संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। इससे पहले कांग्रेस को एक बड़ा फैसला करना है। यह फैसला है राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष का। दरअसल, अब तक इस पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे थे, लेकिन पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा सोनिया गांधी को सौंपा गया था। जानकारी के मुताबिक, सोनिया गांधी ने इस्तीफा स्वीकार किया या नहीं, यह अब तक साफ नहीं है, क्योंकि राज्यसभा सचिवालय को इसकी कोई जानकारी नहीं है। कांग्रेस के पास दोनों विकल्प खुले हैं। पहला – मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों पदों (पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष) के पद पर बने रहें या दूसरा – उनके स्थान पर किसी और नेता को लीडर ऑफ अपोजिशन चुना जाए।
एक व्यक्ति – एक पद का फॉर्मूला
पार्टी ने एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला अपना रखा है। इसी फॉर्मूले का हवाला देते हुए अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफा मांगा गया था। हालांकि यह कांग्रेस नेतृत्व के ऊपर है कि वो मल्लिकार्जुन खड़गे के मामले में इस फॉर्मूले का पालन करते हैं या नहीं।
मल्लिकार्जुन खड़गे हटे तो ये नेता दौड़ में
चर्चा जोरों पर है कि मल्लिकार्जुन खड़गे हटे तो राज्यसभा में नेता विपक्ष कौन होगा। कुछ नेताओं के नाम लिए जा रहे हैं, जिनमें कुछ दक्षिण भारत के तो कुछ उत्तर-मध्य भारत के हैं। जैसे – पी. चिदंबरम, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, दिग्विजय सिंह, राजीव शुक्ला और प्रमोद तिवारी।
कांग्रेस के सामने एक चुनौती बैलेंस बनाने की भी है। दरअसल, अभी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे कर्नाटक से हैं। संगठन महासचिव वेणुगोपाल केरल से हैं। राहुल गांधी भी केरल से सांसद हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर पश्चिम बंगाल से हैं। यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास दक्षिण भारत से हैं। ऐसे में देश के अन्य हिस्से को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।