खंडवा – जिले में गरीब बेसहाराओं को इलाज के नाम पर लूटने वाले झोलाछाप डाक्टरों पर जिला प्रशासन ने कार्यवाही शुरू तो कर दी है लेकिन उनको संरक्षण देने वाले और उनकी आड़ में अपना उल्लू सीधा करने वाले जिला प्रशासन को अंगूठा दिखा रहे हैं। जिला प्रशासन स्वास्थ्य विभाग को लेकर जिन क्षेत्रों में छापे मार रहा हैं वहां इक्का-दुक्का ही झोलाछाप डाक्टर उनके शिकंजे में फंस रहे हैं। जबकि अधिकांश झोलाछाप डाक्टर प्रशासनिक अमले के पहुंचने के पहले ही स्वास्थ्य विभाग के मददगार द्वारा सतर्क कर दिए जाने पर रफूचक्कर हो रहे हैं। जिला प्रशासन की बड़ी कार्यवाही की मंशा झोलाछाप के मददगारों द्वारा पूरी होने नहीं दी जा रही है। आज भी जिले भर में झोलाछाप डाक्टर बेखौफ मरीजों का इलाज कर उन्हें मौत की दहलीज पर खड़ा करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
मीडिया का कवच पहना
जिले भर में इन झोलाछापों ने अपने मददगार और संरक्षण दाताओं के इशारे पर मीडिया का कवच धारण कर रखा है। कुछ तो संवाददाता का कार्ड बनवाकर अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं तो कुछ परदे के पीछे से मीडिया की बैशाखी पर अपने करतब दिखा रहे हैं। जिला का स्वास्थ्य महकमा अपनी स्वार्थ पूर्ति के चलते इन झोलाछाप डाक्टरों पर बड़ी कार्यवाही का मन कभी भी नहीं बना पाया है।
झोलाछाप डाक्टरों के हाथों जब कुछ मरीज असमय ही मौत के मुंह में समा जाते हैं तो हो-हल्ला मच जाता है। जिला कलेक्टर से अनेक लोग इनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए गुहार लगाते हैं। कलेक्टर की कड़ी फटकार के बाद स्वास्थ्य महकमा कार्यवाही की औपचारिकता पूरी करने निकल पड़ता है। मुंह देखी कार्यवाही से भी बचने के लिए कुछ झोलाछापों ने मीडिया का कवच पहन रखा है। इन पर न तो स्वास्थ्य विभाग अपने स्वार्थो के चलते कोई कार्यवाही कर रहा है और न ही अन्य प्रशासनिक अधिकारी मीडिया से पंगा लेना चाहता है। लिहाजा यह लोग अभी भी अपनी गैर कानूनी गतिविधियों से मरीजों की जान जोखिम में डाले हुए है। नीम-हकीम खतरा-ए-जान की तर्ज पर जिले में सारी गतिविधियां संचालित की जा रही है।
बचने के गुर सीखा रहा कौन?
जिले में लगभग दो हजार से ज्यादा झोलाछाप डाक्टर अपने कारनामों से आए दिन अखबारों की सुर्खियां बन रहे हैं। उंगलियों पर गिने जाने वाले के खिलाफ कार्यवाही कर जिला प्रशासन ने अपने कत्र्तव्यों की इतिश्री कर ली है। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में ही इन झोलाछापों का महबूब छुपा हुआ है जो कि संकट के वक्त न केवल इनको अल्र्ट करता है बल्कि कड़ी कार्यवाहियों से बचने के गुर भी इनको सीखा रहा है।
रिपोर्ट :- अब्दुल रजाक मंसूरी