मेरठ – वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की हत्या रूस में स्टालिन ने कराई थी। इसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का हाथ बताया। कहा कि इस रहस्य से पर्दा उठाया जाएगा। अगली बार नेताजी की जयंती पर वह मेरठ आएंगे तो सारे दस्तावेज और फाइलें उनके साथ होंगी।
मेरठ में पीएल शर्मा स्मारक भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान उन्होंने नेताजी के संघर्ष पर विचार व्यक्त किए। कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नेताजी को वार क्रिमिनल घोषित कर दिया गया तो उन्होंने एक फर्जी सूचना फ्लैश कराई गई कि प्लेन क्रैश में नेताजी की मौत हो गई। बाद में वे शरण लेने के लिए रूस पहुंचे, लेकिन वहां तानाशाह स्टालिन ने उन्हें कैद कर लिया।
स्टालिन ने नेहरू को बताया कि नेताजी उनकी कैद में हैं क्या करें? इस पर उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को इसकी सूचना भेज दी। कहा कि आपका वार क्रिमिनल रूस में है। साथ ही उन्होंने स्टालिन को इस पर सहमति दे दी कि नेताजी की हत्या कर दी जाए। स्वामी ने दावा किया कि नेहरू के स्टेनो उन दिनों मेरठ निवासी श्याम लाल जैन थे। 26 अगस्त 1945 को आसिफ अली के घर बुलाकर नेहरू ने उनसे यह पत्र टाइप कराया था। श्याम लाल ने खोसला आयोग के सामने यह बात तो रखी पर उनके पास सुबूत नहीं थे।
स्वामी ने कहा कि इसी अहसान में नेहरू हमेशा रूस से दबे रहे और कभी कोई विरोध नहीं किया। कहा कि नेताजी की मौत के रहस्य से पर्दा उठेगा। सच सामने आएगा कि देश के गद्दार कौन थे? स्वामी ने बताया कि इस संबंध में उनकी केंद्र सरकार से बात हो रही है। वादा किया कि अगले साल जब वह नेताजी के जयंती समारोह में शामिल होने मेरठ आएंगे तो सारे दस्तावेज और संबंधित फाइलें उनके पास होंगी। इन्हें वह मेरठ की जनता के सामने पेश करेंगे। उन्होंने फिर से नेहरू पर निशाना साधा और कहा कि नेहरू ने ही देश को कश्मीर का दर्द दिया, जो आज भी सिरदर्द बना है।
स्वामी ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी की लहर गांव-गांव तक पहुंचाई जरूर, लेकिन देश को स्वतंत्रता नेताजी सुभाष चंद्र बोस की लड़ाई की वजह से मिली। उन्होंने दावा किया कि यह बात तत्कालीन ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर क्लेमेंट अटली ने भी स्वीकार की थी और कहा था कि उन्होंने नेताजी की मुहिम के कारण ही ब्रिटिश पार्लियामेंट में भारत को आजाद करने का प्रस्ताव रखा। स्वामी ने ऐलान किया कि पुस्तकों में इतिहास को बदलने की मुहिम शुरू की जाएगी। इतिहास में गांधी की मुहिम को अति और नेताजी की मुहिम को सूक्ष्म तरीके से पेश किया गया है। इसे बदलना ही होगा।