नई दिल्ली – मोदी सरकार के शासन में आए एक साल भी नहीं हुए हैं कि सरकार के कामकाज को लेकर अंदर से ही असंतोष उभरने लगे हैं। समूचे राजग के साथ-साथ भाजपा के सांसदों में सरकार के कामकाज के खिलाफ बेचैनी है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि बहुमत होने के कारण सहयोगियों को अनसुना किया जा रहा है।
अकाली दल और शिवसेना ने बूरे समय में भी भाजपा का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि राजग के सहयोगी दलों में यह सामूहिक भावना है कि सरकार में उनकी कद्र नहीं है। वहीं सरकार के कामकाज को लेकर बलिया से भाजपा सांसद भरत सिंह का भी सब्र जवाब दे गया।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पार्टी संसदीय दल की बैठक में सिंह ने सरकार के मंत्रियों पर सांसदों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। भरत सिंह ने सरकार और संगठन के शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति में कहा कि सरकार नई-नई योजनाएं लागू कर रही हैं लेकिन जमीन पर उनका कोई असर नहीं है।
मंत्रियों के यहां भी उनकी पूछ नहीं है। उनके कामकाज नहीं हो पा रहे हैं। मंत्रियों काम की बात करने पर सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। कई मंत्रालयों से पत्र तक के जवाब नहीं मिल रहे हैं। सिंह की इस बात पर सूबे के कई सांसदों ने मेज पर थपकी देकर अपना समर्थन दिया। सिंह के आरोपों को पीएम मोदी ने मौन रहकर सुना।
यह पहला अवसर है जब उनकी उपस्थिति में उनके ही सांसद ने सरकार के मंत्रियों के क्रियाक्लाप का आईना दिखाया। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने जरूर मामले की नोटिंग की है।
बैठक में भरत सिंह के उठाए मामले को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार के एक आला मंत्री ने कहा कि सिंह ने यूपी में एनआरएचएम और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना पर सुस्ती का मामला उठाया था। उन्होंने कहा कि यूपी में सांसदों की कोई पूछ नहीं है। राज्य सरकार केंद्र के योजनाओं पर सहयोग नहीं कर रही है।
जब इस मामले में केंद्र के मंत्रियों से कहा जाता है तो वे जवाब तक नहीं देते। सनद रहे कि चंद दिनों पहले ही अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने सरकार के कामकाज के खिलाफ सार्वजनिक असंतोष व्यक्त करते हुए राजग की बैठक बुलाने की मांग की थी।