नई दिल्ली – करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की कस्टडी में बेरहमी से मारे गए शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के मामले को मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय अदालत जा सकती है । उदयपुर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस बात की जानकारी दी। सुषमा ने कहा कि सरकार कैप्टन सौरव कालिया मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर हलफनामा दायर करेगी।
करगिल के शहीद कैप्टन सौरभ कालिया का क्षत विक्षत शव भारत आया था। उनकी आंखों निकाल ली गई थी, कानों में लोहे की गर्म सलाखें डाल दी गई थीं। दांत तोड़ दिए गए थे, हड्डियां टूटी हुई थी। शरीर के कई अंग जिस्म से अलग कर दिए गए थे। गुप्तांगों को भी काट लिया गया था।
4, जाट रेजिमेंट के अफसर कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी दल ने पांच भारतीय जवानों के साथ 15 मई, 1999 को पकड़ा। उन्हें कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा और टार्चर किया।
उसी साल 9 जून को जब पाकिस्तानी सेना ने कैप्टन कालिया का शव भारत सरकार को सौंपा, तो समूचा देश गुस्से से भर उठा। कहा गया कि पाकिस्तान ने एक युद्घबंदी से जैसा व्यवहार किया है, वह जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है। दोषी पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई।
यूपीए सरकार के शासन काल में भाजपा लगातार सौरभ कालिया के मामले में न्याय की मांग करती रही, लेकिन सत्ता में आने के बाद उसी पार्टी की सरकार ने मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने से मना कर दिया है।
करगिल युद्घ के 16 साल बाद राजग सरकार ने कहा है कि सौरभ कालिया के मसले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जारी रख पाना भारत के लिए संभव नहीं है। राजग सरकार के फैसले का सोशल मीडिया में कड़ा विरोध हो रहा है।
सौरभ कालिया को न्याय दिलाने के मामले में पीछे हटने कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना भी हो रही है। सोशल मीडिया में ही एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक टीवी कार्यक्रम में एक पाकिस्तानी सैनिक स्वीकार कर रहा है कि पाकिस्तानी सेना ने ही सौरभ कालिया को टार्चर करके मार डाला था।
उल्लेखनीय है कि कारगिल युद्घ भी राजग सरकार के शासन काल में ही हुआ था। उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। फिलहाल उसी गठबंधन की सरकार है और नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मामले का रफा दफा करने का फैसला किया है।
सौरभ कालिया के पिता सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई थी, मोदी सरकार ने दावा किया है कि उन्हें न्याय दिला पाना संभव नहीं है।
सौरभ कालिया के 66 वर्षीय पिता एनके कालिया 16 साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। सौरभ कालिया ने 1999 में पहली बार करगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की सूचना दी थी।
यूपीए सरकार ने फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में कहा था कि वह मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय नहीं जा सकती, क्योंकि पाकिस्तान अपने सैनिकों पर मुकदमा चलाने का इजाजत नहीं देगा और किसी सरकार पर ऐसा करने के लिए दबाव भी नहीं बनाया जा सकता।
यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये तक दलील दी थी कि मामले को आगे बढ़ाते हुए ‘पड़ोसी मुल्क’ के साथ संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान दिया जाए। राजग सरकार ने भी मामले में यूपीए सरकार के रुख को ही आगे बढ़ाया है। संसद में सांसद राजीव चंद्रशेखर के सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा है कि मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जा पाना संभव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को 25 अगस्त तक अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। एनके कालिया ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मामले में हंगामे के बाद विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट यदि कहेगा तो भारत अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जा सकता है।