भोपाल [ TNN ] प्रधानमंत्री श्री मोदी ने गाँधी जयंती के अवसर पर बड़े जोर-शोर से स्वच्छ भारत अभियान का प्राम्भ किया. इस अभियान में उनके द्वारा गली चौराहों के कचरे की सफाई का पूरे राष्ट्र में प्रदर्शन किया गया. लेकिन इस शोर के पीछे बहुत चतुराई से इस बात को छिपाया गया कि श्री मोदी के शासन काल में गुजरात को देश का सर्वाधिक प्रदूषित प्रदेश होने की ख्याति प्राप्त हुई. प्रतीकात्मक सफाई के इस प्रदर्शन से यह बात भी छिपाया जा रही है कि विदेश से अरबो डॉलर लेकर मुनाफा की गारंटी देकर श्री मोदी “विकास” की जो योजना बना रहें है, उसमे कंपनियों को मुनाफा की गारंटी को पूरा करने के लिए, पूरे भारत भर में भयंकर प्रदूषण बढेगा और स्वच्छ हवा, पानी और ज़मीन की बलि चढ़ाना पड़ेगा.
गुजरात देश के सर्वाधिक प्रदूषित प्रदेश
स्वच्छता को बढावा देने के लिए क्या रहा है मोदीजी का रिकॉर्ड ? गांधीजी के गुजरात को मोदी के शासन काल में केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने 2010 में देश का सर्वाधिक प्रदूषित राज्य घोषित किया. उनकी रिपोर्ट के अनुसार देश में उपस्थित कुल 62 लाख टन जीवन के लिए घातक कचरे का सर्वाधिक प्रतिशत – 29% गुजरात में था. सन 2012 में इसी बोर्ड की रिपोर्ट ने पाया देश की सर्वाधिक प्रदूषित 3 नदियाँ साबरमती व् खारी (अहमदाबाद) और आमलाखेड़ी (अंकलेश्वर) गुजरात में हैं. सन 2012 में भारत के नियंत्रक व् महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी 2011-2012 के रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया कि गुजरात में 32% पीने का पानी प्रदूषित है जिसके कारण पानी से उत्पन्न होने वाला रोग बेहिसाब बढ़ रहे हैं.
व्यापक प्रदूषण को नज़रंदाज़ करते हुए और मुनाफा की गारंटी के साथ आगे बढ़ाये जा रहे इसी गुजरात मॉडल को विदेशो से अरबो डॉलर लेकर अब भारत भर में मेक इन इंडिया के नाम से थोपने की तैय्यारी चल रही है. नयी सरकार के आते ही केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 240 परियोजनाओं को आनन फानन में मंजूरी दे दी. सरकार द्वारा इन प्रदूषणों पर नियंत्रण करने वाले सभी कानूनों जैसे पर्यावरण सुरक्षा कानून, वन सुरक्षा कानून, जल प्रदुषण नियंत्रण कानून, 1974, वायु प्रदुषण नियंत्रण कानून, 1981 पर पुनर्विचार कर बदलने की करवाई भी प्रारंभ हो गयी है. इससे बिलकुल साफ़ है कि आने वाले दिनों में “मेक इन इडिया” के तहत ऐसी सैकड़ों परियोजनाएं लायी जाएँगी जो हमारे हवा, पानी, जमीन व् पर्यावरण को पूरी तरह नष्ट कर देगी.
भोपाल में फैलता कचरे का जहर
भोपाल गैस कांड एक जीता-जागता उदहारण है कि किस तरह सरकारों ने एक भरे शहर के बीच एक विदेशी कंपनी को जहरीला पदार्थो का उत्पादन करने दिया, जिसके कारण हजारो लोगो को दर्दनाक मौत का सामना करना पड़ा. विदेशी कंपनी द्वारा किये गए भोपाल गैस कांड का हजारों टन कचरा आज भी भोपाल के पानी, ज़मीन और हजारों लोगों का जीवन को प्रभावित कर रहा है. फिर भी इस हादसे के 30 साल बाद भी इस कचरे को हटाने की कारवाई नहीं हुई है, और ना ही विदेशी कंपनी पर कोई सार्थक कारवाई.
मोदी सरकार आने के बाद से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों हमारे जीवन के लिए जरुरी पानी व् हवा का प्रदूषण और तेजी से बढेगा. गत वर्ष केदारनाथ और इस साल काश्मीर में हम इस तरह का खिलवाड़ का परिणामों को देख चुके है. जरुरी है कि हमारे जीवन के लिए जरुरी हवा, पानी , जमीन की सुरक्षा के लिए बड़े प्रदूषणों से मुक्ति दिलाई जाये और इनके संरक्षण के लिए बने किसी भी कानून में बदलाव नहीं किया जाये.