इलाहाबाद – निठारी कांड के दोषी सुरेन्द्र कोली की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसकी मृत्युदण्ड की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। न्यायालय ने कोली की फांसी की वैधता पर सुनवाई पूरी करके निर्णय लिख्ख लिया जिसे बाद में सुनाया गया।
दो न्यायाधीशों की खंडपीठ सुरेन्द्र कोली की दया याचिका खारिज करने में हुई असाधारण देरी का लाभ देते हुए संविधान की धारा 21 के तहत उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.के .एस. बघेल की खंडपीठ ने सुरेन्द्र कोली और पीपुल्स यूनियन आफ डेमोक्रेटिक राइट्स की जनहित याचिका पर यह फैसला दिया।
सुरेन्द्र कोली की याचिका का प्रदेश के महाधिवक्ता वी.बी. सिंह और शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने विरोध किया । उन्होंने कहा कि सुरेन्द्र कोली आदतन हत्यारा है और तकनीकी आधारों अथवा दया अर्जी को तय करने में देर के आधार पर उसके मृत्युदण्ड को आजीवन कारावास में नहीं बदलना चाहिए। इसी प्रकार की दलील केन्द्र सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मेहता ने भी दी जबकि कोली के वकीलों ने अपनी दलील में फिर दोहराया कि दया याचिका को खारिज करने में राज्यपाल और राष्ट्रपति के यहां से असाधारण देर का सुरेन्द्र कोली को लाभ मिलना चाहिए तथा कोली की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तव्दील किया जाना चाहिए।