नई दिल्ली – दालों के बाद अब चावल की कीमतें आसमान छू सकती हैं। खरीफ में उत्पादन कम होने के कारण चावल का स्टॉक तेजी से घट रहा है। देश के प्रमुख औद्योगिक व व्यावयायिक संगठन एसोचैम की रिपोर्ट में अगले कुछ माह में चावल महंगे होने की आशंका जताई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दाल, प्याज व सरसों के तेल के बाद अब चावल भी उपभोक्ताओं की मुसीबत बन सकते हैं, यदि सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए। एसोचैम का कहना है कि चूंकि इस साल बारिश कम हुई है इसलिए खरीफ में चावल उत्पादन पर असर पड़ेगा और स्टॉक तेजी से घटेगा।
रिपोर्ट के अनुसार फसल वर्ष 2015-16 में सरकार ने देश में 9.61 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया है। चूंकि पंजाब, हरियाणा, उप्र, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस साल बारिश कम हुई है, इसलिए यह लक्ष्य पाना असंभव लग रहा है। ज्यादा से ज्यादा 8.9 करोड़ टन उत्पादन हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन सालों से चावल का स्टॉक घट रहा है। 2012 में यह 2.45 करोड़ टन से घटकर वर्तमान में 1.38 करोड़ टन रह गया है।
विरोधाभास : पिछले साल से घटे हैं दाम हालांकि व्यापारियों के अनुसार यह रिपोर्ट विरोधाभासी नजर आ रही है कि क्योंकि वर्तमान में गैर बासमती चावल का थोक मूल्य 25 रुपए प्रति किलो है, जबकि पिछले वर्ष यह 30 रुपए किलो था। इसी तरह प्रीमियम बासमती चावल के दाम करीब 30 फीसदी घटकर 44-45 रुपए प्रति किलो है, जबकि पिछले सीजन में ये 62-65 रुपए प्रति किलो थे।