नई दिल्ली – प्रधानमंत्री के चुनावी खर्च की जांच करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। चुनावी खर्च का सही ब्यौरा न देने का हवाला देते हुये वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी के चुनाव को रद करने की मांग की गयी है।
मुख्य चुनाव आयुक्त को प्रधानमंत्री के लोकसभा चुनाव खर्च के सही आकलन के लिये जांच एक माह के भीतर करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
हाईकोर्ट में यह याचिका अधिवक्ता केसी मित्तल ने कांग्रेस नेता व वाराणसी से पूर्व सांसद राजेश मिश्रा की ओर से दायर की है। इस याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी नहीं बनाया गया है बल्कि मुख्य चुनाव आयोग, मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्त व महानिदेशक (चुनावी खर्च) को पार्टी बनाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव के खर्च का सत्य ब्यौरा नहीं दिया गया है। चुनावी खर्च का जो ब्यौरा दिया गया है उसके मुताबिक नरेंद्र मोदी के चुनाव का खर्च 37 लाख रुपये बताया है लेकिन उनका चुनावी खर्च इससे कहीं ज्यादा हुआ है। यह खर्च 70 लाख रुपये की तय सीमा से भी कहीं ज्यादा है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह शिकायत मुख्य चुनाव आयोग को छह जून 2015 को दी गयी थी। इस शिकायत पर आयोग की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी और न इससे संबंधित कोई सूचना दी गयी।
याचिकाकर्ता की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव वाराणसी सीट से अयोग्य घोषित किया जाये क्योंकि उन्होंने अपने चुनावी खर्च का सही व सत्य ब्यौरा नहीं दिया है जबकि ऐसा करना जनप्रतिनिध अधिनियम की धारा 77 व 78 के तहत अनिवार्य है।
जिला चुनाव अधिकारी को सौंपे गये ब्यौरे के मुताबिक नरेंद्र मोदी का चुनावी खर्च 37 लाख रुपये बताया गया है जो कि पूरी तरह गलत है। खर्च का ब्यौरा अलग व सही तरह से नहीं रखा गया। उनका चुनावी खर्च सत्तर लाख की तय सीमा से कहीं ज्यादा है। यह तथ्य उन्होंने छिपाया है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि शिकायत देने के बाद काफी समय बीतने पर भी चुनाव आयोग ने इस मामले में कोई जांच या नरेंद्र मोदी को कोई नोटिस जारी नहीं किया है क्योंकि नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री हैं। आयोग द्वारा ऐसा न करना संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है।