अहमदाबाद – केमिस्ट शॉप्स कानून की धज्जियां उड़ाते हुए नाबालिग लड़कियों को बिना डॉक्युमेंट्स जांचे गर्भपात की जानलेवा गोलियां बेच रही हैं। कानून के मुताबिक भारत में केमिस्ट्स शॉप्स बिना आईडी प्रूफ, डॉक्टर की पर्ची और लीगल गार्डियन के सहमति पत्र के बिना नाबालिगों को अबॉर्शन की गोली नहीं बेच सकतीं। मगर केमिस्ट्स की लापरवाही के चलते नाबालिग आराम से ये दवाएं खरीद रहे हैं।एक अख़बार ‘अहमदाबाद मिरर’ ने पाया कि अहमदाबाद शहर में भी हालात ऐसे ही हैं।
हालात का जायजा लेने के लिए एक यंग लड़की एक अख़बार ‘अहमदाबाद मिरर’ के अभियान का हिस्सा बनी। उसने शहर के 6 स्टोर्स पर जाकर गर्भपात की गोली मांगी, मगर किसी ने भी डॉक्युमेंट्स नहीं मांगे। तीन केमिस्ट्स ने तो यह सलाह भी दे डाली कि गर्भपात की गोलियों के बजाय गर्भनिरोधक गोलियां बेहतर विकल्प होती हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि बिना डॉक्टर की सलाह के अपने आप ही दवा लेने पर अबॉर्शन के दौरान कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं, जो जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। एनएचएल म्यूनिसिपल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर राजल ठाकर ने बताया, ‘अबॉर्शन की पिल्स की सलाह देने से पहले हम पेशंट की पूरी तरह से जांच कहते हैं। सोनोग्रफी के बाद हम हीमोग्लोबिन का लेवल चेक करते हैं, तब जाकर गोली लेने के लिए कहते हैं। हम गोली लेने के बाद उसकी सेहत पर भी लगातार नजर भी रखते हैं।’
डॉक्टर राजल ने 2014 में ऐसी 32 पेशंट्स पर स्टडी की थी, जिन्होंने अपने आप दवा ली थी। उन्होंने पाया कि 70.20 फीसदी पेशंट्स का अबॉर्शन पूरी तरह से नहीं हुआ। कुल मिलाकर 75.60 फीसदी महिलाओं की सर्जरी करनी पड़ी थी।
डॉक्टर ठाकर ने बताया कि नाबालिगों के अपने आप ही दवा लेने की वजह से बड़ी मात्रा में खून बह सकता है। हो सकता है कि भ्रूण का हिस्सा यूटरस में रह जाए। सही वक्त पर इलाज न हो, तो जान भी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बहुत से बहुत से नालाबिग बिना जानकारी के ही अबॉर्शन और गर्भनिरोधक गोलियां ले लेते हैं, जो कि घातक हो सकता है।
डॉक्टर ने यह भी बताया कि आई-पिल जैसी इमर्जेंसी गर्भनिरोधक गोलियां इंटरकोर्स के 72 घंटो के अंदर लेनी होती हैं, मगर यंग लड़कियां प्रेगनेंट होने के बाद इन्हें लेती हैं। इससे ब्लीडिंग शुरू हो जाती है और कई तरह की दिक्कतें हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि माइनर्स को इस तरह की गोली देने से पहले आइडेंटिटी प्रूफ, डॉक्टर की पर्ची और गार्डियन का अप्रूवल लेटर देखना जरूरी है। ऐसा किए बगैर दवा देने पर केमिस्ट्स का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) ऐक्ट का सेक्शन 3 (4-a) भी यही बात कहता है। ऐक्ट में लिखा है, ’18 साल या उससे कम उम्र की महिला का उसके गार्डियन की सहमति के बिना गर्भपात नहीं किया जा सकता।’ कानून यह भी कहता है कि यह प्रक्रिया स्पेशलाइज्ड डॉक्टर और रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर की निगरानी में ही होनी चाहिए। – एजेंसी