लखनऊ – कक्षा एक से कक्षा आठ तक की पुसतकें रि- साइकिल्ड पेपर पर छपाने साजिश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हस्तक्षेप से फिलहाल विफल हो गयी। इसके लिए आज 28 फरवरी को होने वाला टेंडर आज नहीं होगा। आगे क्या होगा? इसे लेकर साजिश रचने वालों में भी हड़कम्प व्याप्त है। ज्ञात हो कि भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार का स्पष्ट आदेश है कि पाठयपुस्तकें बांस ओर लकड़ी से बने अच्छे कागज पर ही प्रकाशित होंगी, रि-साइकिल्ड पेपर पर नहीं पकाशित होंगी।
इस संबंध में उच्चन्यायालय का भी आदेश है कि पाठ्य पुस्तकें बांस और लकड़ी से बने अच्छे कागज पर ही प्रकाशित हों। चूंकि बांस और लकड़ी से बने अच्छे कागज और रि-साइकिल्ड कागज के दर में काफी अंतर है, इसलिए शिक्षा विभाग के बड़े अफसर ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर साजिश रचे थे कि पाठ्यपुस्तकें रि-साइकिल्ड पेपर ही प्रकाशित करा ली जाएं। इसके लिए प्रकाशकों के एक गुट को साजिश का पार्टनर बनाया गया था और व्यवस्था की गई थी कि अच्छे कागज के दर पर ही रि-साइकिल्ड पेपर खरीद लिया जाए। इसके लिए टेंडर भी आमंत्रित कर लिए गए। किसी को पता नहीं चले, इसलिए यह व्यवस्था की गई कि पुस्तकों के जिल्द में बांस और लकड़ी से बने अच्छे पेपर का प्रयोग किया जाए।
इसकी जानकारी बांस और लकड़ी का अच्छा कागज बनाने वाले भारत सरकार के उपक्रम को हुई तो उसके वरिष्ठ अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया गया। इन लोगों ने विभागीय अफसरों को भी बताया कि पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन रि-साइकिल्ड पेपर पर किया जाना भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय की मंशा के विपरीत है। विभागीय अधिकारी इस तर्क को सुनने की जगह यह कुर्तक देने लगे कि पिछले साल पाठ्यपुस्तके रिसाइकिल्ड पेपर प्रकाशित हुई हैं, इसलिए इस बार भी उसी तर्ज पर रि-साइकिल्ड पेपर पर ही प्रकाशित होंगी। इसके लिए 28 फरवरी को टेंडर हो रहा है जिसमें अब किसी कीमत पर बदलाव संभव नहीं है।
अधिकाकिरयों की इस साजिश और मनमानी की जानकारी वरिष्ठ समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा को हुई तो उन्होंने इस मामले का उठाया और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एनेक्सी कार्यालय के माध्यम से उन्हें एक ज्ञापन भेजा। वह इस मामले को लेकर मीडिया में भी गए। बाराबंकी की मीडिया ने उनके मामले को गंभीरता से लिया और उसे अपने हद में एक बड़े मामले की तरह प्रस्तुत किया।
चूंकि लखनऊ की मीडिया इस मामले में चुप थी, इसलिए विभागीय अधिकारियों के हौसले बढ़े हुए थे। वे लोग आज किसी कीमत पर टेडर करा कर अपनी साजिश को मूर्त रूप देने में लगे थे। इधर राजनाथ शर्मा और उनके साथी 26 फरवरी को ही मुख्यमंत्री के पास इस साजिश को पहुंचाने में कामयाब हो गए थे। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उसी दिन इसे गंभीरता लेते हुए मामले को अपने सचिव पार्थसारथी शर्मा को इस हिदायत के साथ सौंप दिया था कि वह मामले की पड़ताल कर उन्हे अवगत कराएं। इसके बाद मुख्यमंत्री सांसद तेज प्रताप यादव के विवाह में भाग लेने के लिए दिल्ली चले गए। वहां से लौटने के बाद उन्होंने इस मामले की जानकारी ली और आज 28 फरवरी को इसे लेकर होने वाला टेंडर तत्काल रूक गया।
सामाजिक कार्यकर्ता राजनाथ शर्मा ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस हस्तक्षेप के प्रति आभार जताते हुए कहा है कि उनके हस्तक्षेप से पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन में होने वाली एक बड़ी साजिश फिलहाल रूक गई लेकिन इस साजिश को रचने वाले पिछले साल सफल हो गए थे, उनके मुंह में खून लगा हुआ है, इसलिए ये लोग हर संभव कोशिश करेंगे कि किसी भी तरह से इस वर्ष भी पाइ़यपुस्तकों का प्रकाशन उनकी मंशा के अनुरूप हो जाए। इसलिए इस मामले को लेकर सजग रहने की आवश्यकता है।
सामाजिक कार्यकर्ता राजनाथ शर्मा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराएं और इसके लिए दोषी अफसरों को कड़ी से कड़ी सजा दें ताकि आगे कोई इस तरह की हिम्मत नहीं करे। उन्होंने कहा है कि जांच का विषय इस वर्ष के मामल के साथ ही पिछले वर्ष का भी मामला हो ताकि पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन में रद्दी कागज का उपयोग करने वालों का चेहरा जनता के सामने आ सके और उन्हें अपनी करनी की सजा मिल सके।
रिपोर्ट :-शाश्वत तिवारी