यह धारणा गलत है कि सिर्फ पुरूषों को ही हार्ट अटेक होता है। महिलाओं को भी हृदय रोग व अटैक का बराबर खतरा है। गौरतलब है कि रजो निवृत्ति के बाद हृदय रोग महिलाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण है। एक अजीब बात यह है कि हार्ट अटैक के झटके को पुरूषों की तुलना में महिलाएं कम बर्दाश्त कर पाती है।
इसका सही कारण तो किसी को मालूम नहीं है, लेकिन अनुमान यह है कि महिलाएं पुरूषों की तुलना में इस रोग का उपचार देर से हासिल करती हैं या करती ही नहीं। फिर यह भी हो सकता है कि महिलाओं के छोटा दिल व ब्लड बैसल्स अधिक आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाते हों। महिलाएं इतना कैंसर से नहीं मरतीं जितना कि हृदय रोगों से । फिर भी यह धारणा बनी हुई है कि महिलाआं को हृदय रोग नही होता। इस गलतफहमी की वजह शायद यह है कि पुरूषों की तुलना में महिला को 7 या 8 वर्ष बाद दिल की बीमारी लगती है, लेकिन 65 बरस को होने पर महिला को भी इस रोग का खतरा पुरूष के बराबर ही हो जाता है ।
दरअसल, यह जीवनशैली से संबंधित बीमारी है, इसलिए इससे बचने के लिए अपनी जीवनशैली पर जरा गौर करें और साथ ही अपने पारिवारिक इतिहास व सामान्य स्वास्थ्य पर भी नजर दौड़ाएं। इस जानकारी की रोशनी में आप अपने फैमिली डाक्टर के साथ मिलकर खतरे का विश्लेषण कर सकती हैं और समस्या से बचने की योजना भी बना सकती हैं।
हालांकि, अपने पारिवारिक इतिहास या अपनी उम्र के संदर्भ में आप कुछ नहीं कर सकतीं, लेकिन जीवनशैली को सही करके खतरे के अन्य तत्वों को बदल सकती हैं। बावजूद इसके विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष 120 लाख से ज्यादा व्यक्ति मरते हैं, जिनमे आधे से अधिक महिलाएं होती है। अगर सभी किस्म के कैंसरों से होने वाली मौतों को मिला भी लिया जाए, तो भी उससे दो गुनी मौतें महिलाओं की हार्ट अटैक और स्ट्रोक की वजह से होती है।
इन आंकड़ों के होते हुए भी अब तक यही माना जाता है कि हृदय रोग पुरूष की तुलना में महिला को कम होता है। यह गलतफहमी है जिसका दूर किया जाना आवश्यक है। एंजाइना, हार्ट अटैक आदि रोगों से रजोनिवृत्ति के बाद महिलाएं आमतौर पर पीडित हो जाती हैं।
किसी भी व्यस्त अस्पताल में आप अगर हृदय रोगियों की गिनती करेंगे तो उनमें से लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं होंगी। मगर महिलाओं के साथ इस रोग को लेकर भेदभाव होता है, इसलिए लक्षणों को नजरंदाज कर दिया जाता है जिससे डायग्नोसिस देर में होता है।
कुल मिलाकर तथ्य यह है कि पुरूष की तुलना में महिला को होने वाला हार्ट अटैक अधिक घातक होता है यह भी गलत धारणा है कि यह बूढ़ों का रोग है। गलत जीवनशैली अपनाने से कम उम्र में भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है।
यही वजह है कि 30-35 प्रतिशत हृदय रोगी 45 बरस से कम के हैं आज हार्ट अटैक होने की औसत आयु 50से घटकर 40 हो गयी है ।20-30 के आयुवर्ग में भी हार्ट अटैक के मामले पाए गए है। हकीकत यह है कि आधुनिक जीवनशैली ने हृदय रोग में इजाफा किया है। कि हृदय रोगों से अधिक मौतें हो रही हैं।