भावनगर – केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आते ही हिंदूवादी संगठन के कारण पीएम मोदी को बगलें झांकने पर मजबूर होना पड़ता है। ताजा मामला है गुजरात के भावनगर का, जहां करीब एक साल पहले मुस्लिम कारोबारी को दबाव के कारण अपना बंगला बेचकर जाना पड़ा। बताया जा रहा है कि ऐसा उसने विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के दबाव के कारण किया।
इंडियन एक्स्प्रेस में छपी खबर के अनुसार, स्क्रैप कारोबारी अली असगर जावेरी ने हिंदू बहुल इलाके में 10 जनवरी 2014 को एक बंगला खरीदा था। बंगला खरीदने के कुछ दिनों बाद ही आसपास के हिंदू पड़ोसियों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आरोप है कि मुस्लिम परिवार के विरोध में हिंदू पड़ोसी वहां राम दरबार लगाने लगे, बंगले के निकट प्रत्येक शाम को वहां हनुमान चालीसा और भजन का आयोजन होने लगा। इसी राम दरबार में 19 अप्रैल, 2014 को प्रवीण तोगड़िया को आमंत्रित किया गया था। इसी मौके पर अपने भाषण में तोगड़िया ने हिंदू परिवार वालों से कहा था कि यदि 48 घंटे में जावेरी बंगला खाली नहीं करता है, तो भावदेवड़ी स्ट्रीट में स्थित उसके ऑफिस पर हमला करें।
विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया ने वहां के लोगों से अपील की थी कि मुस्लिम परिवार को घर में घुसने नहीं दें। इलाके में विरोध प्रदर्शन व मुसिलम परिवारों के खिलाप आपत्तिजनक बयान देने के कारण तोगड़िया के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी।
आखिकार 30 दिसंबर, 2014 को बोहरा मुस्लिम व्यवसायी ने अपना बंगला मजबूरन रियल इस्टेट कंपनी भूमति एसोसिएट्स को बेचा दिया। खास बात यह है कि जब उन्होंने अपना बंगला बेचा, तो उन्हीं हिंदूवादी संगठनों के सदस्यों ने डील में बिचौलिये की भूमिका निभाई, जो इलाके में उनका विरोध करते थे।
हिंदू इलाके में मुस्लिम परिवार के खिलाफ विरोध का नेतृत्व करने वालों में से आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जावेरी ने इस इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाने की बहुत कोशिश की। उन्होंने कहा कि वह अपना बंगला किसी हिंदू परिवार को किराए पर दे देंगे, पर हमने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने बंगला फिल्मों की शूटिंग के लिए किसी कंपनी को भी देने की कोशिश की, लेकिन हमने इसकी अनुमित नहीं दी। हम शुरू से ही रियल एस्टेट डेवलपर्स से संपर्क में थे और जब उन्हें इस बात का एहसास हो गया कि पड़ोसी उन्हें यहां नहीं रहने देंगे, तो वह बंगला बेचने के लिए तैयार हो गए।’
गौरतलब है कि हिंदू बहुल मेघानी सर्कल इलाके में करीब 150 बंगले हैं, जिनमें केवल चार ही मुस्लिमों के हैं। इन चार मुस्लिम परिवारों में भी दो परिवार 2002 में हुए दंगे के बाद शिशो विहार चले गए। इस समुदाय के लोगों पर ‘दबाव’ ज्यादा है, जिस वजह से कोई भी जोखिम मोल लेने को तैयार नहीं है।