नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना मामले में शुक्रवार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार को नोटिस जारी कर दिया। साथ ही अदालत ने इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी पर भी रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की अवकाशकालीन खंडपीठ ने केंद्र की दलीलें सुनने के बाद केजरीवाल सरकार को नोटिस जारी करके जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
दिल्ली सरकार को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है। अदालत ने कहा, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अधिकार क्षेत्र को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का पैरा 66 अप्रासंगिक है और हाई कोर्ट इस पर अलग से निर्णय ले सकता है।
अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के संदर्भ में हाई कोर्ट की टिप्पणी पर भी रोक लगाई जाती है। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट केजरीवाल सरकार की नई याचिका पर सुनवाई गत 25 मई के एकल पीठ के आदेश से प्रभावित हुए बिना करेगा।
केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच क्षेत्राधिकार को लेकर चल रही जंग बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसने केंद्रीय अधिकारियों पर कार्रवाई से रोकने की गृह मंत्रालय की अधिसूचना को संदेहास्पद बताया था। दरअसल, दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने गत 25 मई को अधिसूचना को संदिग्ध बताया था।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 21 मई को राजपत्र अधिसूचना जारी करके दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को केंद्रीय कर्मियों, अधिकारियों और पदाधिकारियों पर कार्रवाई के अधिकार से वंचित कर दिया था। साथ ही दिल्ली के उपराज्यपाल को वरिष्ठ अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती की भी पूर्ण शक्तियां दी गई थीं।
हाई कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल अपने विवेकाधिकार के आधार पर काम नहीं कर सकते। इस बीच दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करके विशेष तौर पर केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है। दिल्ली सरकार की याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार की तरफ से 23 जुलाई 2014 और 21 मई 2015 को जारी अधिसूचना गैर-संवैधानिक है, क्योंकि इससे दिल्ली की निर्वाचित सरकार के हक खत्म किए जा रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कार्यकारी मुख्य सचिव शकुंतला गैमलीन की नियुक्ति का भी जिक्र करते हुए कहा है कि एक मुख्यमंत्री को मुख्य सचिव चुनने का भी अधिकार नहीं है। एजेंसी