वूमन इकोनॉमिक फोरम’ के दौरान विद्या ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मेरे परिवार का मानना था कि फिल्म की दुनिया बहुत खराब है. इसी कारण से वे मुझे फिल्मों में नहीं आने देना चाहते थे।
लेकिन मैंने अपने माता-पिता से कहा कि मैं सिर्फ एक फिल्म करुंगी और फिर छोड दूंगी. मुझे मलयालम फिल्म के लिए साइन किया गया और वह ठंडे बस्ते में चली गयी.’ इसके बाद मेरे पास और तीन फिल्में आयीं, लेकिन वे भी ठंडे बस्ते में गयीं. अब तो सिने जगत में मुझे अपशगुनी माना जाने लगा। मुझे इस कारणों से फिल्मों से निकाल दिया गया।
शुरुआत के इन संघर्ष के दिनों में उनके माता-पिता ने खूब साथ दिया. उन्होने कहा “पहले मेरे माता पिता फिल्मों में नहीं आने देना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होने ही मुझे प्रेरित किया.’ उन्हें तीन बार लगातार फिल्मफेयर अवार्ड भी मिले है. उन्होंने बताया कि 13 फिल्मों से रिजेक्ट होने के बाद यूफोरिया की शूटिंग के दौरान प्रदीप सरकार ने बॉलीवुड में लॉन्च किया।
प्रदीप सरकार (परिणीता के निर्देशक) ने कहा कि मैं तुम्हें लेकर फिल्म बनाउंगा. विद्या ने कहा, ‘मैंने प्रदीप सरकार से कहा कि कितने आए और कितने गए. मुझे उन पर यकीन नहीं था, लेकिन बाद में मैंने उनके साथ परिणीता की।
गौरतलब है कि साल 2005 में प्रदीप सरकार की फिल्म ‘परिणीता’ से विद्या ने बॉलीवुड में डेब्यू किया जिसके बाद ‘द डटी पिक्चर’, ‘कहानी’, ‘इश्किया’, ‘पा’ जैसी सुपरहिट फिल्में दी जिसके लिए उन्हें तीन बार लगातार फिल्मफेयर अवॉड्र्स भी मिले।