नई दिल्ली [ TNN ] केंद्र सरकार विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले कुछ भारतीयों के नाम अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में जांच में जिनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिल चुके हैं, ऐसे लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपे जाएंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मंत्रियों के लिए सोमवार को दिए डिनर में उनसे कहा था कि जिन लोगों के खिलाफ जांच निर्णायक स्थिति में पहुंच गई है, सरकार उनके नाम सरकार सुप्रीम कोर्ट में बताएगी।
शीर्ष सरकारी सूत्रों ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि सरकार इस मामले में 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पूरक शपथ पत्र दाखिल करेगी, जिसमें नामों को सीलबंद लिफाफे में देने की योजना के बारे में अदालत को सूचना देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मंत्रणा के बाद सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला किया है। पहली लिस्ट में यूरोपीय देशों की सरकारों के द्वारा उपलब्ध कराए गए 800 में से 136 लोगों के नाम शामिल होंगे।
पिछले सप्ताह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन करके कहा था कि वह विदेश में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम दोहरे कराधान बचाव समझौते की वजह से उजागर नहीं कर सकती है। सरकार का कहना था कि ऐसा करने से संधि का उल्लंघन होगा। इसके बाद बीजेपी के भीतर भी चर्चाओं में नेताओं ने कहा था कि नाम नहीं उजागर करने से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचेगा। पार्टी ने इस साल हुए आम चुनाव में काले धन के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और इसे वापस लाने का वादा किया था।
सरकारी सूत्रों ने अंग्रेजी अखबार को बताया कि स्विट्जरलैंड और दूसरे देशों से हुई संधि कोर्ट में उन लोगों के नाम बताने से नहीं रोकती है, जिनके खिलाफ जांच में मजबूत सबूत मिल चुके हों। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी मंगलवार को एक न्यूज चैनल से बातचीत में वादे से मुकरने के आरोप के जवाब में कहा था कि मीडिया की गलत रिपोर्टिग के कारण कांग्रेस को आरोप लगाने का मौका मिल गया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने के बाद मीडिया ने कहना शुरू कर दिया कि सरकार खाताधारकों के नाम उजागर करना नहीं चाह रही है, जबकि हमारा पक्ष यह था कि कानूनी तौर-तरीकों के मुताबिक ही हम विदेश में काला धन रखने वालों के नाम बताएंगे।
जेटली ने कहा कि जर्मनी के साथ दोहरे कराधान से बचाव का समझौता सरकार को सिर्फ मीडिया के सामने नाम सार्वजनिक करने से रोकता है। इसमें अदालत के सामने नाम खोलने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको आश्वासन देना चाहता हूं कि जब सारे नाम उजागर हो जाएंगे, तो हमारे लिए यह शर्मिदगी की बात नहीं होगी, लेकिन कांग्रेस को जरूर शर्मसार होना पड़ जाएगा।
इस बात का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि भारतीयों की कितनी रकम विदेशी बैंकों में जमा है। हालांकि, वॉशिंगटन के थिंक टैंक ग्लोबल फाइनैंशल इंटिग्रिटी के अनुमान के मुताबिक 1948 से 2008 तक भारतीयों ने 462 अरब डॉलर यानी करीब 28 लाख करोड़ रुपये विदेशी बैंकों में जमा किए हैं। सरकार ने दिल्ली की तीन एजेंसियों एनसीएईआर, एनआईपीएफपी और एनआईएफएम को भारतीयों द्वारा जमा कराए गए काले धन के आकलन करने का काम सौंपा है।