कोलकाता- जिस प्रकार दिल्ली में आप सरकार के भ्रष्टाचार से लड़ने के एक मात्र हथियार भ्रष्टाचार निरोधक शाखा’’ को केंद्र की भाजपा सरकार ने उसके अधिकार क्षेत्र को सिमित करने का कुप्रयास कर भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगी है, इससे साफ प्रतीत होता है कि केंद्र की भाजपा सरकार दिल्ली में ना सिर्फ भ्रष्टाचारियों के साथ मिली हुई है।
इन भ्रष्टाचारी अधिकारियों को मुख्य पदों पर आसीन कर केजरीवाल सरकार को असफल और बदनाम करने कर प्रयास भी कर रही है ताकि वह किसी भी प्रकार से केजरीवाल पर भी भ्रष्टाचार के आरोप जड़ सके और केजरीवाल को जेल भेज सके या उसकी राजनैतिक रूप से हत्या करवा दी जाए ताकी जनता के सामने वह भाजपा का विकल्प न बन सके।
मानो संघ का नौटंकी राष्ट्रवाद संगठन एक अदने से आदमी के सामने बौना साबित होता जा रहा है। इसी लिये अब संघ चाहती है कि केंद्र की मोदी सरकार किसी भी प्रकार संवैधानिक अड़चनें पैदा कर केजरीवाल को संवैधानिक इनकांडन्टर में मरवा दिया जाए कहावत है चोर को बचाने वाला भी चोर होता है।
उच्चतम न्यायालय के पास एक चोर ने इस आशा के साथ फरियाद की है कि उसको इस कार्य में साथ देने वाले सभी भ्रष्टाचारी साथी बच जाए। माननीय न्यायालय को रूख स्पष्ट करना होगा कि वह भ्रष्टाचार के मामले में देश कि अदालतों से क्या अपेक्षा रखती है? सवाल यह नहीं उठता कि किस सरकारी एजेंसी ने किस भ्रष्टाचारी को पकड़ा।
सवाल यह उठता है कि क्या हम इन भ्रष्टाचारियों को इसी प्रकार बचाने का प्रयास करते रहेंगें। यदि कोई व्यक्ति किसी भ्रष्टाचारी को पकड़वता है तो वह पहले यह पता लगाये कि ईमानदार अधिकारी कौन है|
जैसे ही दिल्ली सरकार के नियंत्रण में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने ईमानदारी से कार्य करना क्या आरम्भ किया मानो केंद्र की मोदी सरकार सकते में आ गई महज 15 दिनों में 500 से भी अधिक भ्रष्टाचार के मामले प्रकाश में आ गये। कार्यवाही शुरू होने लगी इधर कार्यवाही होनी शुरू ही हुई कि उधर भाजपा ने ट्रांसफर-पोस्टींग का खेल शुरू कर दिया। यह सब अब तक जो भ्रष्टाचार का खेल चल रहा था उसे छुपाने के लिये और खुद व कांग्रेस के पापों को बचाने के लिये किया जाने लगा।
संविधान की दुहाई दी जाने लगी। कुछ दलाल पत्रकारों को बहस के लिये सामने लाया गया। कुछ मीडिया को हायर किया गया ताकि वे केजरीवाल को बदनाम करने का सिलसिला जारी रखें। महज चंद दिनों में दिल्ली पुलिस के 100 से भी अधिक सिपाही घुस लेते, गरीब जनता को लुटते पकड़े गये। मानो दिल्ली में लुट का यह व्यवसाय राजनैतिक आकाओं की कमाई का बहुत बड़ा स्त्रोत था जिसे केजरीवाल की ‘आप’ सरकार ने आते ही बंद कर दिया।
आज हमें सोचना होगा कि क्या हम इसी प्रकार भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ेगें कि इसे समाप्त करने के लिये एक स्वर में ‘केजरीवाल’ का साथ देगें? जिस आनन-फानन में केंद्र की भाजपा सरकार ने 21 मई 2015 को एक नोटीफिकेसन जारी कर खुद के पापों को जायज़ ठहराने को प्रयास किया और भ्रष्टाचार से लड़ने के केजरीवाल सरकार के मनसुबे पर पानी फेरने का प्रयास किया, माननीय उच्चतम और दिल्ली उच्च न्यायालय को चाहिये कि वे भ्रष्टाचार के मामले में कोई समझौता ना करें। रिपोर्ट शम्भु चौधरी