नई दिल्ली– समलैंगिक संबंध पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया है। आगामी 2 फरवरी को कोर्ट आइपीसी की धारा 377 को लेकर एक फैसला किया था, जिसमें उनने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, ‘समलैंगिकता या दो वयस्कों के बीच अप्राकृतिक यौन संबंध आईपीसी की धारा 377 के अंतर्गत एक अपराध है जो आगे भी जारी रहेगा।’
गौर हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने करीब दो साल पहले समलैंगिक वयस्कों की सहमति से निजी तौर पर संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में नहीं रखने के फैसला किया था। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बाद में पलट दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने समलैंगिकों के बीच संबंध स्थापित करने को यह कहते हुए गैर अपराधिक घोषित किया था कि यह असंवैधानिक है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में धारा 377 पर विचार कर उसे फिर से बहाल कर दिया।