नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को फिर से लागू किए जाने की आज सिफारिश की है। इसके साथ ही भूमि अध्यादेश तीसरी बार प्रख्यापित किए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। भूमि अध्यादेश पहली बार पिछले वर्ष दिसंबर को लागू किया गया था ताकि साल 2013 के भूमि कानून में संशोधन किया जा सके। इस अध्यादेश के बदले संबंधित विधेयक लोकसभा में पारित होने के बावजूद सरकार संख्याबल की कमी के कारण उसे राज्यसभा में नहीं ला सकी।
यह अध्यादेश इस साल मार्च में दोबारा लागू किया गया था और चार जून को इसकी समयसीमा समाप्त हो जायेगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल की इस सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास मंजूरी के लिए भेजा जायेगा।
सरकार भूमि विधेयक के संबंध में दो बार अध्यादेश ला चुकी है और उसे इससे संबंधित विधेयक पर राज्यसभा में खासतौर से लगातार प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है जहां वह अल्पमत में है। सरकार हालांकि हाल ही में सम्पन्न संसद के बजट सत्र के दौरान संबंधित विधेयक को संसदीय समिति को भेजने पर राजी हुई। इस विषय पर संसद की संयुक्त समिति की पहली बैठक में कल कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने 2013 के भूमि कानून के प्रावधान में बदलाव के सरकार की पहल के औचित्य पर सवाल उठाए थे।
विधेयक के पक्ष में सरकार की दलील पर असंतोष व्यक्त करते हुए सदस्यों ने इस मुद्दे पर समग्र अंतरमंत्रालयी जवाब मांगा था। बैठक में ग्रामीण विकास मंत्रालय और विधि मंत्रालय के विधायी विभाग ने सदस्यों के समक्ष 2013 के भूमि कानून में संशोधन के बारे में अपनी प्रस्तुति दी।
दोनों मंत्रालय के अधिकारियों ने संशोधन का ब्यौरा दिया और कांग्रेस, बीजद, तृणमूल और वाम दलों समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने भूमि अधिग्रहण के बारे में सहमति के उपबंध को समाप्त करने के औचित्य पर सवाल उठाए। एजेंसी