नई दिल्ली- दिल्ली विधानसभा में आज जनलोकपाल बिल 2015 पेश किया जा रहा है। इस बिल को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे है। इस बिल को महाजोकपाल बताते हुए केजरीवाल के पुराने साथी योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण ने अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया।
योगेन्द्र यादव ने आरोप लगाया कि विधानसभा स्पीकर ने उन्हें विधानसभा तक जाने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस को फोन किया। उन्होंने कहा कि जनता बड़े-बड़े गुब्बारों की हवा निकाल देती है। इस बिल को सदन में पेश किए जाने से पहले ही सवाल उठाए जा रहे है।
हालांकि दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली जनलोकपाल बिल 2015 दिल्ली में भ्रष्टाचार विरोधी क़ानून को नया रूप दिया जाएगा और बेहद मज़बूत क़ानून बनाया जा रहा है। आदमी आदमी पार्टी के संस्थापक और पूर्व वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण ने दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को चुनौती दी है कि वह कहीं भी उनसे दिल्ली सरकार के जनलोकपाल बिल 2015 पर बहस कर लें।
प्रशांत भूषण ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करके केजरीवाल के लोकपाल को ‘महाजोकपाल’ करार दिया था और आरोप लगाया था कि 2011 के आंदोलन के समय जिस लोकपाल का वादा केजरीवाल ने किया था, वह लोकपाल बिल दिल्ली सरकार नहीं लाने जा रही। जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने प्रशांत भूषण को बीजेपी में शामिल हो जाने की सलाह दी थी।
आइए, नजर डालते हैं कि 2011 के ऐतिहासिक आंदोलन के समय का लोकपाल, फरवरी 2014 में जिसके लिए केजरीवाल ने सरकार छोड़ी वह लोकपाल और सोमवार को पेश होने वाला केजरीवाल सरकार का लोकपाल बिल, किन मुद्दों में अलग है जिन पर विरोधी केजरीवाल की मंशा और नीयत पर सवाल उठा रहे हैं-
1. लोकपाल चुनाव समिति
2011- आंदोलन का लोकपाल- कुल 7 सदस्य समिति में दो नेता (1 सरकार का)
2014 – केजरीवाल का लोकपाल- कुल 7 सदस्य समिति में केवल दो नेता (1 सरकार का)
2015- केजरीवाल का लोकपाल- 4 सदस्य समिति में 3 नेता (2 सरकार के)
2. लोकपाल हटाने का तरीका
2011- आंदोलन का लोकपाल- सुप्रीम कोर्ट अगर दोषी मान ले
2014 – केजरीवाल का लोकपाल- शिकायत पर जांच के बाद दिल्ली हाइकोर्ट की सिफारिश
2015- केजरीवाल का लोकपाल- दिल्ली विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास
3. जांच एजेंसी
2011- आंदोलन का लोकपाल – स्वतंत्र जांच एजेंसी
2014- केजरीवाल का लोकपाल- अलग इन्वेस्टीगेशन विंग का गठन
2015- केजरीवाल का लोकपाल- सरकार के विभागों से अफ़सर लिए जाएंगे
4. गलत शिकायत पर दंड
2011- आंदोलन का लोकपाल- एक लाख रुपये तक जुर्माना
2014- केजरीवाल का लोकपाल- एक साल की कैद
2015- केजरीवाल का लोकपाल- एक साल तक जेल या एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों
5. लोकपाल का दायरा
2011- आंदोलन का लोकपाल- केंद्र सरकार के करप्शन के लिए केंद्रीय लोकपाल और राज्य सरकार के करप्शन के लिए राज्य लोकायुक्त
2014- केजरीवाल का लोकपाल- केवल पब्लिक सर्वेन्ट्स का ज़िक्र
2015- केजरीवाल का लोकपाल- दिल्ली की सीमा में किसी का भी करप्शन
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