पत्र लिखना अपराध है तो भारतीय संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा का अर्थ ही क्या है ? परन्तु बिहार में मुज़फ़्फ़रपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले उपरोक्त बुद्धिजीवियों के विरुद्ध एक प्राथमिकी दर्ज की गई। एक ‘स्वयंभू राष्ट्रभक्त’ स्थानीय वकील की ओर से दो महीने पहले दायर की गई एक याचिका पर यह प्राथमिकी दर्ज हुई थी। याचिकाकर्ता वकील का आरोप था कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को कथित तौर पर धूमिल किया। यह प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गयी थी जिसमें राजद्रोह, उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने आदि से संबंधित धाराएं लगाई गईं थीं।

मुज़फ़्फ़रपुर में उपरोक्त हस्तियों पर दर्ज हुए राजद्रोह जैसे मुक़द्दमे के विरुद्ध नसीरूद्दीन शाह,रोमिला थापर,अशोक वाजपेयी, जैरी पिंटो,शम्सुल इस्लाम, शिक्षाविद इरा भास्कर, कवि जीत थायिल, संगीतकार टीएम कृष्णा और फ़िल्मकार सबा देवान समेत 180 विशिष्ट लोगों ने यह मुक़द्द्मा दर्ज किए जाने की कार्रवाई का विरोध किया।इन सभी ने पूछा कि ‘प्रधानमंत्री को पत्र लिखने भर से देशद्रोह का मामला कैसे बन सकता है’? इन्होंने कहा कि “हमारे 49 साथियों के विरुद्ध पुलिस में केवल इसलिए मामला दर्ज किया गया क्योंकि उन्होंने देश में मॉब लिंचिंग पर चिंता जताकर एक नागरिक का कर्तव्य पूरा किया था। क्या नागरिकों की आवाज़ को बंद कराना, अदालतों का दुरुपयोग करना ‘उत्पीड़न’ नहीं है?”

बहरहाल,मुक़ददमा दर्ज होने के बाद जब बिहार पुलिस ने इस सम्बन्ध में जांच पड़ताल की तो उसने अपनी जांच में 49 बुद्धिजीवियों के ख़िलाफ़ की गई शिकायत को झूठ व बेबुनियाद पाया। जांचकर्ता बिहार पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि यह शिकायत तथ्यहीन, आधारहीन, साक्ष्यविहीन और दुर्भावनापूर्ण थी। इस जाँच की निगरानी स्वयं मुज़फ़्फ़रपुर के एसएसपी मनोज कुशवाहा द्वारा की गयी।

उन्होंने इस पूरे मामले को तथ्यहीन, आधारहीन, साक्ष्यविहीन और दुर्भावनापूर्ण बताया। इतना ही नहीं बल्कि बिहार पुलिस के एडीजी जितेंद्र कुमार के अनुसार इस मामले के शिकायतकर्ता वकील के विरुद्ध आईपीसी की धारा 182/211 के तहत कार्रवाई का भी आदेश दे दिया गया है। उपरोक्त पूरे प्रकरण में क्या यह सोचने के बिंदु नहीं हैं कि आख़िर ‘देश की छवि धूमिल’ कैसे हो रही है ?

कौन कर रहा है देश की छवि को धूमिल ? क्या जिन घटनाओं व कारणों को लेकर प्रधानमंत्री को शिकायती पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई गयी उन घटनाओं व कारणों के चलते देश की छवि धूमिल नहीं हो रही है ?या इन कारणों के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री को अवगत कराना व जागरूक नागरिक का परिचय देते हुए अपनी अभिव्यक्ति का प्रयोग करना ही ‘देश की छवि धूमिल करने’ के सामान है ?

या फिर इन शिकायतकर्ताओं के विरुद्ध मुक़द्दमा दायर करना व याचिका के माध्यम से सरकार की ख़ुशामद व चाटुकारिता कर अपनी ‘सत्ता भक्ति ‘का प्रदर्शन करना देश की छवि धूमिल करने जैसा है?यह फ़ैसला समय आने पर स्वयं जनता को करना चाहिए की आख़िर क्या हैं देश की छवि धूमिल करने के मापदंड?
तनवीर जाफ़री

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
135,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...