नई दिल्ली – लगभग 30 साल पहले ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्ता में आई राजीव गांधी सरकार को जमीदोंज कर देने वाले बोफोर्स घोटाले को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर जिंदा कर दिया है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत की किसी भी अदालत ने बोफोर्स सौदे को घोटाला नहीं कहा है। प्रणब मुखर्जी जल्द ही स्वीडन की यात्रा पर जा रहे हैं। उस यात्रा से पहले एक स्वीडिश अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि बोफोर्स सौदा पूरी तरह से मीडिया ट्रायल था।
उल्लेखनीय है कि बोफोर्स का सौदा भारत और स्वीडन के बीच लंबे समय तक तल्खी का कारण रहा है। 155 मिमी फिल्ड होवित्जर तोपों को सौदा स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से 1986 में किया गया था। सौदे में राजीव गांधी समेत कई सैन्य अधिकारियों और उद्योगपतियों पर दलाली खाने का आरोप लगा।
माना जाता है कि बोफोर्स सौदों के आरोपों के कारण राजीव गांधी की 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में हार हुई।
प्रणब मुखर्जी ने अपने साक्षात्कार में कहा, ‘बोफोर्स सौदों से बहुत पहले मैं रक्षामंत्री था। मेरे सभी जनरलों ने प्रमाणित किया था कि बोफोर्स की तोपें बहुत ही शानदार हैं। आज भी सेना इनका इस्तेमाल कर रही है।’
प्रणब ने कहा कि कथित बोफोर्स घोटाला मीडिया भर में था। मामले में मीडिया ट्रायल किया गया।
उल्लेखनीय है कि घोटाले के आरोपों के कारण ही 1987 में भारत सरकार ने बोफोर्स को ब्लैकलिस्टेड कर दिया था। हालांकि 1999 में कारगिल लड़ाई के दौरान बोफोर्स तोपें बहुत ही उपयोगी साबित हुईं थी, जिसके बाद स्पेयर पार्टस की खरीद के लिए कंपनी पर से प्रतिबंध हटा लिया गया था। उस समय राजग की सरकार सत्ता में थी।