नई दिल्ली- जेएनयू, रोहित वेमुला, हरियाणा में जाट आरक्षण को लेकर हिंसा और पठानकोट में हुए आतंकी हमले जैसे कई विवादास्पद मुद्दों की भरमार और इस पर चरम पर पहुंची सियासत के बीच संसद का बजट सत्र आज से शुरू होगा।
वहीँ बजट सत्र को लेकर विपक्षी पार्टियों ने अपने तेवर कड़े करते हुए सरकार को साफ कर दिया है कि पहले वे जिन मुद्दों को उठाना चाहते हैं, उन पर चर्चा होगी, उसके बाद बिल पास होंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण से सत्र की शुरुआत के बाद बुधवार को देशव्यापी बहस का केंद्र बने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय विवाद मामले में चर्चा होगी। इसके बाद 25 फरवरी को रेल बजट, 26 फरवरी को आर्थिक सर्वेक्षण और 29 फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा।
हालांकि सत्र से पहले अब तक हुई चार सर्वदलीय बैठकों में सरकार और विपक्ष ने सदन को शांतिपूर्वक चलाने पर हामी भरी है, मगर इसके अमली जामा पहनने के दूर-दूर तक आसार नहीं हैं, विपक्ष ने जहां जेएनयू विवाद, हैदराबाद में दलित छात्र की आत्महत्या, आरक्षण के सवाल पर जाटों का हिंसक आंदोलन, पठानकोट में हुए आतंकी हमला मामले में सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है, वहीं सरकार ने भी रक्षात्मक रुख अपनाने के बदले इन सभी मुद्दों पर पलटवार का मन बनाया है।
इन बिलों का तय होगा भविष्य
जीएसटी, व्हिसल ब्लोअर्स प्रोटेक्शन संशोधन बिल इंडस्ट्रीज (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) संशोधन बिल, कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, बेनामी ट्रांजैक्शंस (संशोधित) बिल, प्रिवेंशन ऑफ करप्शन (संशोधित) बिल। बजट सत्र से ठीक पहले संसद पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सभी दलों से विचार-विमर्श किया गया है। कई बार बातचीत हुई है। देश के नागरिकों के मुद्दों पर गहन चिंतन होगा।
पिछले सत्रों में हंगामे के कारण नहीं हो पाया काम
संसद के पिछले मॉनसून और शीतकालीन सत्रों में विपक्ष के हंगामे की वजह से कामकाज नहीं हो पाया। विधायी काम ठप होने से परेशान सरकार इस बार विपक्ष पर भरोसा जताती दिख रही है। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, मीटिंग के माहौल से मैं खुश हूं। कुछ पार्टियों ने कुछ मुद्दे उठाने की मांग की है। हम हर मुद्दे पर बहस को तैयार हैं।
कई अहम बिल होने हैं पास
जीएसटी बिल से लेकर रीयल स्टेट बिल तक, सरकार ने कई अहम बिलों को पास कराने का मंसूबा बना रखा रखा है। लेकिन विपक्ष जीएसटी जैसे बिल पर अपने संशोधनों की मांग पर अब भी अड़ा है। विपक्ष से मिले भरोसे के बूते सरकार सदन का काम काज सुचारू रूप से चलने की उम्मीद जता रही है। लेकिन उसे भी पता है कि विपक्षी दलों का भरोसा शर्तों के साथ है। सदन में अपनी आवाज़ न सुनी जाने का आरोप लगा कर विपक्ष कभी भी हंगामा खड़ा कर सकती है।