इलाहाबाद [ TNN ] प्रेम में बनाए गए शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है। जहां महिला बालिग है और विवाह पूर्व शारीरिक रिश्ते बनाने के परिणाम और दुष्परिणाम से वाकिफ है वहां ऐसे रिश्ते आपसी सहमति से बनते हैं। संसार के किसी भी मजहब में विवाह पूर्व शारीरिक संबंध को जायज नहीं माना गया है।
प्रेम करने वाले जोड़े भावनाओं के अतिरेक में बह कर शारीरिक रिश्ते कायम कर लेते हैं बाद में महिला द्वारा इसे बलात्कार बताना उचित नहीं माना जा सकता है। इलाहाबाद में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विकार अहमद अंसारी ने इस निरीक्षण के साथ बलात्कार के आरोपी योगेश को आरोपमुक्त कर दिया है।
अभियुक्त के खिलाफ पीड़िता ने सरायइनायत थाने में 18 अगस्त 2012 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उस पर शादी का झांसा देकर लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखने तथा बाद में शादी से इनकार कर देने का आरोप था। पुलिस ने इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया।
अदालत ने चार दिसंबर 2012 को आरोप तय कर विचारण प्रारंभ कर दिया। अदालत के समक्ष दिए बयान में पीड़िता ने बताया कि वह अनुसूचित जाति की है। उसका अपनी बुआ के घर सुजानपुर अक्सर आना जाना था। वहीं पर योगेश उर्फ बबलू से उसकी मुलाकात हुई।
योगेश ने उससे शादी करने का वादा किया और इसी आश्वासन पर उसने संबंध बनाने की इजाजत दी। वह जब भी शादी की बात करती योगेश टाल देता था। उनका संबंध करीब चार साल तक चलता रहा। योगेश ने उसे एक मोबाइल फोन भी दिया था। बार-बार दबाव डालने के बाद योगेश ने एक दिन उससे कहा कि वह ऊंची जाति का है इसलिए विवाह नहीं कर सकता। परिवार वाले भी राजी नहीं है। तब उसने थाने में शिकायत दर्ज कराई।
न्यायाधीश ने गवाहों के बयान, तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर पाया कि दोनों के बीच गहरा प्रेम संबंध था। युवती बालिग है और विवाह पूर्व शारीरिक संबंध के परिणामों से वाकिफ भी है। परिवार वालों के विरोध की भी उसे जानकारी थी। इसके बावजूद दोनों के बीच रिश्ता चलता रहा। इस आधार पर अदालत ने योगेश को बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया।