लखनऊ – उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक वोटों में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे एमआईएम नेता असदउद्दीन ओवैसी को इलाहाबाद में रैली करने की इजाजत नहीं दी गई है। इलाहाबाद प्रशासन ने लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू ) की रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर ओवैसी की रैली रद्द कर दी है। रैली 15 मार्च को प्रस्तावित थी।
प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देकर कहा है कि औवैसी को इलाहाबाद में किसी भी प्रकार की सभा या अन्य कार्यक्रम करने करने को मंजूरी नहीं दी जाएगी।
प्रशासन के निर्णय से भड़के मजलिस इत्तेहादुल मुस्लमीन (एमआईएम) के नेताओं ने आरोप लगाया है कि इलाहाबाद प्रशासन नगर विकास मंत्री आजम खां के इशारे पर काम कर रहा है और इसी वजह से ओवैसी के कार्यक्रम को मंजूरी नहीं दे रहा। एमआईएम अब न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है।
एमआईएम ने सबसे पहले बहादुरगंज के पास दायरा मुहीबुल्लाह में ओवैसी की सभा के लिए अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने एमआईएम का आवेदन निरस्त कर दिया। हालांकि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गत चार मार्च को प्रशासन ने रैली की इजाजत दे दी थी।
सोमवार को एडीएम कार्यालय की ओर से जारी आदेश में मुट्ठीगंज थाने के प्रभारी की रिपोर्ट के आधार पर रैली को निरस्त कर दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि स्थानीय नागरिक ओवैसी की रैली का विरोध कर रहे हैं और रैली से बोर्ड परीक्षा में भी परेशानी आ सकती है।
एमआईएम ने वसीयाबाद और करेली में सभा के लिए इजाजत मांगी लेकिन इस उन आवेदनों को भी निरस्त कर दिया गया।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ओवैसी के ऐसे किसी भी कार्यक्रम या सभा के आयोजन को मंजूरी नहीं दी जाएगी, जिसमें भीड़ जुटने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि ओवैसी पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगते रहे हैं और माना जा रहा है कि प्रशासन कानून-व्यवस्था के मद्देनजर एहतियातन ओवैसी की सभाओं का मंजूरी नहीं दे रहा है।
इलाहाबाद के एडीएम सिटी एसके शर्मा का कहना है कि एलआईयू और पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर अब इलाहाबाद में ओवैसी के किसी भी कार्यक्रम या सभा के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी।
एमआईएम के नगर संयोजक अफसर महमूद और अन्य नेताओ ने मामले में मंगलवार को एसपी सिटी से मुलाकात भी की। नगर संयोजक ने आरोप लगाया है कि प्रशासन नगर विकास मंत्री आजम खां के इशारे पर काम कर रहा है। अगर ओवैसी इलाहाबाद आए तो आजम की सियासी जमीन खिसक जाएगी, जो आजम को गंवारा नहीं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन के निर्णय के लिए विरोध में न्यायालय की शरण में जाएंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष कम से कम चार बार ऐसे मौके आए जब उत्तर प्रदेश में आवैसी की रैलियों को रद्द किया गया।