#कैथल – जाट आरक्षण को लेकर हुई गर्भवती महिला की मौत के मामले में मृतक के पति भाणा निवासी भूषण ने उसको आर्थिक सहायता व समुदाय के नेताओं पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है। अब उसके तीन मासूम बच्चों के सिर से मां का साया उठ गया है। अब उसकी जिंदगी नरक बन गई है। उसको समझा नही आ रहा कि वह घर पर इन बच्चों की देख रेख करे या पालन पोषण के लिये मजदूरी करे। पीडि़त ने कहा कि उसकी पत्नी व गर्भ में पल रहे पांच माह के बच्चे की मौत की जिम्मेदार आरक्षण रहा है। उसने कहा कि यदि यह आंदोलन नही होता या फिर एंबुलेंस सेवा को रास्ता दिया होता तो उसकी पत्नी व बच्चे को बचाया जा सकता था।
उसने बताया कि उसके पास पहले तीन बच्चे है। जिनमें दो लड़कियां व एक लड़का है। बड़ी लड़की शिवानी मात्र आठ वर्ष की है तथा दूसरी लड़की जन्नत ढाई व लड़का दीपांश पांच वर्ष का है। उसने कहा कि इतने छोटे बच्चों को घर पर अकेला छोड़ कर वह रोजी रोटी के लिये कैसे मजदूरी करने के लिये जायेगा। उसकी आठ वर्ष कि मासूम कैसे घर का काम काज संभालेगी। उसकी तो समझ में यह भी नही आ रहा कि वह इनकी पढ़ाई लिखाई कै से करवायेगा। उसके सामने अब पहाड़ जैसी समस्या पैदा हो गई है। उसने जिला प्रशासन व सरकार से दोषियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने तथा आर्थिक सहायता करने की मांग की है।
क्या था मामला
जाट आरक्षण के दौरान सभी रास्ते बंद थे। भाणा निवासी भूषण कि पत्नी सीता पांच माह से गर्भवती थी। जब 18 फरवरी को उसकी पत्नी को दर्द महसूस हुये तो वह जाम के चलते अपनी पत्नी को निकटवर्ती गांव करोड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गया। वहां उसको गंभीर स्थिति के कारण बाहर बड़े अस्पताल में ले जाने की कहा।
इस पर उसने तथा वहां के आशा वर्करों ने एंबुलेंस के पास कई फोन किये। हर वक्त रही जवाब मिला कि रास्ते बंद है और रास्ते न देने के कारण एंबुलेंस को आग लगाई जा रही है। जिस कारण से उसकी पत्नी घर पर ही दो दिन दर्द से चिल्लाती रही। अंत में जब कुछ आंदोलन कम हुआ और कैथल व पुंडरी के रास्ते बंद होने के कारण 21 फरवरी को प्राईवेट वाहन से आसपास के गांव से निकलते हुये वह कुरुक्षेत्र के लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में ले गया। वहां पर डाक्टरों ने इस की मौत देरी से आना बताया गया। DEMO-PIC