खंडवा – महंगाई के जमाने में आमतौर पर बारहा आने (पिचहत्तर पैसे) की कोई वैल्यू नहीं होती है , लेकिन मात्र पिचहत्तर पैसों की तकनीकी त्रुटि के चलते एक शराब ठेकेदार के हाथ से आठ करोड़ अढ़सठ लाख रूपये का ठेका चला गया , जिससे ठेकेदार तो अपने व्यवसाय से होने वाले लाभ से वंचित हुआ , साथ में प्रदेश सरकार को भी मिलने वाले राजस्व में लाखों रुपयों का नुकसान हुआ।
खंडवा जिले में आबकारी विभाग द्वारा देशी और विदेशी मदिरा दुकानों की टेंडर द्वारा नीलामी की गई। इस दौरान एक ग्रुप की नीलामी के दौरान प्रशासन ने 57 लाख रूपए अधिक आमदनी देने वाले एक ठेकेदार के टेंडर को उस समय रद्द कर दिया जब ठेकदार ने ऑफर राशि के एक बटे बारह के अनुपात में जो राशि अमानत राशि का चैक जमा किया , उसमे मात्र 75 पैसे कम लिखे थे। जिसके कारण दो घंटो के लिए फैसला रोक दिया और फिर तकनीकी त्रुटि बताते हुए , ज्यादा राशि भरने वाले ठेकेदार को टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया
खंडवा में आबकारी विभाग द्वारा आयोजित देशी और विदेशी मदिरा दुकानों की नीलामी के दौरान एक ग्रूप का टेंडर महज 75 पैसे की कमी के कारण रद्द होने पर विवाद खड़ा हो गया। नीलामी समिति के अध्यक्ष कलेक्टर ने इसे शर्तों का उल्लंघन मानते हुए रद्द कर दिया। खंडवा जिले की कुल 78 शराब दुकानो के लिए बनाये गए 22 ग्रुप के टेंडर जिला आबकारी कार्यालय परिसर में खोले गए। जिसमे सी वन ग्रुप की ग्राम मुंदी स्थित देशी एवं विदेशी शराब दूकान के अलावा ग्राम बीड़ और ग्राम शिवरिया की शराब दुकानो के आवंटन को लेकर संबंधित ठेकेदार ने सवाल उठाये है ।
इस ग्रुप के लिए कुल 9 टेंडर प्राप्त हुए थे , जिसमे सर्वाधिक टेंडर राशि आठ करोड़ अढ़सठ लाख रूपये भरने वाले कृष्ण कुमार मालवीया ने ऑफर राशि के चैक में मात्र पिचहत्तर पैसे कम भरे थे , जिसके कारण दो घंटो के लिए फैसला रोक दिया और फिर तकनीकी त्रुटि बताते हुए टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया और दूसरे स्थान पर रहे ठेकेदार हरजीत सिंह भाटिया , जिन्होंने आठ करोड़ ग्यारह लाख के लगभग राशि भरी थी , उसे सी वन ग्रुप की दुकाने आवंटित कर दी गई।
आवंटन प्रक्रिया से वंचित हुए ठेकदार ने समूची प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाते हुए इस सम्बन्ध में न्यायिक प्रक्रिया अपनाने की बात कही है। ठेकेदार कृष्णकुमार मालवीया का तर्क है की , जबकि आबकारी विभाग के नियमानुसार तीन दिन की अवधि में अमानत राशि का चैक वापस कर ठेकेदार से डिमांड ड्राफ्ट मंगाया जाता है , यदि आबकारी वाले चाहते तो ऐसा करते हुए सरकार को इससे हुई लाखो रुपयों हानि को बचा सकते थे।
इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी व्ही एस सोलंकी ने सफाई देते हुए कहा कि बंद लिफाफो में बुलाये गए टेंडर खोले जाने की समूची प्रक्रिया में पारदर्शिता अपनाई गई , और नियमो के अनुसार ही शराब दुकानो का आवंटन किया , आबकारी अधिकारी ने मौके पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारीयों का हवाला देते हुए कहा की हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों के आधार पर ही कार्रवाई की गई ।
रिपोर्ट :- @तुषार सेन