लखनऊ : प्रदेश सरकार द्वारा मुकदमा वापसी के सवाल पर रिहाई मंच ने कहा कि सपा सरकार को मुसलमानों को खुले आम जान से मारने की धमकी देने वाले भाजपा सांसद वरुण गांधी और केन्द्रीय मंत्री कलराज मिश्रा की ज्यादा चिंता है। मंच ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने के अपने चुनावी घोषणा पत्र के वादे से मुकरते हुए सपा सांप्रदायिक और अपराधी असामाजिक तत्वों की रिहाई का रास्ता साफ कर आगामी पंचायत चुनावों और 2017 के विधान सभा चुनावों में हिंसा द्वारा ध्रुवीकरण कराने की फिराक में हैं।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि समाजवादी पार्टी द्वारा अपने चुनाव घोषणा पत्र में किए गए वादे के अनुसार आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को रिहा करने के संबंध में अपनी इच्छाशक्ति और नेकनियति का परिचय नहीं दिया गया। यही कारण है कि लचर पैरवी के कारण मुकदमा वापसी के समस्त प्रार्थनापत्र न्यायालयों द्वारा निरस्त किए गए।
पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने भाजपा नेता कलराज मिश्रा पर से मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया है, ऐसे में मुलायम सिंह को बताना चाहिए कि उन्होंने बेगुनाहों पर से मुकदमा वापसी का वादा किया था, आखिर अब कौन सी राजनीतिक गोटी भाजपा के साथ चल रही है जो उसके सांप्रदायिक नेताओं के मुकदमे वापसी के लिए सरकार तत्पर है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पिछले दिनों मुकदमा वापसी के सवाल पर सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, आखिर यह तत्परता बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई के लिए क्यों नहीं थी।
रिहाई मंच के नेता हरे राम मिश्र ने कहा है कि दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा मनोज वशिष्ठ के फर्जी एनकाउंटर ने साफ कर दिया है कि स्पेशल सेल अपराधियों का एक संगठित गिरोह है जिसका मूल काम कानून व्यवस्था को बनाए रखना नहीं बल्कि आम जनता से लूटपाट और हत्याएं हैं। इसके पहले भी बाटला हाउस फर्जी एनकाउंटर से लेकर पूरे देश में जगह-जगह हुई फर्जी गिरफ्तारियों में दिल्ली स्पेशल सेल अपराधियों की तरह बेगुनाहों का अपहरण कर उनकी हत्याएं या फिर फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेलों में सड़ने के लिए मजबूर करती है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को बिना किसी आधिकारिक सूचना दिए आए दिन बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को दिल्ली पुलिस आतंक के झूठे आरोपों फंसाने के लिए उठा ले जाती है, ऐसे में प्रदेश सरकार सभी मामलों की जांच करवाए और आपराधिक दिल्ली पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे।
मिश्र ने कहा कि मनोज वशिष्ठ के फर्जी एनकाउंटर ने साफ कर दिया है कि दिल्ली स्पेशल सेल हो या फिर एटीएस-एसटीएफ जैसी संस्थाएं विशेष अधिकारों के नाम पर जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन कर रही हैं ऐसे में इन विशेष आपराधिक पुलिस दस्तों को तत्काल भंग किया जाए। जिस तरीके से पूरे प्रदेश में इन्हीं विशेष अधिकारों के तहत एसपीओ की नियुक्ति पुलिस ने किया है जो पुलिस के प्रतीक को लगाकर मानवाधिकार और विशेष पुलिस अधिकारी के नाम पर खुलेआम पुलिस की अवैध वसूली के कारोबार को बढ़ा रहे हैं उन्हें तत्काल खत्म किया जाए।