कैथल – पिछले कई माह से दवाईयों का टोटा लगा तार चलता आ रहा है। पिलनी गांव व पाई में रहने वाले रमेश, सत्यवान, नरेश, रामकिश्न, सुरेश कुमार, नवीन, अमन, मेवा व सुरेश शर्मा आदि ने बताया कि गांवों में अवारा कुत्तों की सख्यां ज्यादा हैं और इसी कारण वंश कोई न कोई उनका शिकार होता रहता है। जब वें कुत्ते के काटने के बाद अपने ईलाज के लिए पाई स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाते है तो उनको वहां से बिना ईलाज किए कैथल भेज दिया जाता है।
ग्रामीणों ने बताया कि जब इसके बारे में केंद्र में पुछा गया तो उन्होंने ने कहा कि हमारे पास कुत्ते के काटने के पश्चात लगने वाले टीके नहीं है। इस कारण वंश ग्रामीणों को मजबूर अपने गांव में स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद भी कैथल जाकर अपना ईलाज करवाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कुत्ते के काटने से रेबीज नामक बिमारी फैलती है जो की एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाकर गांव में कभी भी महामारी का माहौल पैदा कर सकती है।
ग्रामीणों ने कहा कि भाजपा सरकार के मंत्री केवल शहरों में स्थित अस्पतालों तक ही सीमित रह गए है। उनको गांवों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में भी आकर यहां की हालत का जायजा लेना चाहिए। ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द स्वास्थ्य केंद्रों में दवाईयों को उचित मात्रा में उपलब्ध करवाया जाए। उधर, स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद डा. होशियार सिंह एल.टी. ने बताया कि पिछले कई माह से केंद्र में कुत्ते के काटने के बाद लगने वाले टीके का टोटा लगातार चलता आ रहा है।
उन्होंने बताया कि गत 18 सितंबर 2014 को हमारे पास केवल 20 ही टीके आए थे जो 20 दिसंबर 2014 तक लगा दिए गए। इसके बाद आज तक हमारे पास कोई भी टीका नहीं आया। उन्होंने बताया कि टीके न होने की बात को हमने विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया हुआ है, लेकिन इसके बावजूद भी केंद्र में एक भी टीका नहीं है। जिसके चलते ग्रामीणों को अपना ईलाज करवाने के लिए मजबूरन कैथल अस्पताल में भेजना पड़ता है।
कही पर नही है टीके- सी एम ओ
जब इस मामले के बारे में कैथल सी.एम.ओ. आर.एस.पुनिया ने बताया कि 2 जिलों कैथल व जींद का एक वैयर हाऊस कैथल में है। जहां से दवाईयां खरीदी जाती है लेकिन सरकार द्वारा वहां से दवाईयां न खरीदने की वजह से यह दिक्कत आई हुई है। उन्होंने बताया कि कैथल अस्पताल में भी कुत्ते के काटने के बाद लगने वाले टीके नहीं है जब भी कोई मरीज आता तो उसको बहार से मंगवाकर लगाया जाता है।
रिपोर्ट :- राजकुमार अग्रवाल