नई दिल्ली – सन् 1993 के मुंबई हमलों के दोषी याकूब मेमन की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने पांच मिनट की सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। ऐसे में आगामी 30 जुलाई को सुबह सात बजे नागपुर की सेंट्रल जेल में याकूब की फांसी होना तय है। तीन जजों की बेंच बंद कमरे में अर्जी स्वीकारने या खारिज करने पर सुनवाई मंगलवार को हुई थी।
यदि अर्जी स्वीकार हो जाती तो, याकूब को राहत मिल सकती थी। टाडा कोर्ट से फांसी की सजा होने के बाद मुंबई हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज हो चुकी है। राष्ट्रपति भी दया याचिका खारिज कर चुके हैं। ऐसे में याकूब के पास क्यूरेटिव याचिका दायर करने का आखिरी मौका था। 16 जुलाई को उसने यह याचिका दायर की थी।
याकूब को फांसी की सजा सुनाने वाले टाडा कोर्ट के जज पीडी कोडे ने बताया कि याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होना आम आदमी के लिए राहत की बात है। इस फैसले से लोगों का न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ेगा। सभी एजेंसियों ने अच्छी तरह से काम किया। पुलिस की ओर से लगाए गए आरोपों को अभियोजन पक्ष साबित कर सका, यह बड़ी अहम बात है।
सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा कि याकूब मेमन ने खुद को बचाने की भरपूर कोशिश की। उसने फांसी की सजा को कई आधारों पर लंबित कराना चाहा। उसने यह भी कहा कि धमाकों के समय वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। मगर, सबूतों की रोशनी में अच्छा फैसला आया है।
याकूब को फांसी यार्ड में रखा गया है। फांसी यार्ड में याकूब सहित 16 कैदी बंद हैं, जिनमें एक महिला कैदी भी शामिल है। बताया जा रहा है कि जल्लाद भी पुणे से नागपुर पहुंच चुका है। मालूम हो, वर्ष 1993 में हुए धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।