खंडवा – ओंकारेश्वर के घोघलगांव में चल रहे जल सत्याग्रह को 18 दिन बीत गए फिर भी सत्याग्रहियों की मांग ज्यूं कि त्यों बनी हुई है। सरकार की ओर से अभी तक इन आंदोलनकारियों की मांगों को लेकर कोई भी बयान सामने नहीं आया है। इसी बीच जल सत्याग्रह कर रहे आंदोलनकारियों का मानना है कि जिस तरह दिल्ली में गजेन्द्र ने आत्मघाती कदम उठाया उसी तरह उन्हें भी अब यहां वही कदम उठाना पड़ेगा तब जाकर ही सरकार उनकी बात सुनेगी। 18 दिनों से जारी जल सत्याग्रह कर रहे लोगों के हाथ, पैर बुरी तरह जख्मी हो गए हैं, इनमे खून रिसने के साथ ही बुखार और कमजोरी जैसी शिकायतें भी सामने आने लगी है। हालांकि सरकार ने अपने एक मंत्री और उच्चाधिकारियों को सत्याग्रहियों से चर्चा करने के लिए कहा था पर वह चर्चा भी बेनतीजा ही निकली। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी एनबीए की अर्जी खारिज कर सत्याग्रहियों को जोर का झटका दिया है। अब देखना यह है कि यह सत्याग्रह और कितने दिन तक कायम रह पाएगा।
सत्याग्रह कर रहे किसान जयराम ने कहा कि मप्र की सरकार सोई हुई है जिस तरह दिल्ली में गजेन्द्र ने कदम उठाया उसी तरह अब हम लोग भी कदम उठाएंगे जब जाकर मप्र सरकार की और शिवराज की नींद खुलेगी। तभी कुछ हमारी समस्याओं का हल निकलकर सामने आएगा। वहीं एक दूसरे सत्याग्रही ने कहा कि 18 दिनों से पानी में खड़े-खड़े पैर भी अब जवाब देने लगे हैं पर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा। इस बेदर्द सरकार को किसानों की बिल्कुल भी चिंता नहीं है।
मंगलवार को प्रशासन की ओर से तहसीलदार और डाक्टरों की एक टीम दोबारा जल सत्याग्रहियों का स्वास्थ्य परीक्षण करने घोघलगांव पहुंची। आंदोलनकारियों ने अपने स्वास्थ्य की जांच तो कराई पर दवाई लेने से इंकार कर दिया। उनका अब भी यही कहना है कि उनकी दवा तो शिवराज सरकार के पास है। वह उनकी मांगे मान ले यही उनका सही इलाज होगा।
रिपोर्ट – निशात सिद्दीकी