नई दिल्ली- हाल ही में बिहार चुनावों में मिली करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी में मची उथल-पुथल के बाद पार्टी में राष्ट्रीय नेतृत्व को लेकर चल रही उठापटक के बाद फिर एक बार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) अमित शाह को बेहद मेहनती नेता मानता है, यही वजह है कि शाह का भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर जमे रहना साफ नजर आ रहा है।
दिसंबर में अमित शाह का बीजेपी के अध्यक्ष कार्यकाल पूरा होने जा रहा है और माना जा रहा है कि आरएसएस के प्रिय होने के कारण उन्हें दूसरा टर्म मिलना तय है। मगर इसके बाद भी यह बात साफ हो चुकी है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लगातार दूसरी बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। आरएसएस ने उन्हें बदलने का विरोध कर दिया है।
पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अमित शाह को अध्यक्ष बनाए रखने की बात का समर्थन किया था मगर अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा भी अमित शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की बात का समर्थन किया गया।
भाजपा से नाराज चल रहे पार्टी के कई नेताओं को उम्मीद थी कि दिल्ली के बाद लगातार दूसरी हार के बाद संघ शाह को लेकर कुछ कड़े फैसले लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संघ लालू-नीतीश के मजबूत सामाजिक गठबंधन को बिहार में मिली हार की वजह मान रहा है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा चीफ को इस हार का जिम्मेदार ठहराया था।
यह जरूर कहा जा रहा है कि संघ अपने स्तर से बिहार चुनाव में मिली हार का विश्लेषण कर सकता है। फिलहाल इसकी गाज अमित शाह पर तो नहीं गिरने वाली है। शाह का समर्थन करने वाले नेताओं का कहना है कि शाह की अगुवाई में यूपी लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल हुई। इसके अलावा पार्टी ने हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में भी शानदार प्रदर्शन किया।
अमित शाह के कार्यकाल में भाजपा ने 6 चुनावों में से 4 में जीत हासिल की है। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद अमित शाह को अध्यक्ष बनाए जाने पर भाजपा के वरिष्ठ सदस्यों ने अपनी आपत्ती ली थी। हालांकि इस मामले में पार्टी के पदाधिकारियों और अन्य सदस्यों ने वरिष्ठों की बात को महत्व देने के साथ ही इस बात को खारिज कर दिया था कि चुनावी हार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जिम्मेदार हैं।
दरअसल अमित शाह को अध्यक्ष बनाए रखने के पीछे आरएसएस का तर्क है कि अमित शाह के नेतृत्व में हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड में भाजपा को सीधी जीत दिलवाई जाए। इसके अतिरिक्त मणिपुर, केरल और लद्दाख में पार्टी को अच्छा जनमत मिला। पार्टी के लिए यह एक अच्छा संकेत है।