इंदौर- हाई कोर्ट ने शिप्रा नदी की हालत को लेकर सुनवाई के बाद आदेश दिया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड [पीसीबी] के अधिकारी याचिकाकर्ता के साथ शिप्रा का दौरा कर रिपोर्ट पेश करें। शासन और उज्जैन नगर निगम को तीन दिन में जवाब देने की हिदायत देते हुए कोर्ट ने याचिका की पेशी अगले सप्ताह के लिए तय की।
ज्ञात हो कि उज्जैन के बाकिर अली रंगवाला की ओर से दायर इस अवमानना याचिका में कहा है कि कोर्ट ने 2002 में नगर निगम को शिप्रा नदी के शुद्धिकरण के आदेश दिए थे। 14 साल बाद भी हालात नहीं सुधरे। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट अशोक गर्ग, लोकेश भटनागर ने पैरवी की।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि शिप्रा नदी में आज भी उज्जैन के कई नाले मिल रहे हैं। हालत यह है कि त्रिवेणी संगम पर आठ दिन से एक जानवर मरा पड़ा है, लेकिन निगम कार्रवाई नहीं कर रहा। रामघाट पर स्थिति यह है कि आचमन भी नहीं किया जा सकता। सिंहस्थ सिर पर है।
ऐसे हालातों के बावजूद शिप्रा के शुद्धिकरण को लेकर शासन और उज्जैन नगर निगम सुस्त है। याचिका दायर हुए 20 दिन से ज्यादा वक्त बीत चुका है। अब तक निगम और शासन ने जवाब पेश नहीं किया।
सिंहस्थ के पहले शिप्रा को कम से कम ऐसा तो कर दें कि भक्त उसमें आचमन कर सकें। न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की डबल बेंच ने शासन और नगर निगम को तीन दिन में जवाब पेश करने को कहा। याचिका पर अब अगले सप्ताह फिर सुनवाई होगी।