नई दिल्ली – अरविंद केजरीवाल की तारीफ वाले विज्ञापनों पर विवाद के बाद बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार अब विज्ञापन के लिए बजट में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी को लेकर विरोधियों के निशाने पर है। दिल्ली सरकार ने अपनी ‘उपलब्धियों’ का बखान करने के लिए विज्ञापन के बजट को कई गुना बढ़ाते हुए 526 करोड़ कर दिया है। टेलिविजन ऐड पर विवाद के बाद इन दिनों रेडियो पर केजरीवाल सरकार का 76 सेकंड का एक विज्ञापन भी चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, ‘जो कहा, सो किया’ टैगलाइन के साथ यह विज्ञापन दिन भर में 40 बार चलता है।
अलग-अगल मीडिया रिपोर्ट्स में शीला सरकार के दौरान 2013-14 में दिल्ली सरकार का विज्ञापन और सूचना के लिए बजट करीब 25 से 30 करोड़ रुपये बताया गया है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी विज्ञापनों में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस की तस्वीर के अलावा किसी के भी फोटे के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी। इसके तोड़ निकालते हुए ‘आप’ सरकार ने एक टीवी ऐड जारी किया था जिसमें 11 बार केजरीवाल का नाम लिया गया था। विरोधियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करार देते हुए तीखी आलोचना की थी।
इसके बाद अब केजरीवाल सरकार ने रेडियो ऐड जारी किया है। सूत्रों का कहना है कि सरकार छात्रों को एजुकेशन के लिए दिए जा रहे लोन के लिए एक टीवी ऐड भी फाइनल करने जा रही है। प्रचार के बजट पर आम आदमी पार्टी गोलमोल जवाब दे रही है। पार्टी के नेता दिलीप पांडे ने कहा कि यह काल्पनिक आंकड़ा है, हालंकि उन्होंने बजट की राशि के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस बारे में सरकार ही बता पाएगी।
अरविंद केजरीवाल के विज्ञापन अभियान के खिलाफ उनके पुराने साथी प्रशांत भूषण ने मोर्चा संभाला है। जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि रेडियो पर भी कोई विज्ञापन किया जाता है तो स्कीम के बारे में बताया जा सकता है, अपनी बड़ाई नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हाल में जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना हुई है उसके खिलाफ वह कोर्ट में अपील करेंगे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल सरकार क्या मीडिया को खरीदने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि पिछली बार के मुकाबले पब्लिसिटी का बजट 2019% बढ़ा दिया गया है।