नई दिल्ली – क्या वजह है कि भोजपुरी को मॉरीशस ने तो अपने यहां मान्यता दे दी लेकिन अब तक भारत में इसे संविधान की आठवीं अनुसुचि में शामिल नहीं किया गया है। सरकारें आती हैं, आश्वासन देती हैं और फिर सत्ता बदल जाती है लेकिन इस पर कोई भी गंभीरता से काम नहीं करता। इसी मुद्दे पर ‘भोजपुरी समाज दिल्ली’ द्वारा अंतरराष्ट्री मातृभाषा दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें जिसमें बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों ही पार्टियों के नेता शामिल हुए और भोजपुरी को मान्यता दिलाने के लिए एक-दूसरे के स्वर से स्वर मिलाया।
कार्यक्रम में बोलते हुए आम आदमी पार्टी के द्वारका से विधायक आदर्श शास्त्री ने कहा, ”दिल्ली सरकार विधानसभा के इसी सत्र में भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने संबंधी प्रस्ताव लाने जा रही है। इस प्रस्ताव को विधान सभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा और ये मांग की जायेगी कि भोजपुरी को शीघ्र आठवीं अनुसूची में जगह दें। ” आदर्श शास्त्री के इस बयान का सीधा अर्थ है कि अब भोजपुरी के मसले पर आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। यहां आपको याद दिला दें कि 2017 में यूपी में विधानसभा चुनाव है और पूर्वी उत्तर प्रदेश का बड़ा हिस्सा भोजपुरी भाषी है। लिहाजा आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को चुनावी हथियार भी बना सकती है।
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं महराष्ट्र प्रदेश के अध्यक्ष संजय निरुपम पहुंचे थे. निरूपम ने भोजपुरी में बात करते हुए याद दिलाया, ”प्रधानमंत्री खुद बनारस से सांसद हैं और गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी भोजपुरी भाषी क्षेत्र से हैं. ऐसे में अब तो भोजपुरी मान्यता मिलनी ही चाहिए.” गौरतलब है कि भोजपुरी की मान्यता का जिक्र चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके है।
हालांकि कार्यक्रम में बीजेपी के राजस्थान से सांसद अर्जुन राम मेघावाल ने भोजपुरी एवं राजस्थानी सहित भौंटी भाषा को आठवीं अनुसूची में मान्यता देने संबंधी प्रयासों का पूर्ण विवरण देते हुए कहा कि वे इस मुद्दे को लेकर गृहमंत्री एवं प्रधानमंत्री से लागातर संपर्क में हैं। मेघावाल ने कहा, ”मुझे पूरी उम्मीद है कि तकनीकी अडचनों को जल्द ही दूर करके इन तीनों अन्तराष्ट्रीय मान्यता वाली भाषाओं को संविधान में जगह दे दी जाएगी।हालांकि मेघवाल ये बताना न भूले कि जब अटल जी की सरकार आई थी उस दौरान भी वर्षों से लम्बित कुछ भाषाओं को मान्यता दी गयी थी और अब जब नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दुबारा बीजेपी की सरकार है तो इसे एक अवसर के रूप में लेते हुए यह उम्मीद रखनी चहिये कि तीनो भाषाओं को मान्यता जरुर मिलेगी।
इस कार्यक्रम में भोजपुरी समाज दिल्ली के अध्यक्ष अजीत दुबे की किताब ‘तलाश भोजपुरी भाषायी अस्मिता की’ के संशोधित संस्करण का विमोचन भी किया गया. भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में जगह दिलाने के संघर्षों और संसद में इस मुद्दे से जुड़े तमाम बहसों पर केन्द्रित यह एक महत्वपूर्ण किताब है। इस पुस्तक में हर उस पहलू की विस्तृत विवेचना मिलेगी जो भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में जगह दिलाने में या तो अडचन रूप में रही है या प्रयास के तौर पर की गई कोशिश है। इस पुस्तक में सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के आधार पर कई तथ्यों को रखा गया है। पुस्तक में संसदीय स्तर से लगाये हर वो तथ्य मौजूद है जो वर्षों से जारी इस लड़ाई को आम आदमी को समझा पाने में कामयाब होता है। अगर एक पंक्ति में कहा जाय तो अपनी पुस्तक के माध्यम से अजित दुबे ने उन तमाम पहलुओं को संकलित एवं विश्लेषित किया है जो भोजपुरी आन्दोलन के लिहाज से अभी तक अनकहे इतिहास के रूप में असंकलित थी।
इस कार्यक्रम में सांसद मनोज तिवारी, पूर्व सांसद महाबल मिश्रा सहित भोजपुरी से जुड़े तमाम लोग उपस्थित रहे।
रिपोर्ट :- पवन रेखा