कोलकाता – राष्ट्रगान में बदलाव की मांग को लेकर दो राज्यों के राज्यपाल आमने-सामने आ गए हैं। राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह के राष्ट्रगान में एक शब्द को हटाने की मांग पर त्रिपुरा के राज्यपाल इसके विरोध में आ गए हैं। त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने सोशल मीडिया पर उनकी इस मांग का विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर राष्ट्रगान में कुछ गलत था तो इसमें बदलाव अब क्यों? आखिर आजादी के 67 सालों बाद ऐसी आपत्ति का क्या मतलब है?
राजस्थान यूनिवर्सिटी के कन्वोकेशन में अपने संबोधन में राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा था कि जन-गण- मन अधिनायक जय हे, में ‘अधिनायक’ शब्द किसके लिए है ? ब्रिटिशर्स के लिए ? यह शब्द ब्रिटिश शासन की प्रशंसा करता है इसलिए इस शब्द को राष्ट्रगान से हटा दिया जाना चाहिए और इसकी जगह जन-गण-मन मंगल जय हे कर दिया जाना चाहिए।
इसके बाद ही बंगाल के बीजेपी के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने सोशल मीडिया पर इस बहस में शामिल हो गए और ट्वीट कर कहा, ‘आजादी के 67 साल बाद अब राष्ट्रगान में कुछ भी संशोधित करना मुझे सही नहीं लगता है। अधिनायक शब्द को क्यों हम ब्रिटिश शासन से जोड़ें? मेरे हिसाब से इसमें कुछ भी बदलाव करना सही नहीं होगा।’
राष्ट्रगान में ‘अधिनायक’ पर भिड़े दो राज्यपाल
रवीन्द्रनाथ टैगोर की लिखी हुई इस कविता के अर्थ पर बहस नई नहीं है, यह बहस 1911 से ही बहस का मुद्दा रही है जिस समय इसे लिखा गया था, उसके बाद से ही इस पर बहस होने लगी थी। हालांकि इन बहसों पर तब जाकर विराम लगा था जब 1937 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पुलिन सेन को लिखे एक पत्र में इसका खंडन करते हुए कहा था कि यह कविता ब्रिटिश शासकों की प्रशंसा में नहीं लिखी गई है।