लखनऊ – प्रतापगढ़ में तैनात दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह की पत्नी ईशा की सिर काटकर हत्या कर दी गई है। 19 मई को कौशांबी के महेवाघाट थाने से 50 मीटर दूर ईशा का निर्वस्त्र शव मिला अभी तक सिर का पता नहीं चला है। शुक्रवार को ईशा के परिजनों ने कौशांबी पहुंचकर शव की शिनाख्त की। पोस्टमार्टम के बाद दोपहर को शव परिजनों को सौंप दिया गया।
ईशा की मां विनीता ने तीन दिन पहले काकादेव थाने में दरोगा ज्ञानेंद्र के खिलाफ पहली शादी छिपाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ईशा चार दिन पहले ज्ञानेंद्र के साथ गई थी, तब से उसका कोई अता-पता नहीं था। काकादेव एसओ के मुताबिक आरोपी दरोगा लाइन हाजिर चल रहे हैं।
एसपी कौशांबी रतनकांत पांडेय ने फोन पर बताया कि मामला महेवाघाट और काकादेव थाने में दर्ज है। तफ्तीश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक बलिकरन सिंह यादव ने पत्नी की हत्या के आरोप में दरोगा ज्ञानेंद्र को सस्पेंड कर दिया है।
ईशा (30) नवीन नगर काकादेव निवासी विनीता सचान की बेटी थी। विनीता ने बताया कि चित्रकूट जिले के छिविलहा गांव निवासी ज्ञानेंद्र सिंह शहर के कई थानों में बतौर थानाध्यक्ष और एसएसआई तैनात रह चुके हैं।
शहर में तैनाती के दौरान दारोगा ज्ञानेंद्र सिंह उनके परिवार के संपर्क में आए। शादी का भरोसा देकर बेटी ईशा से मेलजोल बढ़ाई। वर्ष 2013 में ज्ञानेंद्र कानपुर देहात के मूसानगर थानाध्यक्ष बने। फिर 10 मार्च 2013 को ईशा से शादी कर ली। इसके बाद दोनों साथ रहने लगे, दोनों के एक बेटी भी हुई।
बाद में ईशा को पता चला कि ज्ञानेंद्र सिंह पहले से शादीशुदा हैं और उनकी पहली पत्नी नीलम है, जो मध्यप्रदेश के सतना के बछरावा की रहने वाली है। शादी की जानकारी होने पर दोनों में झगड़े बढ़े तो करीब 24 दिन पहले ईशा मायके नवीन नगर आ गईं और परिजनों को पूरी जानकारी दी।
मामला पुलिस में पहुंचने के डर से ज्ञानेंद्र सिंह ने 17 मई को ईशा के मायके पहुंचकर समझौता कर लिया था। इसके बाद 18 मई को ज्ञानेंद्र कूष्मांडा देवी मंदिर जाने की बात कहकर कार से ईशा को ले गए थे। तब से दोनों का पता नहीं है। इसकी शिकायत विनीता ने काकादेव थाने में की, पर मामला विभाग से जुड़ा होने की वजह से रिपोर्ट नहीं लिखी गई।
विनीता ने आईजी आशुतोष पांडेय से लेकर एसएसपी शलभ माथुर तक शिकायत दर्ज कराई। तब 19 मई को काकादेव पुलिस ने दारोगा ज्ञानेंद्र के खिलाफ पहली शादी छिपाने का मामला दर्ज किया था। लेकिन तब भी ईशा के गुम होने की शिकायत दर्ज नहीं की गई। ईशा के लापता होने के बाद परिवार के लोग उसकी तलाश में जुटे थे।
जानकारों की मानें तो हत्यारे ने ईशा का धड़ महेवाघाट क्षेत्र में फेंका और सिर दूसरी जगह फेंका। हत्यारे का इरादा था कि पुख्ता तरीके से शव की शिनाख्त नहीं होने पर इसका लाभ उसे मिल जाएगा। पुलिस की मानें तो सिर कहां फेंका गया इसका पता चलना बाकी है। आरोपी दारोगा के गिरफ्त में आने के बाद ही ईशा के सिर के बारे में पचा चल सकेगा।
परिजनों की शिनाख्त के बाद भी पुलिस कानूनी दांवपेच से बचने के लिए ईशा का डीएनए जांच कराएगी। इसके लिए पोस्टमार्टम के दौरान शव के नाखून और ब्लड के सैंपल सुरक्षित रख लिए गए हैं। इसे जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाएगा।
उधर प्रतापगढ़ जिले के संवाददाता के मुताबिक आरोपी दरोगा की तलाश में प्रतापगढ़ पुलिस भी लगी है। आसपुर देवसरा थाने से लाइन हाजिर होने के बाद दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह पुलिस लाइन में था और क्यूआरटी ड्यूटी कर रहा था। 14 मई से वह गैरहाजिर है। कानपुर पुलिस ने एसपी से दरोगा की गिरफ्तारी में सहयोग मांगा है। जिले की पुलिस उसकी तलाश कर रही है। एजेंसी