नई दिल्ली – देश में पॉर्न पर पूर्ण प्रतिबंध संभव नहीं है, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की टिप्पणी से तो ऐसा ही लगता है। पॉर्न पर अंतरिम प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट के अनुसार वो किसी भी वयस्क को उसके अधिकारों का उपयोग करने से नहीं रोक सकती।
बुधवार को पॉर्न पर प्रतिबंध को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने टिप्पणी की है कि, ‘अदालत इस तरह का कोई भी अंतरिम आदेश पास नहीं कर सकती। कोई भी अदालत में आकर यह कह सकता है कि मैं वयस्क हूं और आप मुझे अपने घर के बंद कमरों में इसे देखने से कैसे रोक सकते हैं? यह संविधान की धारा 21 (निजी स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है।’
हालांकि, उन्होंने इसे गंभीर मामला मानते हुए कहा कि इसे लेकर कदम उठाए जाने चाहिए और केंद्र को इस मामले में स्टैंड लेना होगा। देखना यह है कि केंद्र क्या स्टैंड लेता है।’ चीफ जस्टिस द्वारा यह टिप्पणी इंदौर के एक वकील कमलेश वासवानी की उस याचिका पर दी गई है जिसमें पॉर्न साइट्स को बैन करने के लिए केंद्र द्वारा कोई स्टैंड लिए जाने तक अंतरिम बैन लगाने की मांग की गई है।