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Saturday, November 23, 2024

AAP ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का किया विरोध

Land_acquisitionखंडवा – आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा लाये गए किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध किया। पार्टी ने कहा कि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में सरकार ने संशोधन लाकर अपनी जनविरोधी नीयत को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज जिलाधिकारी द्वारा प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर अध्यादेश पर अपना विरोध दर्ज कराया. पार्टी ने ये मांग की है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी अपने इस अध्यादेश को वापस ले और भूमि अधिग्रहण कानून को क्यय्संगत बनाये.

मोदी सरकार ने कानून में संशोधन करके पाँच श्रेणियों की परियोजनाओं को कई तरह की छूट दे दी है.

ये पाँच श्रेणियां हैं:

1) रक्षा

2) औद्योगिक कॉरिडोर

3) ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत निर्माण

4) सस्ते मकान एवं निम्न ग़रीब वर्ग के लिए आवास योजना और

5) पीपीपी मॉडल के तहत बनने वाली सामाजिक ढांचागत परियोजनाएं जहाँ कि भूमि सरकार की ओर से दी जानी हो.

किसी भी परियोजना को अब इन पाँच में से किसी न किसी श्रेणी में डालकर अधिग्रहण को कानूनन जायज़ ठहराया जा सकेगा.
अब सरकार बिना ज़मीन मालिकों के सहमती के भी अधिग्रहण कर सकती है.

अब सरकार के लिए ये ज़रूरी नहीं होगा कि वो ज़मीन का कब्ज़ा लेने से पहले वहाँ के समाज पर पड़ रहे इसके प्रभाव का आंकलन करे.पाँच साल तक मुवावज़ा न मिलने या सरकार द्वारा ज़मीन पर कब्ज़ा न लेने की सूरत में ज़मीन पर वापस अपना दावा करने का अधिकार था. सरकार ने अध्यादेश के जरिये लोगों का ये अधिकार भी छीन लिया है.

अब निजी कम्पनी के अलावा प्रोप्राइटरशिप, पार्टनरशिप या किसी एन.जी.ओ के लिए भी सरकार ज़मीन ले सकती है. “रक्षा” शब्द की परिभाषा बदलकर “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई भी परियोजना” और “रक्षा उत्पाद” को शामिल कर लिया गया है. इनमें से कोई भी “ढांचागत निर्माण परियोजना” या “निजी परियोजना” हो सकती है.अब अगर कोई भूमि अधिग्रहण अधिकारी कुछ गलती भी करता है तो हम बिना सरकार के इजाज़त के उसे अदालत में नहीं ले जा सकते.

2013 का अधिनियम पारित होने से पहले बीजेपी समेत सभी दलों ने इसपर व्यापक चर्चा करके अपनी राय दी थी. यहाँ तक कि जिस संसदीय समिती ने इसे पारित किया उसकी अध्यक्षा श्रीमती सुमित्रा महाजन थी, जो आजकल लोकसभा की अध्यक्षा हैं. राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज जैसे कई भाजपा नेताओं ने तब किसान-हित की बड़ी बड़ी बातें की थी. बिल पर वोट करने वाले 235 सांसदों में से 216 ने इसका समर्थन किया था. आम आदमी पार्टी जानना चाहती है कि क्यूँ ऐसे व्यापक समर्थन के बाद बने कानून को सरकार ने एक झटके में अध्यादेश के जरिये खारिज कर दिया? ऐसा करना अनैतिक ही नहीं, लोकतांत्रिक प्रक्रियायों के प्रति वर्तमान सरकार की कमज़ोर प्रतिबद्धता का भी परिचायक है.

आम आदमी पार्टी सरकार के अध्यादेश लाने के निर्णय को ही असंवैधानिक मानती है. संविधान में अध्यादेश लाने का प्रावधान दो सत्रों के बीच किसी आपात स्थिती के लिए किया गया है. आज ऐसी कौन सी आपातकालीन परिस्थिती है? किसानो, आदिवासियों और आम लोगों की कीमत पर किन चुनिंदा पूंजीपतियों को फायदा पहुँचाने के लिए मोदी सरकार को ऐसा कदम उठाना पड़ा? अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से पहले राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी ने भी यह जानना चाहा है कि आखिर मोदी सरकार को ऐसी कौन सी जल्दबाजी है?

पिछला भूमि अधिग्रहण कानून 1 जनवरी 2014 को लागू तो हो गया, लेकिन कई राज्यों के विधान सभाओं में नियम नहीं बन पाने के कारण पूर्ण रूप से क्रियान्वयित नहीं हो पाया था. आम आदमी पार्टी जानना चाहती है कि कैसे, एक वर्ष से भी कम समय में, इस कानून को जाँचे बगैर, सरकार ने अधिनियम की व्यवहारिकता का आंकलन भी लगा लिया और संशोधन की आवश्यकता समझ ली?

सच्चाई तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तय कर लिया है कि वो कुछ गिने-चुने पूंजीपतियों और व्यापारी घरानों को फायदे पहुंचाएंगे और देश के किसानों, आदिवासियों और ग्रामीणों को उनकी इस चाल का पता नहीं चलेगा. 2013 में पारित कानून के हर सकारात्मक बिंदु (जोकि भाजपा के भी सक्रीय समर्थन से बने था) को इस जनविरोधी अध्यादेश ने ख़त्म कर दिया है. हम वापस अंग्रेजों के सन 1894 वाले कानून पर आ गए हैं. क्या देश के किसानों के लिए यही है प्रधानमंत्री जी का तोहफा?

आम आदमी पार्टी एक बार फिर मांग करती है कि इस किसान विरोधी अध्यादेश को प्रधानमंत्री वापस ले. आम आदमी पार्टी इस अति-गंभीर मुद्दे को पूरे जोर-शोर से उठाएगी और सरकार के ऐसे जनविरोधी कृत्यों को कभी सफल नहीं होने देगी.

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सयोंजक एवम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना के साथ एकमंच हो कर आज ये एलान कर दिया की गरीबों से उनका हक छीनने का अधिकार किसी को नहीं है। और आम आदमी पार्टी इस के लिया आवाज़ उठती रहेगी ।

आम आदमी पार्टी के जोन सहायक डा बी.पी.मिश्रा, जोन सचिव दलजीत सिंह इबादत खान, दिलावर खान,हरीश लालवानी, मल्लिका देवनाथ लक्ष्मी पवार ,तरुण मंडलोई, अज्जू भाई, हारून निरबान व् अन्य कार्यकर्त्ता शमिल हुए ।

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