बांदा [ TNN ] उत्तर प्रदेश के बांदा से सामने आया है एक हैरान कर देने वाला मामला जहां कई बच्चे एक पेड़ को देखने मात्र से बेहोश हो गए। दावा किया जा रहा है कि कोई प्रेतात्मा उन्हें डराती है और धक्का देकर गिरा देती है।
प्रशासन जांच की बात कह रहा है और डॉक्टर इस बात को सिरे से नकार रहे हैं लेकिन उन बच्चों का क्या जो डरे हुए हैं और अभिभावकों ने भी स्कूल भेजना बंद कर दिया है।
खबर के मुताबिक तिंदवारी थाना क्षेत्र के गजनी गांव में पूर्व माध्यमिक स्कूल के पास लगे नीम व बरगद के पेड़ को देखकर करीब दर्जन भर बच्चे बेहोश हो गए। गंभीर हालत में सभी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार तो नहीं है लेकिन घटना के संबंध में स्कूल के प्रधानाध्यापक, ग्राम प्रधान व पीड़ित बच्चों का अवैज्ञानिक दावा है कि बरगद के पेड़ पर कोई प्रेतात्मा उन्हें डराती है और धक्का देकर गिरा देती है।
एक-दो बच्चों के बेहोश होने का सिलसिला तो बीते कई दिन से जारी है। प्रशासनिक अधिकारी और डाक्टर इस तरह की घटना से हैरान हैं। एसडीएम ने अस्पताल पहुंचकर मामले की जानकारी की।
मंगलवार को दोपहर करीब 12 बजे स्कूल के बच्चे इंटरवल के दौरान स्कूल के बाहर मैदान में खेल रहे थे तभी सातवीं कक्षा की प्रतिमा (13) व उसकी बहन कीर्ति (12), रमा यादव (13), शालू सिंह (13), छाया वर्मा (13), सुशील गौर (11) और 6वीं कक्षा के प्रियांशू विश्वकर्मा (12) व पूजा देवी (12) तथा मैना देवी (13) आदि बच्चे एक-एक कर बेहोश हो गए।
अर्द्ध मूर्छित अवस्था में उनके शरीर ऐंठने लगे। इन सभी बच्चों को तत्काल जिला अस्पताल लाया गया। उनके साथ प्रधान जयकरन यादव व प्रधानाध्यापक भी थे। बच्चों ने दावा किया कि कोई कथित प्रेत आत्मा उन्हें डराती है।
बड़ी संख्या में बच्चों के बेहोश की सूचना पर तिंदवारी सीएचसी की स्वास्थ्य टीम, एसडीएम सदर प्रह्लाद सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। बरगद के पेड़ पर प्रधानाध्यापक ने लिखित नोटिस लगा दी है कि कोई व्यक्ति या बच्चा इस पेड़ के नजदीक न जाए। उधर, तमाम अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया।
जिला अस्पताल बांदा के सीएमएस डॉक्टर शेखर के मुताबिक बच्चों को साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम है। कोई बीमारी नहीं है। फिलहाल अब वह सामान्य हैं। बच्चों का इलाज करने वाले डॉ. विनीत सचान व डॉ. सुशील कुमार ने अभिभावकों की संतुष्टि के लिए पीड़ित बच्चों को मेडिकल कालेज ले जाने की सलाह दी थी।
एसडीएम सदर प्रह्लाद ने कहा कि प्रेतात्मा की बात सिर्फ अफवाह है। फिलहाल देवी-देवताओं में लोगों की आस्था पर वह सवाल नहीं उठा रहे हैं। गजनी विद्यालय में इसके पूर्व 20 नवंबर को भी ऐसा ही मामला सामने आया था। मंगलवार को वह खुद गजनी गांव गए थे। पीड़ित बच्चों को अस्पताल भेजा गया है। बच्चों के मर्ज के बारे में डाक्टर ही बता सकते हैं।
दूसरी ओर ग्राम प्रधान जयकरन यादव ने दावा किया कि दोपहर 12 से 3 बजे के बीच ही बच्चों के पेड़ के नजदीक जाने पर ऐसी घटना होती है। प्रधान और अभिभावकों ने बताया कि अफवाह इस तरह की भी है बच्चों के मूर्छित होने पर ‘जय अगिया बैताल माता की जय’ उद्घोष लगाने पर बच्चों की हालत सुधरने लगती है।
प्रधान ने बताया कि स्कूल के पास ‘अगिया बैताल’ नाम का स्थान (चबूतरा) है। यह जर्जर हो चुका है। परंपरा है कि किसी भी काम की शुरूआत से पहले यहां आकर पूजा की जाती है। मंगलवार को शिव कुमार (45) पत्नी रामसिया भी पूजा के दौरान बेहोश हो गईं।
गांव के पूर्व कोटेदार जयकरन सिंह ने बताया कि उसने बुजुर्गों से सुना है कि स्कूल के पास लगे नीम के पेड़ वाले स्थान पर पहले पीपल का वृक्ष था। इसमें ‘अगिया बैताल माता’ का स्थान था। अंधविश्वास के चलते बीमारों का इस स्थान से इलाज भी होता है। उधर, ग्रामीणों ने मंगलवार से ही चबूतरे का जीर्णोद्धार शुरू करा दिया। पूरे गांव के लोग सहमे हुए हैं।
माध्यमिक विद्यालय के सामने बरगद का प्राचीन पेड़ है। उसके ठीक पास नीम का भी पेड़ है। प्रधानाध्यापक भूपत सिंह का दावा है कि पिछले करीब एक पखवारे से स्कूल का कोई न कोई बच्चा रोजाना चक्कर खाकर गिर जा रहा है। पहले इसे सामान्य तौर पर लिया गया। किंतु धीरे धीरे यह सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है।
पीड़ित बच्चों के चेहरे पर पानी छिड़कने से वह सामान्य हो जाते हैं। बकौल प्रधानाध्यापक, बच्चों ने बताया कि बरगद के पेड़ पर लाल रंग की साड़ी पहने बैठी महिला उन्हें बुलाती है। न जाने पर जीभ निकालकर डराती है। अक्सर बच्चों को धक्का देकर गिरा देती है। इससे वे डरकर बेहोश जाते हैं। जिला अस्पताल में इलाज के पहुंचे बच्चों ने भी कुछ इसी तरह का दावा किया।
मंगलवार को हुई घटना से क्षेत्र में तो दहशत है, किंतु चर्चा पूरे जिले में है। लोग कई तरह की बातें कर रहे हैं किंतु सबसे ज्यादा हैरान जिले के प्रशासनिक अधिकारी और डाक्टर हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि आखिर हो क्या रहा है। प्रेतात्मा जैसी बातों पर वे यकीन नहीं करते, किंतु बच्चों की बातें उन्हें असमंजस में डाल रही हैं।
डाक्टरों ने इसे साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम बताया है। उनका कहना है कि इस तरह की बातें सार्वजनिक चर्चा करने से सभी में एक जैसा फील आता है। बच्चों ने डर की बात सुनी और डर गए। बेहोशी इसी अज्ञात भय की वजह है।
मंगलवार को कथित प्रेतात्मा ने अपना रंग इसकी जांच पड़ताल के लिए पहुंचे अधिकारियों के सामने दिखाया। ग्राम प्रधान जयकरन के मुताबिक सारे बच्चे स्कूल में रोजमर्रा की तरह कक्षा में पढ़ रहे थे। दोपहर करीब 12 मुख्यालय से एसडीएम और पुलिस अधिकारी विद्यालय आए और बच्चों से जानकारी हासिल करनी शुरू कर दी।
अफसरों की पूछताछ चल ही रही थी कि इसी बीच 7वीं कक्षा की 12 वर्षीय कीर्ति ने बरगद के पेड़ की तरफ देखा और बेहोश होकर गिर पड़ी। यह देख अन्य बच्चों ने किसी तरह उसे संभाला। इसके कुछ ही देर बाद 12 वर्षीय 6वीं कक्षा के छात्र प्रियांशु और 13 वर्षीय सातवीं कक्षा की शालू का भी यही हश्र हुआ। एक के बाद एक बच्चों की तबियत बिगड़ने लगी। उनके जिस्म ऐंठ रहे थे। यह देख अफसरों के भी हाथ पांव फूल गए। बच्चों को अस्पताल भेजा गया।