लखनऊ [ TNN ] उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार खुले आम खनन माफियाओं को संरक्षण दे रही है। सरकारी संरक्षण में ये माफिया इस कदर बेलगाम हो गए हैं कि इन्हें किसी का भी डर नहीं है। बांदा में खनन माफिया पर नकेल कसने गए खनन अधिकारी और उनकी टीम पर माफिया के समर्थकों ने जानलेवा हमला किया जिसमें एक दारोगा को गंभीर चोटें आई हैं।
पीलीभीत में पूरनपुर के तहसीलदार अमरमणि त्रिपाठी पर गजरौला थाना क्षेत्र के ग्राम बकैनिया में खारजा नहर के पास खनन माफियाओं ने ट्रैक्टर चढ़ाकर जान से मारने की कोशिश की थी।
बेखौफ खनन माफियाओं ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में स्थित राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में भी घुसपैठ कर ली है। चंबल नदी में किसी भी तरह के खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध अर्से से लगा हुआ है ताकि नदी में पाए जाने से दुर्लभ प्रजाति के जलचरों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हो पाने पाए मगर माफियाओं द्वारा ऊटों के जरिए खनन का सिलसिला बेरोकटोक जारी है। चंबल नदी में बसवारा गांव के किनारे करीब दो सौ से अधिक ऊट पूरे दिन बालू निकालते है।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 मोहन ने कहा कि अब खनन माफियाओं की नजरें प्रदेश के वन क्षेत्रों पर भी गड़ गई हैं. वन क्षेत्रों में अवैध खनन और खनन होने की जानकारी प्रदेश सरकार को भी है। प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) अनुसंधान एवं प्रशिक्षण ने अपनी हालिया रिपोर्ट में आगरा, चंबल, मथुरा, उरई, कानपुर, काशी और कैमूर वन प्रभाग में खनन और अवैध कटान की पुष्टि करते हुए जांच की सिफारिश की है।
हाइकोर्ट पिछले दिनों कई बार अवैध खनन रोकने का आदेश दे चुका है लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। खनन माफियाओं को सरकारी संरक्षण मिलने के कारण ही जिलाधिकारी और एसएसपी अवैध खनन रोकने में नाकाबिल साबित हो रहे हैं। इस वजह से बेलगाम खनन माफिया न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन रहे हैं बल्कि सरकार को राजस्व का भी नुकसान उठना पड़ रहा है
रिपोर्ट :- शाश्वत तिवारी