लखनऊ – मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज उत्तर प्रदेश की विधानसभा में अपना चैथा बजट पेश किया है। विधानसभा में आज 3 लाख करोड़ से अधिक का बजट पेश किया गया, जो पिछले वर्ष के बजट से 10 % अधिक है। इस बजट में समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को प्रगति के पथ पर ले जाने की बाते कही गई है। समाजवादी सरकार इस बजट में किसानो एवं युवकों के विशेष ध्यान, अवस्थापना सुविधाओं के विकास, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास के लिये लगातार कार्य करने की बात कर रही है। इस बजट में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के विकास के लिये विशेष प्राविधान किये गये हैं।
यातायात की सुगम व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये मार्गों की मरम्मत एवं चैड़ीकरण का कार्य व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। जिला मुख्यालयों को चार लेन सड़कों से जोड़ा जा रहा है। आगरा एवं लखनऊ को एक्सप्रेस वे से जोड़ा जा रहा है, लखनऊ में सी0जी0सिटी की स्थापना की जा रही है। सी0जी0सिटी में आई0टी0 सिटी, कैंसर इन्स्ट्ीट्यूट इत्यादि सम्मिलित होंगे जो प्रदेश के विकास के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होने की बाते बजट में कही गई है।
लखनऊ में मेट्रो रले की स्थापना का कार्य प्रारम्भ हो चुका है और मेट्रो अपने तय समय पर चलने के साथ ही समाजवादी सरकार द्वारा चलायी जा रही समाजवादी पेंशन योजना से 40 लाख गरीब परिवार लाभान्वित होंगे की बाते भी इसमें शामिल है।
वही दूसरी ओर भाजपा ने इस बजट का प्रारम्भ ही असत्यता पर आधारित बताया है। भाजपा का कहना है की अखिलेश सरकार ने उ0प्र0 की विकास दर को देश की विकास दर से अधिक बताया है। जबकि विकास दर जिसका ढिढोरा मुख्यमंत्री पीट रहे हैं, इनके कार्यकाल 2012-13 में विकास दर 5.8% [2013-14] घटकर 5& रह गई है। जबकि देश की विकास दर 6.9% है।
भाजपा का कहना है की पिछले बजट को ग्रामीण, मजदूर, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, अनु0जातियों की उन्नति हुई है, ऐसा कहा है। वर्तमान प्रस्तुत बजट में शब्दों का माया जाल अधिक है। अखिलेश यादव के पहले बजट में राज्य सेक्टर का मात्र 49% बजट का पैसा अवमुक्त हुआ था और जिला योजना का 14% बजट पैसा अवमुक्त हुआ था।
बजट में किसानों को प्रदेश की 70% आबादी का भाग बताया और वर्ष 2015-2016 को किसान वर्ष के रूप में मानाने के लिए घोषित किया। भाजपा ने आरोप लगाया की मुख्यमंत्री यह भूल गये कि पिछले वर्ष उनकी सरकार ने गेहूँ और धान के खरीद केन्द्रों से एक दाना भी उ0प्र0 सरकार ने नहीं क्रय किया।
गन्ना किसानों के भुगतान का बकाया उसके समर्थन मूल्य को न बढ़ाना, आलू किसानों की दुर्दषा, घोषणा पत्र के अनुसार तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी कृषि मूल्य आयोग का गठन न कर पाना, खाद की अनुपलब्धता और काला बाजारी, सिंचाई के लिए रजवाहों में टेल तक पानी न आना, सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध न होना और नकली बीज भी किसानों के साथ हुए धोखे और सबसे अन्त में किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा भी किसानों के साथ धोखा साबित हुई है। इस तरह किसान वर्ष मनाने का औचित्य क्या?
वर्ष 2014-15 में 9 माह बीतने के बाद भी बजट को खर्च करने में यह सरकार विफल रही है:- प्रदेश भाजपा ने आज यहाँ कुछ आंकड़े भी पेश किये जिसमे कहा गया है की जब सिंचाई के निर्माण बजट का मात्र 0.02%
समाज कल्याण (अनुसूचित जाति) के बजट का 34.87%
समाज कल्याण विभाग के बजट का 14.83%
विकलांग एवं पिछड़ा वर्ग का 19.68%
लोकनिर्माण विभाग के विकलांग और पिछड़ा वर्ग के बजट का 1.774%
लोक निर्माण के संचार संसाधन हेतु शून्य प्रतिशत
मुस्लिम वक्फ बोर्ड के विभाग का 17.87%
नगर विकास विभाग का 21.18%
चिकित्सा विभाग का 29.46%
सहकारिता का 29.32%
भूमि विकास संसाधन का मात्र 20.62% बजट खर्च कर पायी है। तो ऐसी स्थिति में बजट 10.2% बढ़ाने का औचित्य क्या है? आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवार के लोगों को लड़कियों की शादी का अनुदान बन्द है। तकनीकी एवं सामान्य छात्रों की छात्रवृत्ति की प्रतिपूर्ति दिवास्वप्न हो गई है। विकलांग, विधवा, वृद्धावस्था पेंशन सामान्य जनता से दूर हो गई है।
महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर पिछले बजट में 1090 की जोर-शोर से घोषणा की गई हैं जबकि महिलाओं के प्रति हिसा बढी है। थानों में बलात्कार की घटना की बेतहाशा में वृद्धि ने पिछले बजट में हर थाने में एक पुलिस कर्मी/ एक अधिकारी रहने की घोषणा की कलई खोलती हैै।
दुग्ध उत्पादकों की सुविधा की शोशे छोड़ गये हैं किन्तु मांसमण्डी बन रहे उत्तर प्रदेश में अवैध पशुतस्करी रोकने का कोई जिक्र नहीं हैं। प्रदेश सरकार ने अंत्येष्ठि स्थलो में भी तुष्टिकरण का राग अलापा। प्रदेश सरकार मृत्यु पर भी विभेद कर रही है। पिछले बजट भाषण में ललितपुर, करछना परियोजना के दिसम्बर 2014 में पूर्ण होने की बात कही गयी थी। अनपरा डी में की प्रथम इकाई नवम्बर 2014 से प्रारम्भ करने की बात हुई थी।
आज क्या स्थिति हैं ?
बजट पिछले वित्तीय वर्ष में कितना रोजगार सृजन हुआ और वर्तमान बजट में कैसे सृजन होगा पर मौन है। कन्या विद्याधन को पुनः शुरू करने पर प्रदेश की जनता सरकार से जानकारी चाहती हैं कि योजना सभी वर्गो के लिए हैं कि साम्प्रदायिक आधार पर है। अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए 40 करोड का प्रवधान पुराने बजट की पुनरावृत्ति।अन्तयेष्टि स्थल का सौन्दर्यीकरण भी साम्प्रदायिक आधार पर और पिछले बजट की पुरावृत्ति है।
रिपोर्ट – शाश्वत तिवारी