चंदौली – चंदौली जिले का स्वास्थ्य महकमा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है । स्वास्थ्य अधिकारी जैसे आँख मूंदे हुए है और आनन फानन में लक्ष्य पूरा करने के लिए महिलाओ की जिंदगी से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे है । ताज़ा मामला जिले के धानापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है । जहां डाक्टरों ने महिलाओ का नसबंदी का आपरेशन करके उनको तुरंत अस्पताल से छुट्टी दे दी । यही नहीं महिलाओ को दूसरी मंजिल से बिना स्ट्रेचर के निचे भिजवा दिया । मरीजों को एम्बुलेंस से भेजने की बजाय उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया ।
जिले के धानापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहां नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था और महिलाओ को आपरेशन के तुरंत बाद डिस्चार्ज कर दिया गया । महिला मरीजों को अस्पताल के दूसरी मंज़िल से महिलाओ को दर्द से कराहते हुए अपने परिजनों के की मदद से निचे उतरना पड़ा । कई महिलाये दूसरी मंजिल पर स्थित आपरेशन थियेटर से दर्द के मारे बेहोश तक हो गयी फिर भी डाक्टरों का मन नहीं पसीजा । यही नहीं हद तो तब हो गयी जब अस्पताल परिसर में तीन तीन एम्बुलेंस खड़ी थी पर अस्पताल द्वारा एक भी एम्बुलेंस मरीजों को घर भेजने के लिए मुहैया नहीं करायी गयी ।
परिजन महिलाओ को ठेले टाली पर घर ले गए । धानापुर ब्लाक के सैकड़ो गावो का एक मात्र सहारा ये सरकारी अस्पताल है लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों के इस रवैये से मरीजों के परिजनों में काफी आक्रोश है । मरीजों के परिजनों का आरोप है की इतने बड़े अस्पताल में मरीजों के लिए कोई भी सुविधा नहीं है । अस्पताल से दवाई नहीं मिलती हम लोगो को दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है । अस्पताल में एम्बुलेंस होने के बावजूद हमें अपने मरीजों को लाने ले जाने की व्यवस्था खुद करनी पड़ती है ।
अस्पताल में महिला मरीजों के साथ ये मजाक दिन भर चलता रहा मगर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महोदय अपने कमरे से बाहर तक नहीं निकले । हद तो तब हो गयी जब मरीजों के साथ हो रहे जानलेवा मजाक पर उन्होंने बड़े ही बेशर्मी भरे लहजे में कहा की मरीज के परिजन खुद ही उन्हें जल घर ले जाने के जिद कर रहे थे । यही नहीं एम्बुलेंस द्वारा मरीजों को नहीं भजने पर CMS महोदय का जवाब था की लोग आसपास के है इसलिए खुद ही चले जा रहे है ।
सूबे की अखिलेश सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था चाक चौबंद के लाख दावे करती है लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी लापरवाही करने और सूबे के मुखिया को आइना दिखाने में कोई कोर कसर नहीं रख रहे है । नसबंदी करने के तत्काल बाद महिलाओ को अस्पताल में रोकने के बजाय उनको अस्पताल से घर भेजना क्या उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करना नहीं है । क्या नसबंदी का टारगेट पूरा करने के चक्कर में जिले का स्वास्थ्य विभाग महिलाओ की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर रहा है ?